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Ghaziabad: यूपी चुनाव 2022 में पड़ गई थी सांसद और विधायकों के बीच दरार, अब खुलकर सामने कलह

Ghaziabad MP VK Singh and MLAs केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह और गाजियाबाद के विधायकों के बीच मचे घमासान के पीछे विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान की कहानी सामने आ रही है। इस घमासान के बाद अब पार्टी में हलचल मची हुई है।

By Ashutosh AgnihotriEdited By: GeetarjunPublished: Wed, 09 Nov 2022 05:23 PM (IST)Updated: Wed, 09 Nov 2022 08:28 PM (IST)
Ghaziabad: यूपी चुनाव 2022 में पड़ गई थी सांसद और विधायकों के बीच दरार, अब खुलकर सामने कलह
यूपी चुनाव 2022 में पड़ गई थी सांसद और विधायकों के बीच दरार, अब खुलकर सामने कलह

गाजियाबाद [आशुतोष अग्निहोत्री]। केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह और गाजियाबाद के विधायकों के बीच मचे घमासान के पीछे विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान की कहानी सामने आ रही है। चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा, BJP) ने गाजियाबाद की स्थिति को लेकर जो आंतरिक सर्वे कराया था, उसमें जिले की शहर विधानसभा, साहिबाबाद, मोदीनगर, और लोनी सहित चार जगहों पर प्रत्याशी बदलने की चर्चा जोरों पर थी। जनरल स्थानीय सांसद हैं, ऐसे उनकी भी राय संगठन के साथ थी।

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हालांकि पहले चरण के चुनाव से ठीक पहले तत्कालीन कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने पार्टी छोड़ी और बड़े स्तर पर विधायकों के पाला बदलने की आशंका से सहमी भाजपा ने गाजियाबाद सहित पश्चिम के कई जिलों में पुराने चेहरों पर ही दाव आजमाया।

विधायकों का प्रचार नहीं गए जनरल

अपनी-अपनी टिकट बचाने के बाद विधायकों ने जनरल वीके सिंह को अपने क्षेत्रों में चुनाव प्रचार के लिए बुलाया नहीं, और बिना बुलाए जनरल उनका प्रचार करने नहीं गए। जनरल केवल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जनसभा और उनके रोड शो में ही शामिल हुए। अब विवाद उजागर होने के बाद सभी विधायक इस मुद्दे को भी तूल दे रहे हैं कि आखिर जनरल ने चुनाव में उनका प्रचार क्यों नहीं किया।

चुनाव बाद बढ़ा मनमुटाव

इसे मोदी-योगी के जादू का असर कहें या इन विधायकों का भाग्य कि सभी अपनी सीटें बचाने में कामयाब रहे और दोबारा विधानसभा पहुंचे। भाजपा की जीत के बाद जब साहिबाबाद के विधायक सुनील शर्मा सबसे बड़े अंतर से जीते तो चर्चा चली कि वह प्रदेश सरकार में मंत्री बनेंगे। अतुल गर्ग भी यह उम्मीद लगाए बैठे थे कि उन्हें भी इस बार जीत के तोहफे के रूप में कैबिनेट में जगह मिलेगी। लेकिन इन विधायकों के सपने उस समय टूट गए, जब पूर्व राज्यसभा सदस्य नरेंद्र कश्यप ने राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार के रूप में शपथ ले ली। विधायकों ने इसके लिए जनरल वीके सिंह को जिम्मेदार ठहराया और उसके बाद से मनमुटाव और बढ़ गया।

संगठन की चुप्पी से बढ़ा विवाद

इस घटनाक्रम के बाद जनरल ने विधायकों को अपनी मीटिंग में बुलाना बंद कर दिया और विधायकों ने उनके किसी भी कार्यक्रम में जाने से तौबा कर ली। हाल में ही जनरल ने यूनानी अस्पताल ऐसा नहीं था कि संगठन को इसकी जानकारी नहीं थी लेकिन किसी ने भी इस मसले को गंभीरता से नहीं लिया। हालात यहां तक खराब होते गए कि आखिर शनिवार को सभी विधायकों ने एकजुट होकर जनरल की मीटिंग का बहिष्कार कर डाला।

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भाजपा में इस घमासान के बाद अब पार्टी में हलचल मची हुई है। एक ओर जहां सभी विधायक शीर्ष नेतृत्व से मिलने की जुगत में है वही जनरल अपना पक्ष रखने के लिए मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष तक शिकायत करने की बात कह रहे हैं। अगर भाजपा नेतृत्व ने इस मामले को गंभीरता से ना लिया तो आने वाले दिनों में जनप्रतिनिधियों की लड़ाई और लंबी खिंच सकती है।

भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष मोहित बेनीवाल ने कहा कि गाजियाबाद में सांसद और विधायकों के बीच विवाद की जानकारी मिली है। किसी के बीच अगर मनमुटाव है तो उसे मिल बैठकर सुलझाना चाहिए। स्थानीय संगठन से इस प्रकरण की रिपोर्ट मांगी है।

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