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UP Chunav 2022: जनसंपर्क में जुटे टिकट के दावेदार अचानक क्षेत्र से गायब, समर्थक परेशान

UP Vidhan Sabha Election 2022 किसी भी पार्टी ने अभी तक अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। 14 या 15 जनवरी तक सभी पार्टियां अपने उम्मीदवार घोषित कर देंगी। दो दिन पहले तक दावेदार क्षेत्र में जनसंपर्क में जुटे थे। लेकिन अब अचानक वे गायब हो गए हैं।

By Mangal YadavEdited By: Published: Wed, 12 Jan 2022 06:06 PM (IST)Updated: Wed, 12 Jan 2022 07:39 PM (IST)
UP Chunav 2022: जनसंपर्क में जुटे टिकट के दावेदार अचानक क्षेत्र से गायब, समर्थक परेशान
मोदीनगर में जनसंपर्क में जुटे टिकट के दावेदार अचानक क्षेत्र से गायब, समर्थक परेशान

 गाजियाबाद (मोदीनगर) [अनिल त्यागी]। मोदीनगर में किसी भी पार्टी ने अभी तक अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। 14 या 15 जनवरी तक सभी पार्टियां अपने उम्मीदवार घोषित कर देंगी। दो दिन पहले तक दावेदार क्षेत्र में जनसंपर्क में जुटे थे। लेकिन अब अचानक वे गायब हो गए हैं। उधर, समर्थक परेशान नजर आ रहे हैं। फोन से भी समर्थकों से दावेदारों का संपर्क नहीं हो पा रहा है। जानकारी मिली है कि दावेदार टिकट हासिल करने के लिए लखनऊ, दिल्ली की दौड़ लगा रहे हैं। हालांकि, समर्थक इंटरनेट मीडिया पर दावेदारों की पूरी मजबूत स्थिति बताकर माहौल बनाने में जुटे हैं। भाजपा से टिकट मांगने वालों की लंबी फेहरिस्त है। रालोद से भी कई लोगों ने अपनी दावेदारी ठोकी हुई है। ऐसे में टिकट किसको मिलता है। यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। लेकिन दावेदारों की धड़कन लगातार बढ़ रही है। समर्थक इंटरनेट मीडिया पर अपने-अपने पक्ष को मजबूत बताने में लगे हैं।

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10 जनवरी से पहले तक जहां दावेदार क्षेत्र में जनता के बीच पहुंच रहे थे। वह पिछले 2 दिन से नहीं पहुंच रहे हैं। जानकारी मिली है कि दावेदार लखनऊ, दिल्ली के चक्कर लगा रहे हैं और पार्टियों के शीर्ष नेताओं से मिल रहे हैं। यहां खास बात यह है कि दावेदारों को शीर्ष नेतृत्व भी मीठी गोली देने में लगा हुआ है। ऐसा कोई दावेदार फिलहाल दिखाई नहीं दे रहा जो अपना टिकट पक्का मानकर न चल रहा हो।

इंटरनेट मीडिया पर जातीय समीकरण के साथ-साथ व्यक्तिगत छवि का हवाला देकर दावेदारों की स्थिति को मजबूत बताया जा रहा है। इसमें सबसे बड़ी चुनौती मौजूदा विधायक डॉ मंजू शिवाच के सामने है। भाजपा से टिकट मांगने वाले अधिकांश दावेदार मौजूदा विधायक को घेरने में लगे हुए हैं। इंटरनेट मीडिया पर यदि विधायक व उनके कोई समर्थक पोस्ट डालते हैं तो चौतरफा उन पर टिप्पणियां आनी शुरू हो जाती हैं। भाजपा से टिकट मांग रहे एक दावेदार ने तो जिलाध्यक्ष दिनेश सिंघल के यहां शक्ति प्रदर्शन करने के लिए कई लोगों को भेजा। जिलाध्यक्ष ने भी मौके की स्थिति को समझा और अपने स्तर से हरसंभव मदद करने का आश्वासन दे दिया। ये और बात है कि वह इस तरह का आश्वासन पहले भी कई लोगों को दे चुके हैं।

टिकट होने के बाद भी आसान नहीं है राह 

पार्टियां किस को अपना उम्मीदवार घोषित करती हैं, यह फैसला आने वाले दो-तीन दिन में ही हो जाएगा। ऐसे में जिन लोगों को टिकट नहीं मिलता है। उनकी नाराजगी को दूर करना उम्मीदवार के साथ-साथ पार्टियों के शीर्ष नेतृत्व के लिए भी किसी चुनौती से कम नहीं है। अभी से कई लोगों के तो बागी होने के तेवर दिखाई देने लगे हैं। टिकट न होने पर कई लोगों ने निर्दलीय व कई लोगों ने दूसरे दलों से चुनाव लड़ने की चेतावनी भी दे दी है। निश्चित रूप से बागी होने वाले यह लोग उम्मीदवार को नुकसान पहुंचाने वाले हैं। भाजपा, रालोद दोनों के उम्मीदवारों के लिए यह बड़ा सिरदर्द बनने वाला है।


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