ईस्टर्न पेरिफेरल से जुड़े 42 करोड़ के भुगतान में अड़चन
ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे पर बेशक वाहन रफ्तार से दौड़ रहे हैं लेकिन किसानों को अब तक मुआवजा नहीं मिला है। इतना ही नहीं सरकारी जमीन का पैसा भी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने नहीं दिया है। इसमें किसानों की चकरोड ट्यूबवेल और कुओं तक का प्रतिकर शामिल है। ताजा प्रकरण इस प्रोजेक्ट के लिए 16 गांवों की ग्राम सभा सार्वजिनक उपयोग की भूमि के पुनर्ग्रहण से जुड़ा हुआ है। इनमें से दो गांवों की जमीनों के पुनर्ग्रहण एवं दस्तावेजों में भारी अंतर पर एनएचएआइ ने डीएम को पत्र भेज कर जांच कराने का अनुरोध किया है।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे पर बेशक वाहन रफ्तार से दौड़ रहे हैं, लेकिन किसानों को अब तक मुआवजा नहीं मिला है। इतना ही नहीं सरकारी जमीन का पैसा भी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने नहीं दिया है। इसमें किसानों की चकरोड, ट्यूबवेल और कुओं तक का प्रतिकर शामिल है। ताजा प्रकरण इस प्रोजेक्ट के लिए 16 गांवों की ग्राम सभा सार्वजिनक उपयोग की भूमि के पुनर्ग्रहण से जुड़ा हुआ है। इनमें से दो गांवों की जमीनों के पुनर्ग्रहण एवं दस्तावेजों में भारी अंतर पर एनएचएआइ ने डीएम को पत्र भेज कर जांच कराने का अनुरोध किया है।
एनएचएआइ के पत्र के मुताबिक दस्तावेजों में भदौली का खसरा संख्या-1082 लिखा है, जबकि अधिग्रहित खसरा संख्या-1084 है। खसरा संख्या 1153 में वर्णित रकबा 0.2660 हेक्टेयर है, जबकि खतौनी में रकबा 0.0660 है। ऐसी ही गलतियां बसंतपुर सैथली के कई खसरों में पाई गई हैं। शासन एवं प्रशासन ने अब पैसा मांगा तो तकनीकी अड़चन बताते हुए एनएचएआइ ने पैसा देने से इन्कार कर दिया गया है। प्रोजेक्ट के लिए गांव भिक्कनपुर, दुहाई, बसंतपुर सैथली, नबीपुर, भदौली, मिल्कचाकरपुर, मनौली, रेवड़ी-रेवड़ा, इनायतपुर, सादतनगर, मटियाला, कनौजा, नबीपुर, विहंग की जमीन का अधिग्रहण एवं पुनर्ग्रहण किया गया है। 135 किलोमीटर लंबे और छह लेन चौड़े इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण पर 11 हजार करोड़ खर्च हुए हैं। जिले में इसके 25 किलोमीटर के हिस्से के लिए 16 गांवों की 351 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया है। अब तक 5058 किसानों को 1712 करोड़ का प्रतिकर वितरित किया जा चुका है। 199 किसानों को करीब सौ करोड़ प्रतिकर दिया जाना शेष है।
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16 गांवों की ग्राम सभा सार्वजनिक उपयोग की भूमि का पुनर्ग्रहण किया गया है। इसकी धनराशि एनएचएआइ को शासन के खाते में जमा करवानी है। बार-बार मांग भेजने पर भी यह धनराशि नहीं मिली है। अब एनएचएआइ ने जमीनों के कागज एवं मौके पर मिली जमीन के क्षेत्रफल में अंतर बताया जा रहा है। इसकी जांच का अनुरोध किया गया है। जांच एसडीएम द्वारा कराई जाएगी। इसके अलावा अवशेष किसानों का भुगतान आर्बिट्रेशन वादों के निस्तारण के बाद ही किया जा सकेगा।
- मदन सिंह गब्र्याल, अपर जिलाधिकारी भूमि अध्याप्ति किसान की जमीन ले ली और प्रतिकर नहीं दिया है। गांव की चकरोड एवं ट्यूबवेल तक का मुआवजा अवशेष है। सर्विस रोड का निर्माण तक मानकों के अनुसार न किए जाने से इंटरलॉकिग उखड़ गई हैं। ग्राम सभा की जमीन का पैसा मिलने पर गांव के विकास पर उसे खर्च किया जाएगा।
- मास्टर मनोज नागर, किसान, इनायतपुर एनएचएआइ के अफसर प्रशासन के लिए और प्रशासन एनएचएआइ के लिए बोलकर किसानों की बात टाल रहे हैं। किसानों का मुआवजा अटका हुआ है। ग्राम सभा की जमीन का पैसा भी अटका हुआ है। किसान आंदोलन के मूड में है। कई बार कलक्ट्रेट सभागार में हुई बैठक बेनतीजा रही हैं।
- शिवराज त्यागी, किसान भदौली