Sawan Somvar 2020: श्री दूधेश्वर नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ी तो प्रशासन ने बंद कराए कपाट
कोरोना से भक्तों की सुरक्षा को देखते हुए मंदिर के कपाट बंद कराए गए। मंदिर के महंत नारायण गिरि ने विधि विधान से भगवान दूधेश्वरनाथ का रूद्राभिषेक किया।
गाजियाबाद, जागरण संवाददाता। सावन के पहले सोमवार की सुबह श्री दूधेश्वर नाथ मंदिर में पूजा अर्चना के लिए श्रद्धालुओं की ज्यादा लंबी लाइन लगती देख प्रशासन की ओर से मंदिर के कपाट बंद करने के आदेश जारी कर दिए गए। कोरोना से भक्तों की सुरक्षा को देखते हुए मंदिर के कपाट बंद कराए गए। मंदिर के महंत नारायण गिरि ने विधि विधान से भगवान दूधेश्वरनाथ का रूद्राभिषेक किया।
श्री दूधेश्वरनाथ मंदिर के महंत नारायण गिरि ने बताया कि सावन के पहले सोमवार को पूजा अर्चना के लिए सुबह पांच बजे मंदिर के कपाट खोल दिए गए थे। लेकिन भक्तों का इतनी लंबी लाइन लग गई और भीड़ बढ़ गई कि शारीरिक दूरी का पालन कराना मुश्किल हो गया था। भक्तों की कोरोना से सुरक्षा को देखते हुए सुबह करीब 11 बजे प्रशासन की ओर से मंदिर के कपाट बंद करने के आदेश हो गए।
आदेश का पालन करते हुए तुरंत मंदिर के कपाट भक्तों के दर्शनार्थ बंद कर दिए गए। मंदिर समिति और महंत नारायण गिरि ने ही विधि विधान से भगवान दूधेश्वरनाथ का रूद्राभिषेक किया। महंत नारायण गिरि ने भक्तों से अपील की है कि सभी भक्त घर पर रहकर ही पूजा अर्चना करें। उन्होंने कहा कि सबसे पहले कोरोना से अपनी और अपने परिवार की रक्षा करने की जरूरत है। घर पर रहकर ही सच्चे मन से पूजा अर्चना करेंगे तो महादेव का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
दूधेश्वरनाथ मंदिर मे गुरु मूर्तियों का पूजन अभिषेक कर मनाई गुरु पूर्णिमा
रविवार को श्री दूधेश्वरनाथ मठ मंदिर में गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया गया। मंदिर के महंत नारायण गिरि ने बताया कि हर साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा को ही गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है। गुरुओं को भगवान से भी ऊपर का दर्जा प्राप्त हैं क्योंकि गुरु ही हमें अज्ञानता के अंधेरे से सही मार्क की ओर ले जाता है। नारायण गिरि ने बताया कि इस दिन आदिगुरु महाभारत के रचयिता और चार वेदों के व्याख्याता महर्षि कृष्ण द्वैपायन व्यास अर्थात महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। महर्षि व्यास संस्कृत के महान विद्वान थे। सभी 18 पुराणों का रचयिता भी महर्षि वेदव्यास को ही माना जाता है। साथ ही वेदों को विभाजित करने का श्रेय भी उन्हें ही दिया जाता है। इस साल भी पिछले साल की तरह गुरु पूर्णिमा के दिन साधारण रूप से मनाई गई। जिसमे सबसे पहले गुरू भगवान श्री दत्तात्रेय का गुरू पूजन किया। इसके बाद भगवान दूधेश्वर का अभिषेक पूजन किया।