अब डीजल और कोयला से संचालित इकाइयों पर सख्ती
अब डीजल और कोयला से संचालित इकाइयों पर सख्तीअब डीजल और कोयला से संचालित इकाइयों पर सख्तीअब डीजल और कोयला से संचालित इकाइयों पर सख्तीअब डीजल और कोयला से संचालित इकाइयों पर सख्तीअब डीजल और कोयला से संचालित इकाइयों पर सख्तीअब डीजल और कोयला से संचालित इकाइयों पर सख्ती
जागरण संवाददाता, साहिबाबाद (गाजियाबाद) : दिल्ली-एनसीआर में बिगड़ती आबोहवा को संतुलित करने के लिए उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गाजियाबाद, लोनी नोएडा और औद्योगिक क्षेत्रों में चल रही डीजल व कोयला इकाइयों को 15 दिन के भीतर सल्फर डाईऑक्साइड व नाइट्रोजन ऑक्साइड को नियंत्रित करने के लिए प्रदूषण यंत्र लगाने के निर्देश दिए हैं। 15 दिन के भीतर अगर डीजल व कोयला से संचालित इकाइयां प्रदूषण नियंत्रण यंत्र नहीं लगाती है तो सी¨लग की कार्रवाई की जाएगी।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी अशोक तिवारी ने बताया कि प्रदूषण की भयावह स्थिति को देखते हुए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पीएम-10 और पीएम-2.5 के बाद एसओ-2 यानी सल्फर डाईऑक्साइड और एनओएक्स यानी नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड जैसी जहरीली गैसों के फैलने पर भी अंकुश लगाना अब इकाइयों के लिए अनिवार्य होगा। बोर्ड ने डीजल व कोयला से संचालित होने वाली इकाइयों को 15 दिनों के भीतर इन दोनों गैस को रोकने के लिए यंत्र लगाने के निर्देश दिए हैं। उत्तर प्रदेश नियंत्रण बोर्ड ने गैस से संचालित इकाइयों को थोड़ी राहत दी है। सल्फर ऑक्साइड और नाइट्रोजन डाईऑक्साइड दोनों अत्यंत जहरीली गैस हैं जो मानव के साथ जीव-जंतुओं पर भी प्रभाव डालती हैं। प्रदूषण पर दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रकोप को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। बता दें कि साहिबाबाद औद्योगिक क्षेत्र, लोनी औद्योगिक क्षेत्र, औद्योगिक क्षेत्र गाजियाबाद, बुलंदशहर औद्योगिक क्षेत्र, उद्योग कुंज एनएच-24 और ईट भंट्ठों से जहरीली गैस निकलती है, जो सांस लेने के रास्ते महीन कण के जरिए भीतर जाते हैं और आमजन के लिए परेशानी का सबब बनते हैं।