लोगों को बताए गठिया के उपचार व बचाव के तरीके
यशोदा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, कौशांबी में रविवार को नि:शुल्क गठिया एवं रह्यूमेटोलॉजी परामर्श शिविर लगाया गया। शिविर मरीजों की जांच की गई। लोगों को गठिया के कारण, उपचार और बचाव के तरीके बताया गया।
जागरण संवाददाता, साहिबाबाद : यशोदा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, कौशांबी में रविवार को नि:शुल्क गठिया एवं रह्यूमेटोलॉजी परामर्श शिविर लगाया गया। शिविर में मरीजों की जांच की गई। लोगों को गठिया के कारण, उपचार और बचाव के तरीके बताए गये।
अस्पताल के वरिष्ठ रह्यूमेटोलॉजी रोग विशेषज्ञ डा. सौविक दास गुप्ता ने बताया गठिया की बीमारी को जांच के माध्यम से पहचाना जा सकता है। जीवन की दिनचर्या में बदलाव, उचित डॉक्टरी सलाह, दवाइयों व अन्य उन्नत विधियों से इसके दुष्प्रभाव को रोका जा सकता है। डा. सौविक ने बताया कि गठिया की बीमारी बच्चों में भी पाई जा सकती है। बाल रोग विशेषज्ञ इसे पहचान कर सही समय पर गठिया रोग विशेषज्ञ से परामर्श दिलाकर रोकथाम कर सकते हैं। 40 फीसद मरीज में गठिया एवं बाय होने के बावजूद भी उचित इलाज देकर उन्हें दवाइयों से छुटकारा दिलाया जा सकता है। वहीं, मरीजों ने बताया कि जोड़ों में दर्द, प्रात: काल जोड़ों में दर्द के साथ जकड़न, पैर की एड़ी में दर्द, बंद जोड़, खासकर घुटने और कोहनियों में(हिलाने-डुलाने की असमर्थता), रात में जोड़ों में तेज दर्द की समस्या रहती है। शिविर के दौरान जांच में 25 फीसद मरीजों में जोड़ो की ग्रीस खत्म या घटी हुई पाई गई। वहीं, 56 वर्षीय एक महिला ने बताया कि बीमारी की वजह से वह गैस लाइटर भी नहीं पकड़ पाती हैं। कई मरीजों में यूरिक एसिड की मात्रा भी बढ़ी हुई पाई गई। लुम्बिनी कौशांबी निवासी महिला ने बताया कि पिछले 15 सालों से उन्हें रह्यूमेटॉयड आर्थराइटिस है। वह डा. सौविक दास गुप्ता को ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली में परामर्श के लिए दिखाती थीं। जब उन्हें पता लगा कि डा. सौविक अब यहां अपनी सेवाएं दे रहे हैं, तो उन्हें शिविर में दिखाने आईं। डा. सौविक ने उन्हें बताया कि उनकी बीमारी बढ़ कर फेफड़ों की तरफ जा रही है। उन्हें जांच कराने की सलाह दी। अस्तपाल के मैने¨जग डॉयरेक्टर डा. पीएन अरोड़ा ने शिविर में शिरकत की।