जानिए कौन है दयावती, जिन्होंने बाबा रामदेव की पंतजलि योगपीठ को दस करोड़ की जमीन दे दी दान
दयावती ने सात साल पहले यह निर्णय लिया था। उनका कहना है कि दान से बड़ा कोई पुण्य कर्म नहीं है। स्वर्ग का रास्ता दान से होकर गुजरता है। दयावती कहती हैं कि पतंजलि योगपीठ करोड़ों लाखों को रोगमुक्त बनाने के लिए काम कर रही है।
मोदीनगर, अनिल त्यागी। मन में कुछ अच्छा करने की इच्छा हो तो तमाम बाधाएं आकर दूर हो जाती हैं और वो काम साकार हो जाता है। कुछ ऐसा ही हुआ गाजियाबाद के मोदीनगर के गांव सीकरी कलां की रहने वाली दयावती के साथ। उन्होंने अब से सात साल पहले सोचा था कि वो अपनी जमीन को बाबा रामदेव की पतंजलि योगपीठ को दान दे देंगी जिससे यहां आसपास रहने वालों का भला हो सके। अब सात साल के बाद उनका सपना साकार हुआ है। इसमें खास बात ये है कि उनका सपना पूरा करने के लिए खुद योगपीठ के बाबा रामदेव मौजूद रहे।
सीकरी कलां में दयावती देवी का मायका है। उनके पिता खचेडू के कोई संतान नहीं थी। छजूपुर गांव में उनकी ससुराल थी। लेकिन उनको कोई संतान नहीं हुई। पति हरिकृष्णा सेना में कार्यरत थे। सेवानिवृत्त होने के बाद 15 साल पहले उनका भी निधन हो गया। इसके बाद दयावती अकेली रह गईं। इसलिए उन्होंने अपनी संपत्ति को स्वामी रामदेव के पतंजलि योगपीठ को दान देने की योजना बनाई। उनकी उम्र इस वक्त करीब 63 साल है। स्वामी रामदेव ने योगपीठ को जमीन दान देने वाली बुजुर्ग महिला दयावती का आभार जताया। सीकरी कलां निवासी दयावती ने अपनी पैतृक जमीन पतंजलि योगपीठ को दान में दी है।
दयावती ने सात साल पहले यह निर्णय लिया था। उनका कहना है कि दान से बड़ा कोई पुण्य कर्म नहीं है। स्वर्ग का रास्ता दान से होकर गुजरता है। दयावती कहती हैं कि पतंजलि योगपीठ करोड़ों, लाखों को रोगमुक्त बनाने के लिए काम कर रही है। निस्वार्थ सेवा भी पतंजलि करती है। इसलिए उन्होंने पतंजलि को जमीन निश्शुल्क दान में दी। ताकि वर्तमान और आने वाली पीढ़ी को उनके द्वारा किए गए प्रयास का लाभ हो।
उनके नाम करीब 15 बीघा जमीन थी। जिसकी बाजार भाव के हिसाब से कीमत दस करोड़ से भी ज्यादा है। दयावती फिलहाल अपने ममेरे भाई मांगेराम के साथ रहती हैं। ध्यान रहे कि पतंजलि योगपीठ के उदघाटन का पहले भी कई बार कार्यक्रम रखा गया था। लेकिन स्वामी रामदेव की व्यवस्तता के कारण बार बार कार्यक्रम रद हो जाता था।
बहुत लोग थे दान देने वाले
स्वामी रामदेव ने कहा कि पतंजलि को दान में जमीन देने वाले बहुत लोग हैं, लेकिन दयावती की त्याग, भावना और समर्पण को देखते हुए यह निर्णय लिया गया। स्वामी रामदेव ने दयावती और उनके परिवार से जुड़े लोगों का आभार जताते हुए उनके जीवन में सुखद आनंद की कामना की।