Move to Jagran APP

जागरण विशेष: डकैती वाले पार्क को बनाया ध्यान, ज्ञान व उत्थान की वाटिका

आयुष गंगवार गाजियाबाद महरौली स्टेशन के पास बसी अवंतिका कालोनी में 4 सितंबर 2020 की तड़

By JagranEdited By: Published: Sat, 21 May 2022 09:47 PM (IST)Updated: Sat, 21 May 2022 09:47 PM (IST)
जागरण विशेष: डकैती वाले पार्क को बनाया ध्यान, ज्ञान व उत्थान की वाटिका
जागरण विशेष: डकैती वाले पार्क को बनाया ध्यान, ज्ञान व उत्थान की वाटिका

आयुष गंगवार, गाजियाबाद : महरौली स्टेशन के पास बसी अवंतिका कालोनी में 4 सितंबर 2020 की तड़के डिपार्टमेंटल स्टोर संचालक सुरेश मित्तल के मकान में बदमाशों ने डकैती डाली, जिसके बाद इनके सामने वाले पार्क का नाम ही डकैती वाला पार्क पड़ गया। दूसरी गलियों के लोग इधर आने से डरते थे और बच्चों को भी पार्क में भेजना बंद कर दिया। यहां रहने वाले पर्यावरणविद् एवं उत्थान समिति के अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह ने लोगों को जोड़कर इस पार्क के साथ पास में खाली पड़ी सरकारी भूमि की सूरत बदल दी, जहां असामाजिक तत्वों का जमघट लगता था। पहले जहां बदबू व कूड़ा होता था, आज वहां लोग ध्यान लगाते हैं। पेड़ की छांव में बैठकर किताबें पढ़ते हैं। सुबह योग कर अखबार में देश दुनिया की खबरें पढ़ते हैं तो वहीं बच्चे झूला झूलते हैं।

loksabha election banner

---------

ड्राइंग रूम को बनाया कंट्रोल रूम

सत्येंद्र सिंह बताते हैं कि पार्क बदहाल था, जिसकी चारदीवारी टूटी होने के कारण बदमाश यहीं से पार्क में कूदे थे और फिर मकान में दाखिल हुए थे। इसीलिए इसे लोग डकैती वाला पार्क कहने लगे। पार्क की छवि बदलने के लिए हरियाली को बढ़ाने के साथ ही सुरक्षा के उपाय जरूरी थे। सबसे पहले चारदीवारी ऊंची कराई और सुरक्षा के लिए पार्क व आसपास के क्षेत्र में 50 से अधिक सीसीटीवी कैमरे भी लगवाए। और निगरानी के लिए सत्येंद्र सिंह ने अपने ड्राइंग रूम को कंट्रोल रूम बना रखा है। पार्क से लोगों का जुड़ाव जरूरी

सत्येंद्र सिंह का कहना है कि पार्क से निवासियों का जुड़ाव जरूरी है तभी उसका रखरखाव अच्छी तरह हो सकता है। लोगों को जोड़ने के लिए उन्होंने सरकारी जमीन पर एक पुस्तकालय खोला है, जिसमें साहित्य के साथ सभी तकनीकी विषयों की किताबें मौजूद हैं। बच्चों को पार्क की अहमियत समझाने के लिए पास के दूसरे पार्क में उनसे पौधे लगवाए और यहां कई किस्म के झूलों के साथ बैडमिटन कोर्ट भी तैयार कराया है। नगर निगम से शिकायत करो और फिर पैरवी करो। तब भी काम नहीं होता। समय बर्बाद करने से बेहतर है कि ऐसे प्रयासों से अधिकारियों को आईना दिखाएं।

- सत्येंद्र सिंह। आज यहां का जो माहौल है, उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते थे। सत्येंद्र सिंह अगुवा बने तो हमारे अंदर भी अपने लिए कुछ अच्छा करने की लालसा जगी।

- योगेंद्र पाल सिंह। यहां से निकलने में भी डर लगता था और अब हम यह जगह हमारी दिनचर्या में शामिल हो गई है। बस थोड़ा-थोड़ा सभी ने सहयोग किया और अब सभी खुश हैं।

- प्रतिमा कटियार। प्रयास करें तो सफलता मिलती है। अवंतिका कालोनी के दो पार्क और लावारिस पड़ी सरकारी भूमि के पुराने फोटो और आज की ताजा तस्वीर इसका उदाहरण है।

- तनु कौशिक।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.