तबाही मचाने वाली टिड्डियां एक इशारे में बन जाएंगी गाजियाबाद की मुर्गियों का खाना
मुर्गी फार्म संचालकों ने टिड्डियां खरीदने की इच्छा जताई है। इससे प्रोटीनयुक्त चिकन फीड बनाया जा सकता है। इसे खाने से अंडे की गुणवत्ता में इजाफा होगा।
गाजियाबाद (हसीन शाह)। Locust Attack: किसानों में टिड्डियों का खौफ लगातार बढ़ता ही जा रहा है। अब भी जनपद में टिड्डियों का खतरा मंडरा रहा है। इस बीच टिड्डियों से जुड़ी एक अच्छी खबर मिल रही है। मुर्गी फार्म संचालकों ने टिड्डियां खरीदने की इच्छा जताई है। इससे प्रोटीनयुक्त चिकन फीड बनाया जा सकता है। इसे खाने से अंडे की गुणवत्ता में इजाफा होगा। वहीं, फार्म संचालकों को कम कीमत में मुर्गी का चारा उपलब्ध हो सकेगा।
फसलों के लिए बना खतरा
पाकिस्तान से आया टिड्डियों का दल फसलों के लिए खतरा बना बना हुआ है। जनपद में भी टिड्डियों के खतरे से निपटने के लिए ब्लॉकवार नोडल अधिकारी बनाए गए हैं। टिड्डियों को मारने के लिए ब्लॉक कार्यालयों पर कीटनाशक उपलब्ध करा दिए गए हैं।
मुरादनगर से फार्म संचालक ने जताई खरीदने की इच्छा
इस दौरान मुरादनगर के दो मुर्गी फार्म संचालकों ने टिड्डियों खरीदने की इच्छा जाहिर की है। उन्होंने इस संबंध में कृषि विभाग से भी संपर्क साधा है। हालांकि, कृषि विभाग शासन के आदेश के बिना उनकी मदद करने से इन्कार कर दिया है। इन दो मुर्गी फार्म में एक लाख से ज्यादा मुर्गियों का पालन किया जा रहा है। फार्म संचालक मुर्गी का दाना मिश्रण खुद ही तैयार करते हैं।
मुर्गियों 50 से 60 हजार का खाती हैं दाना
मुर्गियां एक दिन में 50 से 60 हजार रुपये का दाना खा जाती है। यदि वह तैयार मिश्रण खरीदते हैं तो वह ज्यादा महंगा पड़ता है। तैयार मिश्रण खरीदने में प्रतिदिन 80 से 90 हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं। फार्म संचालकों का कहना है कि यदि किसान टिड्डियों को पकड़कर मुर्गी फार्म संचालाकों को दे देते हैं तो वह इससे हाई प्रोटीन चिकन फीड बनाकर मुर्गियों को खिलाएंगे। इससे तबाही मचाने आ रहीं टिड्डियों का बेहतर इस्तेमाल किया जा सकेगा।
पाकिस्तान में बनाया जा रहा है चारा
पाकिस्तान के पंजाब राज्य में पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसी साल इसका प्रयोग किया गया है। किसानों को टिड्डियों को पकड़ने का तरीका से सिखाया गया। उन्हें बताया गया कि रात के समय में जब तापमान घटता है तो टिड्डियां पेड़-पौधों पर बैठ जाती हैं। उस समय उन्हें आसानी से पकड़ा जा सकता है। पकड़ी गईं टिड्डियों को पशु चारा उत्पादकों को बेचा गया। सऊदी अरब और ईरान के तनानती के कारण तबाह यमन में भी प्रशासन ने लोगों को टिड्डी खाने के लिए प्रोत्साहित किया था।
अधिकारी ने कहा-
मुर्गियों के चारे के रूप में करेंगे इस्तेमाल, टिड्डियों के खाने से मुर्गियों के अंडे की गुणवत्ता में होगा इजाफा
टिड्डियों में 70 फीसदी प्रोटीन होती है। चारे में टिड्डियों के टुकड़े मिलाकर उन्हें भोजन के तौर पर दिया जा सकता है। मगर पहले चारे का परीक्षण होना जरूरी है। इससे किसान को फायदा होगा।
-डॉ. बिजेंद्र त्यागी, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी
टिड्डी में भरपूर प्रोटीन होता है। कीटनाशक से मरी हुई टिड्डियों का इस्तेमाल चारे के तौर पर न किया जाए। यदि किसान टिड्डिया बेचते हैं तो भी हमला करने से कृषि को ज्यादा नुकसान होगा। हालांकि टिड्डियों का दल मध्यप्रदेश में है, लेकिन हमले की आशंका बनी हुई है।
-डॉ. आरएस वर्मा, जिला कृषि रक्षा अधिकारी
मुर्गी फार्म संचालक ने कहा
मैं मुर्गी फार्म में ही दाने का मिश्रण तैयार कराता हूं। रोज 50 से 60 हजार रुपये दाने में खर्च हो जाते हैं। मैं टिड्डी से हाई प्रोटीन चिकन फीड बनवाकर मुर्गियों को खिलाना चाहता हूं। किसान हमें टिड्डी बेच सकते हैं। पाकिस्तान में इनसे चारा तैयार किया जा रहा है। उसके बाद मैंने भी इससे चारा बनाने का फैसला किया।
-नितिन चौधरी, मुर्गी फार्म संचालक
टिड्डी दाने से सस्ता पड़ेगा। इससे अंडे की क्वालिटी भी अच्छी होगी। किसान चाहे तो हमे टिड्डी बेच सकते हैं। लेकिन हम दाने की लागत से कम कीमत पर ही टिड्डी खरीद सकते हैं। हमें दाने की लागत 20 से 23 रुपये पड़ती है।
- राहुल शर्मा, मुर्गी फार्म संचालक