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संशोधित: जिनका कोई नहीं अपना, संजो रहे दुनिया बचाने का सपना

Þयहां कोई नहीं अपना तो क्या गम है, दुनिया में मैं बांट रहा हूं प्यार, ये क्या कम है..Þ किसी शायर की ये पंक्तियां वसुंधरा के एक अनाथ आश्रम के बच्चों पर सटीक साबित हो रही हैं। संपन्न परिवारों के बच्चों को भले ही दीवाली आते ही पटाखों की ¨चता सता रही हो लेकिन अनाथ बच्चों के नन्हे-मुन्ने हाथ अपने ही अंदाज में लोगों को कुछ सिखाने का प्रयास कर रहे हैं। वसुंधरा स्थित लाल बहादुर शास्त्री सुदर्शनम बाल आश्रम के बच्चों ने करीब पांच सौ रंग-बिरंगे दिए बनाए हैं। विभिन्न सोसायटीज में प्रदर्शनी लगाकर बच्चे लोगों से ईको फ्रेंडली दीवाली मनाने की अपील करेंगे।

By JagranEdited By: Published: Wed, 31 Oct 2018 09:54 PM (IST)Updated: Wed, 31 Oct 2018 09:54 PM (IST)
संशोधित: जिनका कोई नहीं अपना, संजो रहे दुनिया बचाने का सपना
संशोधित: जिनका कोई नहीं अपना, संजो रहे दुनिया बचाने का सपना

सौरभ पांडेय, वसुंधरा : यहां कोई नहीं अपना तो क्या गम है, दुनिया में मैं बांट रहा हूं प्यार, ये क्या कम है.. किसी शायर की ये पंक्तियां वसुंधरा के एक अनाथ आश्रम के बच्चों पर सटीक साबित हो रही हैं। संपन्न परिवारों के बच्चों को भले ही दीवाली आते ही पटाखों की ¨चता सता रही हो लेकिन अनाथ बच्चों के नन्हे-मुन्ने हाथ अपने ही अंदाज में लोगों को कुछ सिखाने का प्रयास कर रहे हैं। वसुंधरा स्थित लाल बहादुर शास्त्री सुदर्शनम बाल आश्रम के बच्चों ने करीब पांच सौ रंग-बिरंगे दीये बनाए हैं। विभिन्न सोसायटीज में प्रदर्शनी लगाकर बच्चे लोगों से ईको फ्रेंडली दीवाली मनाने की अपील करेंगे। लिया संकल्प, हम साफ करेंगें अपना देश: भरतपुरिया शिक्षा समिति के अंतर्गत चलने वाले लाल बहादुर शास्त्री आश्रम और स्कूल की प्रधानाचार्य रेणुका ने बताया कि आश्रम में बच्चों को रोज अखबार पढ़कर खबरें बताई जाती हैं। करीब एक सप्ताह पूर्व देश में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण की खबर के बारे में बच्चों को जानकारी दी गई तो उन्होंने पूछा कि प्रदूषण क्यों बढ़ता है। बच्चों को जब प्रदूषण के बारे में बताया गया तो उन्होंने संकल्प लिया कि वे अब दीवाली पर पटाखे नहीं जलाएंगें। इस दौरान कुछ बच्चों ने कहा कि वे सिर्फ दीये जलाकर दीवाली मनाएंगें, साथ ही हाथ से दीये बनाकर लोगों को भी जागरूक करेंगें। महज सात साल की दीपांजली ने की पहल: शुरुआत में बच्चों को दीये बनाने की जानकारी नहीं थी। ऐसे में क्ले मिट्टी से खेलने वाली सात साल की दीपांजली ने सबसे पहले दीये बनाने की शुरुआत की। दीपांजली ने सबसे पहले दीया बनाया और अन्य बच्चों को भी सिखाया। इसके बाद दीयों पर ईको फ्रेंडली रंग किए। तीसरी कक्षा में पढ़ने वाली दीपांजली को पें¨टग का शौक है लेकिन इस बार उसका यह शौक लोगों को प्रेरणा देगा। उधर, आठवीं कक्षा की छात्राएं मीनाक्षी और बीना शहीदों के नाम बनाए एक मॉडल पर दीया जलाकर शहीदों को श्रद्धांजलि देंगी। नोएडा की कंपनी में भी लगेगी प्रदर्शनी: प्रधानाचार्य रेणुका ने बताया कि पिछले दिनों नोएडा की एक नामी कंपनी के कुछ लोग अनाथ आश्रम में आए थे। बच्चों के काम को देखकर उन्होंने भी दिवाली से पहले कंपनी में बच्चों की एक प्रदर्शनी लगाने को कहा है। कंपनी के अलावा बच्चे वसुंधरा की ऑलिव काउंटी, गार्डेनिया ग्लैमर सोसायटी में प्रदर्शनी लगाकर लोगों को जागरूक करेंगें।

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