नोएडा-गाजियाबाद के सरकारी अस्पतालों में नहीं मिल पाया नवजात शिशु को इलाज
पीड़ित को मजबूरी में दिल्ली के एक अस्पताल में नवजात को भर्ती कराना पड़ा।
जागरण संवाददाता, साहिबाबाद : नोएडा-गाजियाबाद के सरकारी अस्पतालों में एक इलेक्ट्रीशियन के नवजात शिशु को इलाज नहीं मिल पाया। शिशु को मजबूरी में दिल्ली के विनोद नगर स्थित निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। इलेक्ट्रीशियन का कहना है कि उसके पास शिशु के इलाज के लिए रुपये नहीं हैं, अगर उसके बच्चे का किसी सरकारी अस्पताल में इलाज हो जाए तो उसकी परेशानी दूर हो सकती है।
छपरौला निवासी जितेंद्र इंदिरापुरम स्थित ऑरेंज काउंटी सोसायटी में इलेक्ट्रीशियन हैं। जितेंद्र ने बताया कि उसने अपनी पत्नी को विजयनगर स्थित निजी अस्पताल में भर्ती करवाया था। दो अगस्त को उसकी पत्नी ने एक शिशु को जन्म दिया, जिसका वजन कम होने के कारण उसे हायर सेंटर रेफर कर दिया गया। जितेंद्र अपने नवजात शिशु को उपचार के लिए नोएडा सेक्टर-30 स्थित सरकारी अस्पताल ले गए, जहां उनसे कहा गया कि अस्पताल में कोरोना संक्रमित मरीज भर्ती हैं, बच्चे को दूसरे अस्पताल ले जाओ। शिशु को लेकर जितेंद्र गाजियाबाद स्थित एमएमजी अस्पताल पहुंचे। यहां पर अस्पताल प्रबंधन ने शिशु को सुविधाओं की अभाव में भर्ती करने से मना कर दिया।
शिशु को इलाज न मिलने के कारण जितेंद्र और उनका परिवार परेशान हो गया। अंत में वह शिशु को उपचार के लिए दिल्ली के विनोद नगर स्थित निजी अस्पताल ले गए। यहां उपचार में ज्यादा रुपये खर्च हो रहे हैं, जिस कारण शिशु के उपचार में परेशानी हो रही है। इस मामले की जानकारी होने पर ट्रांस हिडन की ऑरेंज काउंटी स्थित कई अन्य सोसायटियों के निवासियों ने उनकी मदद करने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। लोगों की मांग है कि जल्द ही ट्रांस हिडन में सरकारी अस्पताल खुलना चाहिए, जिससे की इलाज के लिए मरीजों को भटकना न पड़े। इस मामले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एनके गुप्ता से उनका पक्ष जानने के लिए फोन किया गया लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका है।