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दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल कॉरिडोर के निर्माण के लिए नहीं पर्यावरण मंजूरी की जरूरत : एनसीआरटीसी

दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल कॉरिडोर के निर्माण के लिए पर्यावरण मंजूरी लेने की जरूरत नहीं है। नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (एनसीआरटीसी) ने आरटीआइ के जवाब में कहा है कि यह रेल आधारित प्रोजेक्ट है। इसके लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से किसी तरह की मंजूरी लेने की जरूरत नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 03 Nov 2019 08:48 PM (IST)Updated: Mon, 04 Nov 2019 06:18 AM (IST)
दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल कॉरिडोर के निर्माण के लिए नहीं पर्यावरण मंजूरी की जरूरत : एनसीआरटीसी
दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल कॉरिडोर के निर्माण के लिए नहीं पर्यावरण मंजूरी की जरूरत : एनसीआरटीसी

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल कॉरिडोर के निर्माण के लिए पर्यावरण मंजूरी लेने की जरूरत नहीं है। नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (एनसीआरटीसी) ने आरटीआइ के जवाब में कहा है कि यह रेल आधारित प्रोजेक्ट है। इसके लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से किसी तरह की मंजूरी लेने की जरूरत नहीं है।

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82 किलोमीटर का रैपिड रेल कॉरिडोर दिल्ली के सराय कालेखां से शुरू होकर गाजियाबाद के रास्ते मेरठ के मोदीपुरम तक बनना है। पहले चरण में साहिबाबाद से दुहाई तक 17 किलोमीटर कॉरिडोर का निर्माण कार्य चल रहा है। इस हिस्से पर 2023 तक रैपिड रेल का परिचालन प्रारंभ करने का लक्ष्य रखा गया है। इस निर्माण कार्य में पिलर बनाने के लिए जमीन खोदी जा रही है। झील और हिडन नदी के बीच इसका पिलर बनाया जाएगा। कई जगह कॉरिडोर सघन वन क्षेत्र से गुजरेगा। इसे लेकर पर्यावरण एक्टिविस्ट सुशील राघव ने एनसीआरटीसी में आरटीआइ के माध्यम से पूछा था कि क्या रैपिड रेल प्रोजेक्ट के लिए पर्यावरण मंजूरी ली गई है? क्या पेड़ कटने, नदी में पिलर बनाने के कारण पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन किया गया है? यह भी पूछा था कि कितने पेड़ इस प्रोजेक्ट के लिए काटे जाएंगे? दिल्ली और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से ली गई एनओसी की जानकारी मांगी थी। एनसीआरटीसी के सीपीआइओ प्रमोद कुमार ने आरटीआइ के जवाब में बताया है कि यह रेल आधारित प्रोजेक्ट है। इसके लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से मंजूरी लेने की जरूरत नहीं है। दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर पर वायु की गुणवत्ता का आकलन कराया गया है। उसके लिए पर्यावरण प्रबंधन प्लान बनवाया गया है। जवाब में यह भी बताया कि 2515 पेड़ काटे जाएंगे। उसके एवज में 25 हजार से ज्यादा पेड़ लगाए जाएंगे। तीन वर्ष तक एनसीआरटीसी उनकी देखभाल करेगा। उसकी अनुमति सामाजिक वानिकी प्रभागीय निदेशक से मिली गई है।


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