रमजान के पहले जुमे की नमाज में अमन-ओ अमान की दुआ
संजय नगर सेक्टर 23 की जामा मस्जिद में पेश इमाम मुफ्ती महताब ने कहा रोजा सिर्फ भूख-प्यास से जुड़ा फर्ज नहीं बल्कि पूरे जिस्म सोच व रूह को अल्लाह के हुक्म के मुताबिक अदा करने का नाम है। इसीलिए रोजा पूरे अदब के साथ रखना चाहिए। उन्होंने कहा खुशनसीब है वह शख्स जिसकी जिदगी में रमजान-उल मुबारक बार-बार आ रहा है और वह पूरे अहतराम के साथ इसे अदा कर रहा है।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : संजय नगर सेक्टर 23 की जामा मस्जिद में पेश इमाम मुफ्ती महताब ने कहा रोजा सिर्फ भूख-प्यास से जुड़ा फर्ज नहीं, बल्कि पूरे जिस्म, सोच व रूह को अल्लाह के हुक्म के मुताबिक अदा करने का नाम है। इसीलिए रोजा पूरे अदब के साथ रखना चाहिए। उन्होंने कहा खुशनसीब है वह शख्स जिसकी जिदगी में रमजान-उल मुबारक बार-बार आ रहा है और वह पूरे अहतराम के साथ इसे अदा कर रहा है।
वह रमजान के पहले जुमे की नमाज में खुत्बे से पहले रमजान की फजीलत बयान कर रहे थे। मुफ्ती महताब ने बताया अल्लाह के नबी सल्ल. ने इरशाद फरमाया कि बदनसीब है वो शख्स जिसकी जिदगी में अल्लाह का महीना रमजान आया और उसने अपने गुनाहों से तौबा और अपनी मग्फिरत नहीं कराई। उन्होंने फरमाया कि रमजान का बिना किसी उज्र एक फर्ज रोजा छोड़ने पर वह पूरी जिदगी रोजा रखते रहे वह उसकी कमी पूरी नहीं कर सकता। बिना उज्र रोजा छोड़ने वाले की माफी नहीं हो सकती। रोजा गुनाहों को इंसान के नाम-ए आमाल से पूरी तरह जलाकर इंसान को पाक-साफ कर देता है। नमाज के बाद खुदा की बारगाह में हाथ उठाकर गुनाहों से तौबा के साथ ही देश दुनिया में अमन-ओ अमान की दुआएं मांगी गई। मस्जिद में जगह न मिलने पर लोगों के लिए कई जगह शामियाना लगाया गया तो कहीं सड़कों पर भरी गर्मी में रोजेदार लोगों ने नमाज अदा की। मुख्य रूप से शहर की मरकज वाली मस्जिद कैला भट्ठा, ईदगाह वाली मस्जिद, सिहानी गेट जामा मस्जिद, सराय नगर अली जामा मस्जिद, कस्साबाद जामा मस्जिद, डासना गेट, रामघाट मंदिर के निकट जामा मस्जिद, कुरैशी मार्केट जामा मस्जिद, मिर्जापुर, वीर अब्दुल हमीद कालोनी समेत शहर की जामा मस्जिदों में जुमे की नमाज अदा गई।
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