40 देशों के नागरिकों के जीवन का हिस्सा बना गायत्री मंत्र और सूर्य नमस्कार
गाजियाबाद स्थित दक्षिण पूर्वी एशिया के सबसे बड़े एडवांस लेवल टेलीकाम ट्रेनिंग सेंटर (एएलटीटीसी) में तकनीक के प्रशिक्षण के दौरान विदेश से आए इंजीनियरों ने यहां गायत्री मंत्र का जाप सूर्य नमस्कार और हाथ जोड़कर अभिवादन किया और अब इसे अपने जीवन में भी आत्मसात कर लिया है।
गाजियाबाद [हसीन शाह]। करें योग रहें निरोग की संकल्पना को आगे बढ़ाते हुए 40 देशों के नागरिकों ने इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाया है। गाजियाबाद स्थित दक्षिण पूर्वी एशिया के सबसे बड़े एडवांस लेवल टेलीकाम ट्रेनिंग सेंटर (एएलटीटीसी) में तकनीक के प्रशिक्षण के दौरान विदेश से आए इंजीनियरों ने यहां गायत्री मंत्र का जाप, सूर्य नमस्कार और हाथ जोड़कर अभिवादन किया और अब इसे अपने जीवन में भी आत्मसात कर लिया है। अलग- अलग संस्कृतियो से जुड़े यह लोग अब अपने - अपने देश में भारतीय संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं।
यहां अदब से माथे पर तिलक लगाते हैं विदेशी
एडवांस लेवल टेलीकाम ट्रेनिंग सेंटर में विभिन्न देशों के इंजीनियर टेलीकाम सेक्टर से जुड़ा प्रशिक्षण लेने आते हैं। इंजीनियरों को सेंटर के मुख्य महाप्रबंधक एमके सेठ सबसे पहले तिलक लगाते हैं और गुलदस्ता देकर स्वागत करते हैं। एक सप्ताह से एक माह तक प्रशिक्षण चलता है। इस दौरान एमके सेठ और सहायक निदेशक कृष्णा यादव प्रतिदिन सुबह तड़के इंजीनियरों से गायत्री मंत्र का जाप और सूर्य नमस्कार कराते हैं। इंजीनियर अदब के साथ माथे पर तिलक लगाकर सरस्वती वंदना व आरती करते हैं और नमस्ते कर एक दूसरे का अभिवादन करते हैं। एमके सेठ कहते हैं आज तक किसी इंजीनियर ने गायत्री मंत्र, तिलक लगाने, आरती, सूर्य नमस्कार व योग करने का विरोध नहीं किया। फिलहाल सेंटर में कोरोना की वजह से आनलाइन 5जी का प्रशिक्षण चल रहा है।
पाकिस्तानी इंजीनियरों ने किया था गायत्री मंत्र का जाप
मुख्य महाप्रबंधक ने बताया कि पाकिस्तान से फाहिद जावेद व जफारुल्लाह 2017 में प्रशिक्षण लेने आए थे। दोनों अदब के साथ गायत्री मंत्र के जाप में हिस्सा लेते थे। पाकिस्तान से आए इफ्तिखार हुसैन शाह को हाथ जोड़कर प्रणाम करना बहुत पसंद था। सेंटर पर प्रशिक्षण लेने आए अफगानिस्तान के नाजिर अहमद हबीबी, बांग्लादेश के मोहम्मद जैद हसन चौधरी, मलेशिया से फैरुज फदिला बिनती व अमीरुद्दीन वाहिद व चीन से आए हुवाई, लेई जहंग व लेयंग को सूर्य नमस्कार बहुत पंसद था। वह आरती में हिस्सा लेने से पहले प्रतिदिन माथे पर तिलक लगवाते थे। अपने देश वापस जाने के बाद यह लोग वहां भी योग और नमस्कार को अपने जीवन में ढाले हुए हैं।
इन देशों के प्रतिनिधि प्रशिक्षण लेने आ चुके
प्रशिक्षण में भारत के अलावा घाना, तंजानिया, मोजांबिक, मलेशिया, ईरान, कुवैत, इराक, ताइवान, कजाकिस्तान, पाकिस्तान, चीन, जापान, थाइलैंड, मंगोलिया, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, भूटान, नेपाल सहित करीब 40 देशों के इंजीनियर हिस्सा ले चुके हैं।
दुलामसुरेन ओडजरेल (इसाई, इंजीनियर, निवासी मंगोलिया) का कहना है कि मुझे हाथ जोड़कर नमस्कार करना पसंद है। भारत से वापस आने के बाद पिछले एक साल से मैं प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करती हूं। याद नहीं होने की वजह से मैं आनलाइन गायत्री मंत्र सुनती हूं।
वहीं, साओवननी रेरकानुन, बौद्ध, इंजीनियर, निवासी थाईलैंड) कहते हैं कि भारत में प्रशिक्षण लेना गर्व की बात है। अब मैं हाथ मिलाने की बजाय घर में भी हाथ जोड़कर नमस्कार करती हूं। एक साल से सुबह को योग और सूर्य नमस्कार करती हूं। पढ़कर गायत्री मंत्र का जाप करती हूं।
सईद हसन हरिक (मुस्लिम, इंजीनियर निवासी अफगानिस्तान) ने बताया कि मैं पिछले तीन साल से योग कर रहा हूं। कोरोना के समय में तो नमस्कार करना बहुत फायदेमंद रहा। बिना पढ़े मुझे गायत्री मंत्र याद नहीं है। मैं नियमित रूप से याेग करता हूं।
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