जानलेवा : आया और वार्ड ब्वाय संभालते हैं अस्पताल के इमरजेंसी की कमान
जागरण संवाददाता गाजियाबाद करीब आठ लाख की आबादी वाले विजयनगर क्षेत्र में सबसे अधिक अपंजी
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद: करीब आठ लाख की आबादी वाले विजयनगर क्षेत्र में सबसे अधिक अपंजीकृत अस्पताल, नर्सिंग होम और क्लीनिक चल रहे हैं। कई कालोनियों में तो झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है। बंगाली डॉक्टर भी कामगारों को इलाज के नाम पर मनमानी दवाएं दे रहे हैं। स्थलीय पड़ताल में पाया गया है कि त्रिपाठी, खत्री, अमन, कृष्णा और माधुरी क्लीनिक मानकों को ताक पर रखकर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। लाइसेंस की अवधि खत्म होने के बाद भी वह चल रहे हैं। भीमनगर बागू, बिहारी पुरा, सुदामापुरी, शिवपुरी, सर्वोदय, राहुल विहार जैसे मोहल्लों में किराये पर दुकान लेकर अनेक बेरोजगार युवकों ने क्लीनिक खोल रखे हैं।
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सीन-1, माधुरी क्लीनिक कैला भट्टा क्लीनिक पर बोर्ड बड़ा लगा हुआ है लेकिन गेट बहुत छोटा है। चिकित्सक के पास ही उसका कंपाउंडर दवा देता है। इस क्लीनिक पर जटिल से जटिल बीमारियों का इलाज पचास से सौ रुपये में होता है। चिकित्सक विनीत जैन से पूछताछ करने का प्रयास किया तो गेट ही बंद कर लिया। स्वास्थ्य विभाग के रिकार्ड के अनुसार यह क्लीनिक वर्ष 2013 से चल रहा है। लाइसेंस की अवधि समाप्त हो चुकी है। आग बुझाने के इंतजाम नहीं है। तत्कालीन सीएमओ डॉ. अजय अग्रवाल के कार्यकाल में क्लीनिक का लाइसेंस जारी किया गया था।
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सीन-2 कृष्णा फेमिली हास्पिटल प्रताप विहार सेक्टर-11 15 बेड के अस्पताल में सात लोगों का स्टाफ है। सबसे पुरानी सिस्टर शारदा हैं। कोई मेडिकल कोर्स नहीं किया है। हास्पिटल वर्ष 2006 से चल रहा है। मानक के अनुसार अस्पताल में कम से कम तीन शिफ्टों के लिए तीस लोगों का मेडिकल स्टाफ जरूरी है। एक ही आया है जो चिकित्सक के बाद के सारे काम कर लेती हैं। अस्पताल की मालकिन डॉ. रिचा गुप्ता से संपर्क किया गया लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका। यूं तो अस्पताल में गर्भवती महिलाओं के इलाज की सुविधा है लेकिन बोर्ड के अनुसार अन्य कई रोगों के इलाज के लिए भी चिकित्सक बैठते हैं। आग बुझाने के इंतजाम नहीं हैं। अस्पताल को पर्दो से ढंक रखा है। अस्पताल के लाइसेंस के पंजीकरण की अवधि समाप्त हो चुकी है। तत्कालीन सीएमओ डॉ. एमपी सिंह के कार्यकाल में इसकी नींव रखी गई थी।
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सीन-3, त्रिपाठी हास्पिटल विजयनगर पचास बेड के इस अस्पताल के लाइसेंस की अवधि समाप्त हो गई है। फिर भी मरीजों को भर्ती करने का सिलसिला जारी है। वर्तमान में दस मरीज भर्ती है। साफ सफाई का इंतजाम नहीं है। गेट पर लगा बड़ा जनरेटर वायु प्रदूषण फैलाकर मरीजों को और बीमार बनाने के लिए काफी है। पचास बेड के हास्पिटल में 25 लोगों का मेडिकल स्टाफ है। कुछ अप्रशिक्षित हैं तो कुछ प्रशिक्षित स्टाफ भी हैं। बिना मास्क लगाए ही स्टाफ काम कर रहा है। वर्ष 1986 से अस्पताल चल रहा है। आया और वार्ड ब्वाय द्वारा इमरजेंसी संभाली जा रही है। तत्कालीन सीएमओ डॉ. शिवनारायण बहादुर के कार्यकाल में अस्पताल चालू हुआ था। कई बार अस्पताल में गलत इलाज एवं अधिक शुल्क वसूलने पर हंगामा हो चुका है। अस्पताल के मालिक शशांक त्रिपाठी ने माना कि लाइसेंस की अवधि समाप्त हो गई है। नवीनीकरण के लिए जल्द आवेदन किया जा रहा है। स्टाफ प्रशिक्षित है।
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सीन-4 अमन नर्सिंग होम प्रतापविहार 15 बेड के अमन नर्सिंग होम के बोर्ड पर आठ चिकित्सकों का मय डिग्री के बखान है। अंदर दसवी पास युवती रुचि रिसेप्शन पर बैठकर ओपीडी के लिए पर्चा बनाती है। इमरजेंसी को भी वह खुद संभालती है। पांच लोगों का मेडिकल स्टाफ है। मेडिकल कोर्स किए बिना ही अस्पताल में चार लोग नौकरी कर रहे हैं। इमरजेंसी और वार्ड एक ही कक्ष में संचालित हैं। महिलाओं की डिलीवरी के लिए बने अस्पताल में अनेक रोगों का इलाज होता है। साफ सफाई के साथ ही आग बुझाने के इंतजाम नहीं है। लाइसेंस की अवधि समाप्त हो चुकी है। वर्ष 2013 में तत्कालीन सीएमओ डॉ. अजय अग्रवाल के कार्यकाल में नर्सिंग होम का संचालन शुरू किया गया था।
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चिकित्सकों की तीन सदस्यीय समिति बनाकर ऐसे अस्पतालों और क्लीनिकों की जांच होगी। मानकों पर खरे न उतरने वाले अस्पतालों के लाइसेंस निरस्त किए जाने पर विचार होगा।
-डॉ. भवतोष शंखधर सीएमओ