औद्योगिक क्षेत्रों में अधिकांश सड़कों में गड्ढे, उड़ रही धूल
उद्योग नगरी गाजियाबाद का औद्योगिक क्षेत्र ही बदहाल है। खुले दिनों में यहां सड़कों पर धूल उड़ती है तो बरसात के दिनों में गड्ढों में जलभराव आम बात है। सड़क निर्माण और पेयजल आपूर्ति के लिए पिछले काफी समय से औद्योगिक क्षेत्र मांग उठा रही हैं लेकिन हालात जस के तस बने हैं। उद्योग बंधु की बैठक से लेकर मंत्री व प्रमुख सचिव तक मांग रख चुके हैं।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : उद्योग नगरी गाजियाबाद का औद्योगिक क्षेत्र ही बदहाल है। खुले दिनों में यहां सड़कों पर धूल उड़ती है तो बरसात के दिनों में गड्ढों में जलभराव आम बात है। सड़क निर्माण और पेयजल आपूर्ति के लिए पिछले काफी समय से औद्योगिक क्षेत्र मांग उठा रही हैं, लेकिन हालात जस के तस बने हैं। उद्योग बंधु की बैठक से लेकर मंत्री व प्रमुख सचिव तक मांग रख चुके हैं।
गाजियाबाद का औद्योगिक क्षेत्र का देश के विकास में बड़ा योगदान रहता है। एक बड़ी रकम टैक्स के रूप में अदा करने वाले गाजियाबाद औद्योगिक क्षेत्र की हालत बेहद खराब है। जनपद के कविनगर, बुलंदशहर रोड, साउथ साइड जीटी रोड, मेरठ रोड, साहिबाबाद, लोनी, राजेंद्र नगर और श्याम पार्क औद्योगिक क्षेत्रों में करीब 27 हजार से अधिक उद्योग पंजीकृत है। यहां मूलभूत सुविधाओं के नाम पर न तो सड़क है और न पीने का पानी और सीवर व्यवस्था। सड़कों के नाम पर गड्ढे हैं और आम दिनों में यहां वाहनों के गुजरने पर धूल उड़ती है। वहीं, बरसात के दिनों में इन गड्ढों में जलभराव होता है। वहीं, सड़क पर दोपहिया वाहनों का कीचड़ से गुजरना दुश्वार रहता है। इंडस्ट्रीज एसोसिएशन कई बार उद्योग बंधु की बैठकों के अलावा निजी तौर पर तमाम संबंधित अधिकारियों के अलावा मंत्री एवं प्रमुख सचिव के समक्ष औद्योगिक क्षेत्र की समस्याओं को उठा चुके हैं, लेकिन किसी ने इस मामले में कोई गंभीरता नहीं दिखाई। इसका नतीजा हालात जस के तस हैं।
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सीवर की दरकार
बुलंदशहर रोड औद्योगिक क्षेत्र में कार्यरत कामगार काफी संख्या में परिवार के साथ यहां रहते हैं। यहां सीवर लाइन की कोई व्यवस्था नहीं है, जिसके चलते यहां से निकले अपशिष्ट व मल नाले-नालियों में ही बहाया जाता है। इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग मंत्री को पत्र भेजकर यहां सीवर लाइन की मांग की है।
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अधिकांश औद्योगिक क्षेत्रों का हाल बेहद खराब है। यहां सड़कों की हालत बेहद दयनीय है। सड़कों में बड़े-बड़े गड्ढे हैं और टैक्स इस तरह वसूला जाता है कि जैसे तमाम मूलभूत सुविधाएं दी गई हैं। कई बार उद्योग बंधु के अलावा मंत्री और प्रमुख सचिव के समक्ष उद्यमियों ने इस मुद्दे को उनके समक्ष उठाया, लेकिन हालात ज्यों के त्यों बने हैं।
- नीरज गोयल, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, आइआइए