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शिव शक्ति धाम डासना, जहां पांडवों ने ली थी शरण, जानें मंदिर से जुड़ी कुछ रोचक बातें

मंदिर कार्यकर्ता ने बताया कि गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि प्रतिमा की स्थापना के बाद से ही मंदिर की रखवाली के लिए एक शेर रहता था।

By Mangal YadavEdited By: Published: Tue, 25 Aug 2020 07:01 PM (IST)Updated: Tue, 25 Aug 2020 07:01 PM (IST)
शिव शक्ति धाम डासना, जहां पांडवों ने ली थी शरण, जानें मंदिर से जुड़ी कुछ रोचक बातें
शिव शक्ति धाम डासना, जहां पांडवों ने ली थी शरण, जानें मंदिर से जुड़ी कुछ रोचक बातें

गाजियाबाद [दीपा शर्मा]। शिव शक्ति धाम डासना मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। माना जाता है कि पांडवों ने भी अज्ञातवास के दौरान इसी मंदिर में ही शरण ली थी। मंदिर में स्थापित शिवलिंग को पुरातत्व विभाग भी प्रमाणित कर चुका है कि यह 52 सौ साल पुराना है। शिव शक्ति धाम की ईटें और क्षतिग्रस्त संरचना मुगलकालीन इतिहास की भी गवाह है।

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मान्यता है कि मंदिर में स्थापित शिवलिंग और देवी के काली स्वरूप के दर्शन करने से मनोकामना पूरी होती है। यहां की आवोहवा में एक अलग ऊर्जा एहसास होता है।

मंदिर का इतिहास

शिव शक्ति धाम डासना मंदिर के इतिहास की गवाह उसकी संरचना है और ईंटें हैं। मंदिर में लाखौरी ईंटों का उपयोग है जिसे देखकर लगता है कि संभवत: मुगल काल में इसका निर्माण हुआ है, लेकिन मान्यता यह भी है कि यह मंदिर महाभारतकालीन है और अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने भी इसी मंदिर में शरण ली थी। मुगल काल में ही मंदिर को क्षतिग्रस्त भी कर दिया गया था। मंदिर के तत्कालीन महंत ने मुगलों से छिपाकर मंदिर में लगी देवी मूर्ति को तालाब में छिपा दिया। कहा जाता है कि करीब दो सौ साल बाद मंदिर के तत्कालीन महंत जगत गिरि महाराज के सपने में देवी ने दर्शन दिए और मूर्ति के तालाब में होनी की बात कही।

उन्होंने तालाब में खुदाई कराकर मूर्ति को निकलवाया और फिर से मंदिर की स्थापना की। देवी के काली स्वरूप की मूर्ति में जीव बाहर नहीं निकाली हुई है और वह कमल के फूल पर खड़ी हैं। मूर्ति कसौती के पत्थर की बनी है। इस धातु की कीमत करोड़ों में है। ऐसा दावा है कि देवी के इस स्वरूप और धातु की इतनी प्राचीन मूर्ति दुनियां में केवल चार जगह है। शिव शक्ति धाम डासना, हिंग्लाज (जो अब पाकिस्तान में है), कोलकाता और गुवाहाटी के पास कामाख्या मंदिर में है। प्रतिमा के पुन: स्थापना के बाद जगत गिरि महाराज ने मंदिर में ही जीवित समाधि ली थी।

शेर करता था मंदिर की सुरक्षा

मंदिर कार्यकर्ता ने बताया कि गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि प्रतिमा की स्थापना के बाद से ही मंदिर की रखवाली के लिए एक शेर रहता था। मंदिर में श्रद्धालु पूजा करने जाते तो शेर ने कभी किसी को हानि नहीं पहुंचाई, लेकिन कभी भी मंदिर को किसी ने नुकसान पहुंचाने की कोशिश की शेर उसे छोड़ता नहीं था। बुजुर्ग होकर शेर ने मंदिर में ही अपने प्राण त्याग दिए। आज भी मंदिर में बनी शेर की समाधि पर लोग मत्था टेकते हैं।

नहीं रुकती शिवलिंग के ऊपर छत

शिव शक्ति धाम में ही स्थापित शिवलिंग के ऊपर कितनी बार लेंटर डालकर छत बनाई गई है, लेकिन आज तक उसके ऊपर छत टिकती नहीं है। लेंटर रात को या अगले दिन ही चटक जाता है। लेंटर में दरारें पड़ जाती हैं। माना जाता है कि इस चमत्कार को देखते के लिए भी लोगों ने कितनी ही बार लेंटर डलवाया, लेकिन हर बार टूट गया। मंदिर के श्री महंत ने बताया कि पुरातत्व विभाग शिवलिंग को 52 सौ साल पुरानी प्रमाणित कर चुका है। इसके अलावा मंदिर में 109 शिवलिंग की स्थापना भी की हुई है। इसके अलावा 2018 में 108 किलो पारे से बने पारदेश्वर महादेव की स्थापना की गई।

गुरुकुल का चल रहा है निर्माण

शिव शक्ति धाम मंदिर में गुरुकुल का निर्माण कराया जा रहा है। मंदिर के श्री महंत नरसिंहानंद सरस्वती ने बताया कि गुरुकुल में वैदिक सनातन और संस्कृति की शिक्षा दी जाएगी। निर्माण कार्य चल रहा है जल्दी ही गुरुकुल बन जाएगा। इसके अलावा पारंपरिक खेल और शिक्षा का गुरुकुल में बढ़ावा दिया जाएगा।

मंदिर के सेल्फी पॉइंट खास पसंद

मंदिर में तालाब, 109 शिवलिंग, पुरानी इमारत, मूर्तियों आदि के साथ लोग सेल्फी लेना काफी पसंद करते हैं। शाम को भी तालाब के चारो ओर बने ट्रैक पर लोग घूमने आते हैं और सेल्फी लेते हैं। 109 शिवलिंग पर शाम को फोटो खींचने और सेल्फी लेने का खास मौका होता है। मंदिर की जगह काफी ज्यादा है इससे वहां ज्यादातर क्षेत्र में हरियाली फैली हुई है। पीतांबरी देवी का मंदिर अभी कुछ साल पहले ही नया बनवाया गया है जो काफी आकर्षक है।

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