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उत्तर प्रदेश का एक परिवार छुट्टी के दिन सड़क किनारे बीनता है कूड़ा

यह परिवार पीपल के वृक्षों के नीचे रखी खंडित मूर्तियों पूजा सामग्री व फटे धर्म ग्रंथों को उठाकर यमुना या हरनंदी घाट किनारे गड्ढा खोदकर दबाकर अंतिम संस्कार करने में जुटा है।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 16 Sep 2020 02:36 PM (IST)Updated: Wed, 16 Sep 2020 02:39 PM (IST)
उत्तर प्रदेश का एक परिवार छुट्टी के दिन सड़क किनारे बीनता है कूड़ा
उत्तर प्रदेश का एक परिवार छुट्टी के दिन सड़क किनारे बीनता है कूड़ा

गाजियाबाद [शाहनवाज अली]। एक कंपनी में बतौर एचआर मैनेजर भारत भूषण भारद्वाज दूसरों की फैलाई गंदगी को छुट्टी के दिन परिवार के साथ समेटते हैं। अवकाश के दिन वह देर तक सोने की बजाए अपनी पत्नी प्रज्ञा भारद्वाज और दोनों बेटों मधुर व आंजनेय भारद्वाज के साथ गाड़ी लेकर निकलते हैं। कोरोना काल में वह कोविड-19 के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए गलब्ज, मास्क व फेस शील्ड लगाकर सड़क किनारे जगह-जगह बिखरे कूड़े को अपने झोले में डालकर आगे बढ़ते हैं। यह परिवार पीपल के वृक्षों के नीचे रखी खंडित मूर्तियों, पूजा सामग्री व फटे धर्म ग्रंथों को उठाकर यमुना या हरनंदी घाट किनारे गड्ढा खोदकर दबाकर अंतिम संस्कार करने में जुटा है।

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ऐसे की साफ-सफाई की शुरुआत

वर्ष 2006-07 नोएडा के आइएमएस कॉलेज में बीबीए की पढ़ाई के दौरान दोस्तों के साथ क्लास में फैली गंदगी से सफाई की शुरूआत की। इसके बाद दोस्तों अर्पित परिहार, अंकित वर्मा व अभिषेक सिंह के साथ कैंपस में सफाई का बीड़ा उठाया। छात्र-छात्राओं को सफाई के लिए जागरूक किया। सभी दोस्तों ने पढ़ाई पूरी कर अपनी-अपनी जगह अभियान को जारी रखने का संकल्प लिया। पिता राकेश कुमार शर्मा बिजनेसमैन हैं और खुद सामाजिक सेवा में लगे रहते हैं। उनसे प्रेरित हुए और पिता के साथ भी साफ-सफाई व दूसरों की मदद में आगे रहे। कंपनी में एचआर मैनेजर बने, प्रज्ञा से विवाह हुआ और अब दोनों बेटों मधुर व आंजनेय के साथ सफाई एवं पर्यावरण संरक्षण में लगे हैं।

डा. ज्ञानेंद्र ने दिया था पीपल वृक्षों के नीचे सफाई का आइडिया

इंदिरापुरम निवासी भारत भूषण भारद्वाज के इस अभियान में यहां के कई बुद्धिजीवी लोग भी जुड़े हैं। इनमें डा. ज्ञानेंद्र प्रकाश व सरदार इंद्रप्रीत सिंह पूरी तन्मयता के साथ सफाई अभियान में जुटे हैं। भारत भूषण बताते हैं कि पीपल के वृक्षों के नीचे पूजा सामग्री, खंडित मूर्तियों व फटे धर्म ग्रंथों के साथ ही गंदगी फैली रहती है। लोग जिसका जो मन किया वैसे यहां कुछ भी डालकर चले जाते हैं। पीपल वृक्षों के नीचे सफाई का आइडिया डा. ज्ञानेंद्र प्रकाश ने दिया था। इसके बाद परिवार के साथ वह अभी तक करीब 150 से अधिक पीपल वृक्षों के नीचे सफाई कर कली-चूना डाल चुके हैं।

खंडित मूर्ति दबाकर करते हैं पौधारोपण

पीपल वृक्षों के नीचे खंडित मूर्ति, धर्म ग्रंथ व पूजा सामग्री का गड्ढा खोदकर अंतिम संस्कार करते हैं। इसके बाद उसके उपर पौधारोपण करते हैं। हरनंदी और यमुना किनारे के अलावा हरित पट्टी में भी इनका अंतिम संस्कार कर उस पर 200 से अधिक पौधे लगा चुके हैं। सफाई व आस्था के साथ पर्यावरण संरक्षण में भारत भूषण परिवार के साथ जुटे हैं।

बच्चों को साथ लाने पर टोकते हैं लोग

भारत भूषण बताते हैं कि परिवार को साथ लेकर प्रत्येक रविवार को वह जगह-जगह सफाई के लिए निकलते हैं। कुछ लोग उन्हें बच्चों को साथ लाने पर टोकते हैं कि कोरोना संक्रमण चल रहा है आप बच्चों को न लाएं। हमारा एक ही जवाब होता है कि कोई भी बीमारी गंदगी से फैलती है हम लोग सफाई कर रहे हैं। इससे सभी लोग बीमारियों से सुरक्षित रहेंगे। इसके साथ ही हम लोग दूसरों को भी साफ-सफाई करने व गंदगी न फैलाने के लिए जागरूक करते हैं।

एक हजार से ज्यादा लोग जुड़े हैं अभियान में

बुलंदशहर के मूल निवासी भारत भूषण भारद्वाज ने वहां गंगा किनारे भी सफाई का काम किया है। इससे प्रेरित करीब 150 युवाओं का एक ग्रुप गंगा किनारे सफाई अभियान में जुटा है। वहां के युवा सप्ताह में शनिवार व रविवार को गंगा घाट पर सफाई करते हैं। इसके अलावा पीपल के वृक्षों के नीचे खंडित मूर्तियों, पूजा सामग्री व फटे धर्म ग्रंथों को उठाकर गंगा किनारे ही अंतिम संस्कार करते हैं। उनके इस अभियान से प्रेरित होकर करीब 1200 लोग साफ-सफाई के लिए जगह-जगह कार्य में लगे हैं।

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