Ghaziabad News: वसुंधरा सेक्टर 13 में मर्लिन सोसायटी में बने अवैध फ्लैट, नोटिस जारी
उत्तर प्रदेश के वसुंधरा सेक्टर 13 में बनाई गई 19 मंजिला मर्लिन सोसायटी में अवैध निर्माण के मामले में आवास विकास परिषद ने बिल्डर को नोटिस जारी किया है। परिषद अधिकारियों के अनुसार सोसायटी में हुए अवैध निर्माण को गिराने की कार्रवाई की जाएगी।
गाजियाबाद, सौरभ पांडेय। वसुंधरा सेक्टर 13 में बनाई गई 19 मंजिला मर्लिन सोसायटी में अवैध निर्माण के मामले में आवास विकास परिषद ने बिल्डर को नोटिस जारी किया है। परिषद अधिकारियों के अनुसार सोसायटी में हुए अवैध निर्माण को गिराने की कार्रवाई की जाएगी। उधर, एसकेजी होम्स के डायरेक्टर एसके गुप्ता ने बताया कि उन्होंने इमारत की री कंपाउंडिंग के लिए आवेदन किया है। ऐसे में कोई निर्माण ध्वस्त नहीं होगा।
नक्शे के उल्लंघन का आरोप
वसुंधरा सेक्टर 13 के प्लाट संख्या जीएच-1 पर मैसर्स एसकेजी होम्स प्राइवेट लिमिटेड ने मर्लिन सोसायटी बनाई है। आरोप है कि बिल्डर ने नक्शे का उल्लंघन करते हुए मनमाने तरीके से कहीं वन तो कहीं टू बीएचके फ्लैट बना दिए। इसे लेकर कई बार नोटिस जारी किए गए लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
अवैध निर्माण ध्वस्त करने का नोटिस जारी
आवास आयुक्त रणबीर प्रसाद ने बताया कि अवैध निर्माण को ध्वस्त करने का नोटिस जारी किया गया है। जल्द ही कार्रवाई की जाएगी। अगर कोई अधिकारी इसमें लिप्त पाया जाता है तो उसपर भी कार्रवाई की जाएगी। उधर, बिल्डर के अनुसार उन्होंने जो भी निर्माण किया है वह कंपाउंडिंग के अंतर्गत आता है। कंपाउंडिंग व प्रक्रिया है जिसमें नक्शे से अधिक हुए कुछ निर्माण को शुल्क लेकर वैध किया जाता है। 2015 वह कंपाउंडिंग के लिए आवेदन कर चुके हैं। जिसे कुछ कारणों से निरस्त कर दिया गया था। अब दोबारा आवेदन किया है।
ट्विन टावर गिराने वाली कंपनी करेगी इमारत ध्वस्त, नोटिस वायरल
शुक्रवार को एक नोटिस इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुआ जिसमें यह लिखा था कि टावर के अवैध निर्माण को तोड़ने में ट्विन टावर गिराने वाली कंपनी की मदद ली जाएगी। हालांकि अधिकारियों ने इसकी पुष्टि नहीं की।
सिर्फ 9 सेकेंड में हुआ था नोएडा का ट्विन टावर ध्वस्त
गौरतलब है कि नोएडा के सेक्टर 93A में बने सुपरटेक बिल्डर के एपेक्स और सियान टावर को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ध्वस्त किया गया था। दोनों टावर को ध्वस्त करने के लिए 3700 किलोग्राम विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया था। वहीं, टावर गिराने से पहले आसपास के इलाके में रह रहे लोगों को खाली करा दिया गया था, क्योंकि इससे अन्य इमारतों के नुकसान का खतरा था। कंपनी ने दोनों टावरों को गिराने के लिए कई महीनों से तैयारी की थी, जिसके बाद दोनों इमारतों को तोड़ने में महज 9 सेकेंड का समय लगा था।
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