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रमजान सब्र का महीना और सब्र का बदला जन्नत है

रमजान माह का दूसरा अशरा तेजी के साथ रहमत बरकत सआदत और खैर के साथ गुजर रहा है। यह अशरा मगफिरत के लिए है। एक हदीस में है कि अगर लोगों को मालूम हो जाए कि रमजान क्या चीज है तो सब तमन्ना करने लगेगें कि पूरा साल रमजान की दुआ करें लेकिन यह उन्ही के वास्ते है जो इसकी कदर करते हैं रोजा रखकर नमाज जमात से पढ़कर कुरआन की तिलावत करके।

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 May 2019 07:08 PM (IST)Updated: Mon, 20 May 2019 07:08 PM (IST)
रमजान सब्र का महीना और सब्र का बदला जन्नत है
रमजान सब्र का महीना और सब्र का बदला जन्नत है

रमजान माह का दूसरा अशरा तेजी के साथ रहमत, बरकत, सआदत और खैर के साथ गुजर रहा है। यह अशरा मगफिरत के लिए है। एक हदीस में है कि अगर लोगों को मालूम हो जाए कि रमजान क्या चीज है, तो सब तमन्ना करने लगेंगे कि पूरा साल रमजान की दुआ करें, लेकिन यह उन्ही के वास्ते है जो इसकी कदर करते हैं रोजा रखकर, नमाज जमात से पढ़कर, कुरआन की तिलावत करके। वरना जो लोग तंदरुस्त हैं, और रोजा रखते हैं न तिलावत करते और नमाज अदा करते हैं उनके लिए पूरा साल क्या पूरी जिन्दगी ही रमजान हो जाए तो कोई मायने नहीं। रमजान सब्र का महीना है और सब्र का बदला जन्नत है। रमजान खैर ख्वाही भला चाहने का महीना है। खुद भूखा-प्यासा रहकर भूखों और प्यासों को खिलाने और पिलाने का महीना है। रमजान शरीफ का यह दूसरा अशरा मगफिरत यानी गुनाहों, खताओं की माफी का महीना है। इसका अहतराम करें, इबादत करें और तन्हाई में रो-रोकर सच्चे दिल से अपने गुनाहों से तौबा करें। वो बेशक बख्शने वाला है।

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- मौलाना अहतशाम-उल हक कासमी

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