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Muradnagar Incident: 20 साल में पहली बार एमएमजी अस्पताल में लग गया था लाशों का ढेर

मुरादनगर हादसे में हुई मौतों के बाद जिला एमएमजी अस्पताल स्थित अस्थाई मोर्चरी में पिछले 20 साल में पहली बार ऐसा दिखा जब शवों का ढेर लग गया। मृतकों के स्वजनों की चीख-पुकार से माहौल गमगीन हुआ तो लोग इस ढेर में भी अपनों की जिंदगी तलाशते दिखे।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Mon, 04 Jan 2021 04:12 PM (IST)Updated: Mon, 04 Jan 2021 05:35 PM (IST)
Muradnagar Incident: 20 साल में पहली बार एमएमजी अस्पताल में लग गया था लाशों का ढेर
जिला एमएमजी अस्पताल स्थित अस्थाई मोर्चरी में पिछले 20 साल में एक साथ इतने शवों का ढेर देखा गया।

मदन पांचाल, गाजियाबाद। मुरादनगर हादसे में हुई मौतों के बाद जिला एमएमजी अस्पताल स्थित अस्थाई मोर्चरी में पिछले 20 साल में पहली बार ऐसा दिखा, जब शवों का ढेर लग गया। मृतकों के स्वजनों की चीख-पुकार से माहौल गमगीन हुआ, तो लोग इस ढेर में भी अपनों की जिंदगी तलाशते दिखे। शायद किसी की सांस चल रही हो। चिकित्सा विभाग की टीम भी शवों को देखकर चौक गई। खड़े-खड़े ही रिकार्ड में नाम दर्ज किया। देर शाम तीन चिकित्सकों की देखरेख में शवों का पोस्टमार्टम चल रहा था।

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पहला शव सुनील का पहुंचा 

चिकित्सकों के मुताबिक, इमरजेंसी में सर्वप्रथम सुनील का शव एक बजकर 20 मिनट पर पहुंचा। दूसरा शव दिग्विजय का पहुंचा, तो स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी तत्काल हरकत में आए। आनन-फानन में सभी चिकित्सकों को इमरजेंसी में बुलाया गया। दो बजे के बाद एक साथ 10 शव लेकर एंबुलेंस पहुंची, तो वहां पर कोहराम मच गया। 

चार साल बाद कम पड़ गए मेमो फार्म 

करीब एक दशक से इमरजेंसी में डयूटी कर रहे फार्मासिस्ट बाराती लाल उमराव के रविवार को हाथ कांपने लगे। वह बताते हैं कि विगत 10 साल में दूसरी बार मेमो फार्म खत्म हुए है। इससे पहले लोनी में एक मकान के गिरने पर पांच लोगों की मौत हो गई थी। मेमो बनाते-बनाते बुक खत्म हो गई थी। मेमो बनाते-बनाते कई बार वह भावुक हो गए और बाहर निकल गए। इसके बाद मेमो एसपी वर्मा ने काटे। 

पंचनामे के लिए कम पड़े गवाह 

शवों की संख्या अधिक होने के चलते मोर्चरी में ही अस्थाई पुलिस थाना खोलना पड़ा। चिकित्सकों की जगह पुलिस की 10 टीमों ने पंचनामा भरना शुरू किया, तो पंचनामे के लिए पांच-पांच गवाहों का टोटा पड़ गया। शवों की पहचान को नाम, उम्र व पता तक लिखना पड़ा। मोर्चरी में कई शव इस कदर कुचले हुए थे कि स्वजनों को पहचानने में घंटों लग गए। 

मेरा बेटा चला गया। अब मुङो जीने का कोई हक नहीं है। मेरे बेटे अर¨वद की हादसे में मौत हो गई है। फूल बेचकर परिवार का गुजारा करतीं हूं। -पुष्पा 

भाई सुनील की मौत का दुख है लेकिन ऐसी घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग करने वाले अधिकारियों, ठेकेदारों और नगरपालिका के अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। जांच किसी बाहरी जांच एजेंसी से कराई जानी चाहिए।- प्रवीण कुमार, मुरादनगर 

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