Move to Jagran APP

Ghaziabad News: औद्योगिक क्षेत्रों में किराये पर चल रहीं इकाइयां, खतरे में जान

किराये पर चल रही इकाई में इलेक्ट्रानिक आइटम की जगह बारुद से खिलौना गन की गोलियां बनाने का काम चल रहा था। अवैध किरायेदारी और पंजीकृत कार्य से अलग काम कर रहे उद्यमियों की जानकारी औद्योगिक संगठनों को मिलना ज्यादा आसान है।

By Shahnawaz AliEdited By: Abhishek TiwariPublished: Sun, 04 Dec 2022 09:07 PM (IST)Updated: Mon, 05 Dec 2022 08:31 AM (IST)
Ghaziabad News: औद्योगिक क्षेत्रों में किराये पर चल रहीं इकाइयां, खतरे में जान
Ghaziabad News: औद्योगिक क्षेत्रों में किराये पर चल रहीं इकाइयां, खतरे में जान

गाजियाबाद, जागरण संवाददाता। उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) के क्षेत्रीय प्रबंधक राकेश झा को धौलाना क्षेत्र की औद्योगिक इकाई में छह माह पूर्व हुए विस्फोट मामले में जांच के बाद निलंबित किया गया। यहां किराये पर चल रही इकाई में इलेक्ट्रानिक आइटम की जगह बारुद से खिलौना गन की गोलियां बनाने का काम चल रहा था। इसमें 17 कामगारों की जान गई थी, जबकि करीब इतने ही बुरी तरह झुलस गए थे।

loksabha election banner

गाजियाबाद और हापुड़ में यूपीसीडा के 11 औद्योगिक क्षेत्र हैं, जिनमें 11 हजार से अधिक इकाइयां संचालित हैं। इनकी जांच का जिम्मा विभाग के एक जेई पर है। औद्योगिक क्षेत्रों में किराये पर चल रही इकाइयों में सुरक्षा के इंतजाम नाकाफी हैं।

जान जोखिम में डालकर ड्यूटी को अंजाम दे रहे कामगारों के साथ फिर से बड़ा हादसा हो सकता है। क्षेत्रीय प्रबंधक के निलंबन के बाद यहां चंद्रकेश मौर्य चार्ज ले सकते हैं। उनसे इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि चार्ज लेने के बाद ही वह इस बारे में कुछ बता पाएंगे।

औद्योगिक संगठनों को आंखे खुली रखना भी जरूरी

अवैध किरायेदारी और पंजीकृत कार्य से अलग काम कर रहे उद्यमियों की जानकारी औद्योगिक संगठनों को मिलना ज्यादा आसान है। यूपीसीडा व अन्य विभाग एवं निजी औद्योगिक क्षेत्रों के डेढ़ दर्जन से अधिक औद्योगिक क्षेत्र हैं, जहां उद्यमियों और उनके संगठनों को अवैध किरायेदारी से लेकर यह भी पता होता है कि कौन सी इकाई किस काम के लिए पंजीकृत है और काम क्या हो रहा है। इसके लिए किसी भी हादसे से बचाव के लिए उनकी आंखे खुली रखना बेहद लाजमी है ताकि किसी भी अनहोनी और गैरकानूनी काम को बढ़ने से रोका जा सके।

बरातघर और अवैध किरायेदारी पर चला था चाबुक

वर्ष 2019 में सघन अभियान चलाकर यूपीसीडा की तत्कालीन क्षेत्रीय प्रबंधक स्मिता सिंह ने पुलिस और अग्निशमन अधिकारी के साथ संयुक्त कार्रवाई करते हुए अवैध किरायेदारी और ऐसे बरातघरों के विरुद्ध अभियान छेड़ा था, जिसमें सुरक्षा के इंतजाम नहीं थे। ऐसे में छह बरातघर को बंद कराया गया और तीन ने खुद ही बंद कर दिए थे और पांच हाई कोर्ट से स्टे ले आए थे।

किरायेदारी के लिए हैं ये नियम

भूखंड जिस काम के लिए आवंटित कराया उद्यमी वही काम करेगा। आवंटी अपना काम बदलना चाहता है तो संबंधित विभाग को देगा सूचना। आवंटी कारखाना चलाने में अक्षम होने पर किराये पर देने के लिए आवंटी, किरायेदार और यूपीसीडा के साथ दो प्रतिशत शुल्क के साथ इसमें कार्य बताकर एक से 15 वर्ष तक के लिए स्टांप ड्यूटी देकर पंजीकरण कराता है। 

किरायेदारी के लिए आनलाइन या डिमांड ड्राफ्ट के जरिये यूपीसीडा को शुल्क अदा किया जाता है। भूखंड को उद्यमियों ने जिस उपयोग के लिए आवंटित कराया है। उसमें वही काम होना चाहिए। अगर किरायेदारी की बात हो तो वह भी नियम विरुद्ध न हो। साथ ही किरायेदारी की प्रक्रिया जटिलताओं से मुक्त करते हुए सरल किया जाए और पूर्व की भांति चार्ज लिया जाए। - राजीव अरोड़ा, महासचिव बुलंदशहर रोड इंडस्ट्रियल एसोसिएशन 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.