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यूपी चुनाव 2022: मंदिर आंदोलन से खुला था भाजपा का खाता, पढ़िए गाजियाबाद में कब खिला कमल

चुनाव हो और नारे न हों तो बात अधूरी लगती है। आजकल एक गाना खूब चल रहा है जो राम को लाए हैं हम उनको लाएंगे। ये गाना क्यों बनाया गया उसके पीछे रणनीति साफ है कि जिले में 1991 में ही भाजपा का खाता खुला।

By Pradeep ChauhanEdited By: Published: Sat, 22 Jan 2022 04:37 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jan 2022 04:37 PM (IST)
यूपी चुनाव 2022: मंदिर आंदोलन से खुला था भाजपा का खाता, पढ़िए गाजियाबाद में कब खिला कमल
31 साल पहले प्रदेश में पहली बार भाजपा को सत्ता भगवान राम ने ही दिलाई थी।

गाजियाबाद [आयुष गंगवार] । चुनाव हो और नारे न हों तो बात अधूरी लगती है। आजकल एक गाना खूब चल रहा है, जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे। ये गाना क्यों बनाया गया, उसके पीछे रणनीति साफ है कि जिले में 1991 में राम मंदिर आंदोलन के बाद ही भाजपा का खाता खुला। राम मंदिर का मुद्दा ही था, जिसने जिले में ही नहीं, पूरे प्रदेश में कमल के लिए माहौल तैयार किया। 31 साल पहले प्रदेश में पहली बार भाजपा को सत्ता भगवान राम ने ही दिलाई थी।

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तभी से कायम है दबदबा : राम मंदिर आंदोलन से पहले जिले में हुए 10 चुनाव में 30 विधायक चुने गए, जिनमें भाजपा का एक भी विधायक शामिल नहीं था, जबकि पार्टी तीन बार चुनाव लड़ चुकी थी। राम मंदिर आंदोलन से भाजपा के लिए चुनावी जमीन तैयार हुई, जिसके बाद 1991 में गाजियाबाद सीट पर बालेश्वर त्यागी को जीत मिली और भाजपा का खाता खुला।

उन्होंने लगातार तीन चुनाव जीते। अगले चुनाव में भाजपा के दो विधायक चुने गए। दूसरे विधायक मोदीनगर से नरेंद्र सिसोदिया थे और उन्होंने भी जीत की हैटिक लगाई। 1991 से 2007 तक पांच चुनाव तीन सीट पर और 2012 में परिसीमन के बाद दो चुनाव पांच सीट पर हो चुके हैं। 2004 और 2008 में हुए उपचुनाव को जोड़ लें तो राम मंदिर आंदोलन के बाद अब तक जिले में 27 विधायक चुने गए और इनमें सबसे ज्यादा 12 विधायक भाजपा के शामिल हैं।

आईने से

  • पहले एक दो दिन जेल का खाना दिया गया। हम लोग भूख हड़ताल पर बैठ गए तो रामभक्तों के लिए जेल में अलग से हलवाई बुलाया गया। कारसेवकों की अस्थि के साथ घूमे, जिससे जनमानस राम मंदिर के मुद्दे से जुड़ा और भाजपा को फायदा मिला। रमेश चंद्र तोमर, पूर्व सांसद
  • जेल में ही हम लोगों ने दीवाली मनाई और भाई दूज के पर्व पर पूरे सहारनपुर से आई महिलाओं ने राम भक्तों का तिलक किया था। जिले में ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश की जनता पर इसका बड़ा असर हुआ था। 27 दिन जेल में रहने के बाद नौ नवंबर को बाहर निकले थे। राम अवतार गुप्ता, गोविंदपुरम
  • राम मंदिर निर्माण को लेकर कारसेवकों ने अयोध्या कूच की तैयारी की थी। 12 अक्टूबर 1990 की रात अचानक पुलिस घर पर आई और कहा, जिलाधिकारी ने बैठक के लिए बुलाया है। हमें सीधे सहारनपुर जेल ले जाया गया।  विजय मोहन, वरिष्ठ भाजपा नेता

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