फीस माफी को लेकर हुए 1.20 लाख ट्वीट, विद्यालयो में बेची जा रहीं निजी प्रकाशन की किताबें
स्कूलों में बढ़ती फीस को लेकर गाजियाबाद में पेरेंट्स एसोसिएशन ने फीस वृद्धि को लेकर ट्वीटर पर तमात तरह के ट्वीट्स किए हैं।
गाजियाबाद, जागरण संवाददाता। गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन की ओर से ट्विटर पर तिमाही फीस माफी के लिए चलाए गए अभियान से जुड़कर दूसरे देशों और विभिन्न प्रदेश के अभिभावक संघ व अन्य अभिभावकों ने करीब एक लाख बीस हजार लोगों ने ट्वीट किया। एसोसिएशन की अध्यक्ष सीमा त्यागी ने बताया कि लॉकडाउन में तिमाही फीस माफी के लिए अभिभावकों की ओर से लगातार मांग की जा रही है।
इसके लिए अधिकारी, मंत्री, विधायक नेताओं और अन्य जन प्रतिनिधियों को पत्र लिखकर उनसे फीस माफी कराने की मांग की, लेकिन इस पर अभी तक किसी तरह का कोई आश्वासन या राहत नहीं मिली। ट्विटर के माध्यम से अभियान चलाकर तिमाही फीस माफी के लिए प्रयास किया गया। वहीं एसोसिएशन से विवेक त्यागी ने बताया कि फीस माफी के लिए ट्विटर के माध्यम से चलाए गए अभियान में गाजियाबाद ही नहीं विभिन्न राज्य और प्रदेश के साथ दूसरे देशों से भी अभिभावक संघ और अन्य अभिभावक जुड़े हैं।
उन्होंने बताया कि उनके द्वारा चलाए गए हैशटैग के करीब चार हजार ओरिजनल ट्वीट दूसरे देशों से भी हुए। इसमें अमेरिका, कनाडा, बुल्गारिया और ऑस्ट्रेलिया के अभिभावकों के ट्वीट शामिल रहे। इसके अलावा देश के विभिन्न राज्यों से अभिभावक अभियान में शामिल हुए। विवेक त्यागी ने बताया कि करीब एक लाख बीस हजार ट्वीट अभियान में शामिल रहे। इस मामले में राहत मिलने की उम्मीद है
विद्यालयो में बेची जा रहीं निजी प्रकाशन की किताबें
अभिभावकों ने निजी विद्यालय परिसर में किताबें बेचने का शिकायत जन सुनवाई पोर्टल पर की। अभिभावकों का कहना है कि निजी प्रकाशन की किताबें विभिन्न विद्यालयों के परिसर में ही बेची जा रही है। इसके लिए जिलाधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक को शिकायत कर चुके हैं। इसके बाद भी विद्यालयों पर कोई असर नहीं है। किताबें खरीदने को अभिभावकों के मोबाइल पर मैसेज भेजे जा रहे हैं। इस संबंध में जन सुनवाई पोर्टल पर शिकायत की है।
अभिभावक नितिन शर्मा ने बताया कि उत्तर प्रदेश स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियमन) अधिनियम - 2018 के अनुसार किसी भी विद्यालय परिसर में किताबें नहीं बेची जा सकती है। इसके बाद भी निजी प्रकाशन की किताबें विद्यालय परिसर में बेची जा रही है। अभिभावक भूपेंद्र सिंह ने बताया कि शिकायत पर नोटिस भेज जाते हैं, लेकिन विद्यालयों पर इनका असर नहीं नहीं होता। अन्य स्टेशनरी भी स्कूल से ही खरीदने का दबाव होता है।
वहीं अभिभावक शारदा प्रसाद का कहना है कि एनसीईआरटी की किताबें सस्ती होने के बाद भी ¨पट्र रेट से दस फीसद तक कम में मिल जाती हैं। अभिभावक मनीष शर्मा ने कहा कि कि कई विद्यालयों में तो एनसीईआरटी और निजी प्रकाशन की किताबों के रेट का अंतर दस गुना तक पहुंच जाता है। अभिभावकों का कहना है कि इसके लिए कितनी ही बार अधिकारियों से शिकायत की जा चुकी है, लेकिन इसके बाद भी अभिभावकों को मैसेज भेजे जाते हैं।