जीवनभर रहेगा मलाल, नहीं बचा सकी सुहाग
अभिषेक सिंह गाजियाबाद नीरज उर्फ बंटी की पत्नी कविता शायद ही कभी उस खौफनाक मंजर को भुला सके। उन्होंने अपनी आंखों से पति को मलबे के नीचे दबा देखा था।
अभिषेक सिंह, गाजियाबाद: नीरज उर्फ बंटी की पत्नी कविता शायद ही कभी उस खौफनाक मंजर को भुला सके। उन्होंने अपनी आंखों से पति को मलबे के नीचे दबा देखा था। उनका चेहरा नजर नहीं आ रहा था, कड़े से पहचान कर ली थी और बेटे के साथ मिलकर अपने सुहाग का हाथ पकड़कर मलबे से बाहर निकालने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें बचा नहीं सकी।
कविता ने बताया कि हादसे की जानकारी होते ही वह अपने बेटे मनीश उर्फ मानू के साथ अंत्येष्टि स्थल पहुंचीं। वहां पर देखा कि सब लोग मलबे में दबे लोगों को बचाने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन किसी का ध्यान मलबे में दबे उनके सुहाग नीरज पर नहीं था। नीरज के ऊपर पिलर और मलबा पड़ा हुआ था। उनके सिर से खून बह रहा था। केवल हाथ बाहर था। चेहरा नजर नहीं आ रहा था। उन्होंने हाथ में कड़ा पहन रखा था। उन पर नजर पड़ते ही वह उन्हें बचाने के लिए दौड़ीं। शोर मचाकर लोगों को बुलाया और ऊपर के मलबे को हटाया। मां कविता को देख मनीष भी अपने पापा को बचाने के लिए दौड़े। हाथ पकड़कर वह दोनों नीरज को बाहर खींचते रहे, लेकिन जब तक उनको बाहर निकाला जाता, काफी देर हो चुकी थी। फिर भी इस उम्मीद में उनको अस्पताल तक ले जाया गया कि शायद चिकित्सक उनको जिंदगी दे सकें, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। नीरज को चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। हादसे को तीन दिन बीत चुके हैं, लेकिन कविता की आंखों के सामने वह मंजर बार-बार आ रहा है। वह सिर्फ एक ही बात कह रही हैं कि मेरा सुहाग मेरी आंखों के सामने ही मुझसे हमेशा के लिए जुदा हो गया।