गाजियाबाद में Paytm संस्थापक और सीनियर वाइस प्रेसीडेंट समेत 5 के खिलाफ धोखाधड़ी का केस
पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा समेत पांच के खिलाफ गाजियाबाद के कविनगर थाने में आइटी एक्ट व धोखाधड़ी की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की गई है।
गाजियाबाद, जागरण संवाददाता। पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा, सीनियर वाइस प्रेसीडेंट अजय शेखर शर्मा और पेटीएम पेमेंट बैंक समेत पांच के खिलाफ गाजियाबाद के कविनगर थाने में आइटी एक्ट व धोखाधड़ी की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की गई है। हैकर ने पेटीएम ट्रांजेक्शन की गोपनीय जानकारी देकर कारोबारी को झांसे में लिया, फिर उसके खाते से करीब डेढ़ लाख रुपये पार कर दिए। मामले में एसएसपी कलानिधि नैथानी के आदेश पर रिपोर्ट दर्ज की गई है।
राजनगर में आयुर्वेदिक और हर्बल प्रोडक्ट की एजेंसी चलाने वाले राजकुमार सिंह का बिजनेस पेटीएम खाता है, जिसमें आइसीआइसीआइ बैंक का खाता जुड़ा हुआ है। 28 दिसंबर को कॉल आई कि मैं अजय शेखर शर्मा पेटीएम से बोल रहा हूं। बातचीत में एक बार उसने अपना नाम अजय शर्मा भी बताया। कॉलर ने कैशबैक देने की बात कहकर बताया कि उन्हें मैसेज किया गया है।
मैसेज में दिए लिंक पर क्लिक करने को कहा गया। राजकुमार सिंह ने लिंक पर क्लिक करने से इनकार कर दिया। इस पर कॉल करने वाले ने उसी दिन हुई राजकुमार की दो ट्रांजेक्शन के बारे में बताया। कॉलर द्वारा खाते से जुड़ी गोपनीय जानकारी देने पर उन्हें विश्वास हो गया और उन्होंने लिंक पर क्लिक कर दिया। जिसके बाद खाते से 1.47 लाख रुपये कई बार में निकल गए। पीडि़त के अनुसार इसमें से 41 हजार रुपये रजत जैन के पेटीएम में गए, जबकि बाकी रकम अन्य एक बैंक खाते में गई।
ट्रांजेक्शन के दौरान 1400 रुपये का कैशबैक मिला था, उसे भी निकाल लिया गया। पीडि़त कारोबारी का कहना है कि लेन-देन की जानकारी को गोपनीय रखना कंपनी की जिम्मेदारी है, लेकिन उनके लेन-देन की गोपनीय सूचना लीक हुई, इसलिए वह ठगी के शिकार हुए। एसएसपी ने बताया कि तहरीर के आधार पर रिपोर्ट दर्ज की गई है। साक्ष्यों के आधार पर छानबीन कर विवेचना कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
रोजाना दर्ज हो रहे 15-20 केस
पेटीएम केवाइसी या पेटीएम कैशबैक से ठगी के मामलों में पिछले कुछ समय में बाढ़ सी आ गई है। जिले में 18 थाने हैं और औसतन 15-20 मामले पूरे जिले में रोजाना इसी तरीके के दर्ज किए जा रहे हैं। ठग है¨कग ऐप डाउनलोड कराते हैं और पेटीएम केवाइसी को चेक करने के नाम पर एक या दो रुपये की ट्रांजेक्शन करने को कहते हैं। पीडि़त के डिटेल्स डालते ही सारी जानकरी उन तक पहुंच जाती है। इस तरह ठगी को अंजाम देते हैं।