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यूपी सरकार ने खारिज की IMT की अर्जी, MP के सीएम कमलनाथ के बेटे से जुड़ा है मामला

IMT Ghaziabad आइएमटी की अर्जी को उत्तर प्रदेश सरकार ने खारिज कर दिया है। 11503 वर्ग गज भूमि पुरानी दरों पर ब्याज लेकर बहाल नहीं की जाएगी।

By Mangal YadavEdited By: Published: Thu, 26 Sep 2019 02:43 PM (IST)Updated: Thu, 26 Sep 2019 06:38 PM (IST)
यूपी सरकार ने खारिज की IMT की अर्जी, MP के सीएम कमलनाथ के बेटे से जुड़ा है मामला
यूपी सरकार ने खारिज की IMT की अर्जी, MP के सीएम कमलनाथ के बेटे से जुड़ा है मामला

गाजियाबाद, जेएनएन।  इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी (आइएमटी) की जमीन का आवंटन पुरानी दर पर ब्याज लेकर बहाल नहीं होगा। प्रमुख सचिव आवास ने आइएमटी प्रबंधन की अर्जी को खारिज कर दिया है। निर्णय सुनाया है कि वर्ष 1999 के शासनादेश की शर्तों को पूरा करने पर ही पुर्नावंटन किया जा सकेगा। शासनादेश के फार्मूले के हिसाब से आइएमटी प्रबंधन को जमीन की कीमत करीब 75 करोड़ रुपये चुकानी होगी।

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जीडीए वीसी कंचन वर्मा ने बताया कि जल्द इस निर्णय की कॉपी इलाहाबाद हाईकोर्ट को सौंपी जाएगी। इस प्रसिद्ध संस्थान के प्रेसिडेंट बकुलनाथ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे हैं। 

आइएमटी ने नहीं किया था भुगतान

राजनगर सेक्टर-20 में वर्ष 1981 में आइएमटी को 11503.34 वर्ग गज जमीन आवंटित की गई थी। तब आइएमटी को 1.95 लाख रुपये देने थे। आवंटन के बाद आइएमटी ने भुगतान नहीं किया। वर्ष 1994 तक जीडीए की तरफ से लगातार भुगतान के संबंध में नोटिस भेजे गए। बकाया धनराशि जमा न होने पर जीडीए ने किसी तरह का कड़ा रुख नहीं अपनाया। बाद में नोटिस भेजने भी बंद कर दिए। 

पार्षद राजेंद्र त्यागी ने की थी शिकायत

इस वर्ष पार्षद राजेंद्र त्यागी ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री को भेजी। उसके बाद जीडीए ने जांच कराई गई। जांच में आरोप सही मिलने पर जीडीए ने इस जमीन का आवंटन निरस्त कर दिया था। इसके खिलाफ आइएमटी प्रबंधन इलाहाबाद हाईकोर्ट गया। वहां से आदेश हुआ था कि आइएमटी प्रबंधन पहले पांच करोड़ रुपये जीडीए में जमा कराए। फिर प्रमुख सचिव आवास आइएमटी प्रबंधन के प्रत्यावेदन पर निर्णय करें।

आइएमटी प्रबंधन ने इस आदेश का पालन करते हुए धनराशि जमा करा दी। साथ ही प्रमुख सचिव आवास के यहां दो अर्जियां लगाईं। एक में कहा कि वर्ष 1981 की दर पर ब्याज लगाते हुए निरस्त आवंटन को पुनर्बहाल कर दिया जाए। दूसरी अर्जी में तोड़फोड़ न करने की मांग की। इस मामले में प्रमुख सचिव आवास दीपक कुमार ने 30 अगस्त को सुनवाई की थी।

आइएमटी प्रबंधन ने पुनर्बहाल करने की थी अपील

जीडीए ने आइएमटी प्रबंधन की गुजारिश का नकारते हुए कहा कि पुरानी दर पर ब्याज लगाकर आवंटन को पुनर्बहाल करना मुमकिन नहीं। वर्ष 1999 के शासनादेश से स्पष्ट है कि बाजार मूल्य का 75 फीसद और वर्तमान सर्किल रेट में से जो ज्यादा हो, उस पर जमीन की कीमत तय करके पुर्नावंटन कर दिया जाए। प्रमुख सचिव ने अब इस मामले में निर्णय सुनाया है। उन्होंने आइएमटी प्रबंधन की अर्जी को खारिज कर दिया है।

जीडीए की दलील को स्वीकारते हुए आइएमटी को शासनादेश के हिसाब से पुर्नावंटन कराने का मौका दिया है। जीडीए के मुताबिक शासनादेश के हिसाब से 11503.34 वर्ग गज जमीन की कीमत करीब 75 करोड़ रुपये बनती है। जीडीए जल्द इस निर्णय की कॉपी इलाहाबाद हाईकोर्ट को सौंपेगा।

दूसरा विवाद बाकी

आइएमटी से जुड़ा दूसरा विवाद अभी चल रहा है। पार्षद राजेंद्र त्यागी ने आरोप लगाया था कि राजनगर सेक्टर-20 में जमीन लाजपतराय कॉलेज के लिए लाजपतराय स्मारक महाविद्यालय सोसायटी को दी गई थी। इस पर कॉलेज का छात्रावास और खेल मैदान बनना था। कॉलेज की स्थाई मान्यता के लिए इसी भूमि को मेरठ स्थित चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में बंधक बनाया गया है। लेकिन, न कॉलेज का छात्रावास बना और न ही खेल मैदान। इस जमीन पर आइएमटी बना दिया गया। उन्होंने सवाल उठाया था कि जब जमीन का कब्जा कॉलेज के पास नहीं, तो मान्यता कैसे बरकरार है? कॉलेज संचालित कर रही सोसायटी ने आइएमटी बनने पर आपत्ति क्यों नहीं जताई? इस मामले में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के स्तर पर जांच चल रही है।

जीडीए की वीसी कंचन वर्मा ने बताया कि  प्रमुख सचिव आवास ने आइएमटी प्रबंधन की अर्जी को खारिज कर दिया है। निर्णय सुनाया है कि वर्ष 1999 के आवंटन पुनर्बहाली के संबंध में जारी हुए शासनादेश को आधार पर ही कार्यवाही की जाए। वहीं, आइएमटी के निदेशक आशीष भट्टाचार्य का कहना है कि मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है। प्रमुख सचिव आवास ने जो निर्णय दिया है उसका परीक्षण किया जाएगा। जरूरत पड़ी तो अपील दाखिल की जाएगी।

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