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मिलिये- 11 साल के नन्हे उस्ताद ओजस से, जिन्हें कंठस्थ हैं श्रीमद्भागवत गीता के 700 श्लोक

दिल्ली से सटे गाजियाबाद में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की बाल शाखा से जुड़े ओजस गोयल विलक्षण प्रतिभा के धनी हैं। वर्तमान में वह भातखंडे संगीत महाविद्यालय के पंडित हरिदत्त शर्मा से संगीत की शिक्षा ले रहे हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 10:51 AM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 10:53 AM (IST)
मिलिये- 11 साल के नन्हे उस्ताद ओजस से, जिन्हें कंठस्थ हैं श्रीमद्भागवत गीता के 700 श्लोक
गाजियाबाद निवासी 11 वर्षीय ओजस गोयल की फाइल फोटो।

गाजियाबाद [आशुतोष अग्निहोत्री]। 'चंदन है इस देश की माटी, तपोभूमि हर ग्राम है, हर बाला देवी की प्रतिमा, बच्चा- बच्चा राम है।' जी हां कुछ ऐसी ही है हमारे देश की मिट्टी। इस मिट्टी में जन्मे भगवान राम ने अपने आचरण से मर्यादा पुरुषोत्तम की संकल्पना साकार की और भगवान कृष्ण ने श्रीमद्भागवत गीता के माध्यम से जनमानस को जीवन का सार बताया। गाजियाबाद शहर के लाल ओजस ने गीता के इसी सार को अपने जीवन में अंगीकार कर लिया है। 11 साल के ओजस को श्रीमद्भागवत गीता के सभी 18 अध्याय कंठस्थ हैं।

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अपने आराध्य को जीते हैं ओजस

गाजियाबाद के अशोक नगर निवासी 11 वर्षीय ओजस गोयल विलक्षण प्रतिभा के धनी हैं। वह भातखंडे संगीत महाविद्यालय के पंडित हरिदत्त शर्मा से संगीत की शिक्षा ले रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की बाल शाखा से जुड़े ओजस हारमोनियम की धुन पर गीता के श्लोक और देशभक्ति के गीत सुनाते- सुनाते गंभीर हो जाते हैं। कहते हैं कि कृष्ण मेरे आराध्य हैं। श्रीमद्भागवत गीता के श्लोक आराध्य के नजदीक जाने का माध्यम हैं। यह संभव हुआ है ओजस के बाबा महेश चंद्र गोयल के प्रयास से। चार साल पहले बाबा ने उन्हें गीता के श्लोक कंठस्थ कराना शुरू किया। महेश चंद्र गोयल कहते हैं कि ओजस की दादी दमयंती गोयल गाजियाबाद की मेयर थीं। वह कृष्ण भक्त थीं और उन्हें गीता कंठस्थ थी। दमयंती की इच्छा थी कि परिवार का कोई सदस्य गीता के श्लोक कंठस्थ करे और इस परंपरा को आगे बढ़ाए।

पोते ने किया दादी के सपने को पूरा

महेश चंद्र गोयल कहते हैं कि छह साल पहले संघ के क्षेत्रीय प्रचारक आलोक जी उनके घर आए और कहा था कि योग की तरह अगले चरण में गीता भी पूरे विश्व में पढ़ी जाएगी। क्षेत्रीय प्रचारक से प्रेरणा लेकर महेश चंद्र गोयल ने अपने छात्रावास के बच्चों को गीता का पाठ कराना शुरू किया। साथ ही खुद भी गीता का प्रशिक्षण लिया। ओजस छात्रावास के बच्चों के साथ खेलते थे। उन्होंने खेल- खेल में ही दस श्लोक कंठस्थ कर लिए। करीब चार साल पहले एक दिन जब महेश गोयल ने ओजस से एक श्लोक के बारे में पूछा तो उन्होंने एक साथ पांच श्लोक सुना दिए। बस यहीं से ओजस की तपस्या शुरू हो गई।

दादा- पोते के लिए वरदान बना कोरोना

महेश चंद्र गोयल कहते हैं कि पिछले साल विजय दशमी तक ओजस ने 200 श्लोक कंठस्थ किए थे। कोराना संकटकाल ओजस के लिए वरदान बन गया। समय का सदुपयोग करते हुए उन्होंने विजय दशमी तक पूरे 700 श्लोक कंठस्थ कर लिए। गीता के सभी श्लोक कंठस्थ करने के बाद अब ओजस परिवार के साथ भगवान कृष्ण की लीलास्थली गोवर्धन जाएंगे।

रिकॉर्ड के लिए नहीं, आस्था से जुड़ाव

ओजस के पिता मयंक गोयल भाजपा के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय मंत्री हैं, जबकि मां डॉ. रुचि गाेयल शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ी हैं। मयंक कहते हैं कि उनके बेटे ने श्रीमद्भावगत गीता को किसी रिकार्ड के लिए कंठस्थ नहीं किया है। गीता आस्था से जुड़ी है और ओजस ने यह तपस्या अपने आराध्य के लिए की है। वहीं बेटे के भविष्य पर सवाल को लेकर डॉ रुचि कहती हैं कि उन्होंने ओजस का भविष्य उनके आराध्य और बाबा पर छोड़ दिया है।

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