Ghaziabad: NGT के फैसले पर नगर निगम को SC की फटकार, 1 करोड़ जमा कराने की शर्त पर वूसली कार्रवाई से राहत
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी NGT) द्वारा लगाए गए 150 करोड़ रुपये के जुर्माने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे गाजियाबाद नगर निगम को अदालत ने कड़ी फटकार लगाई। 20 दिन के भीतर एक करोड़ रुपये जमा कराने का आदेश दिया है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी, NGT) द्वारा लगाए गए 150 करोड़ रुपये के जुर्माने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे गाजियाबाद नगर निगम को अदालत ने कड़ी फटकार लगाई। एनजीटी के फैसले पर रोक की मांग कर रहे गाजियाबाद नगर निगम से शीर्ष अदालत ने कहा कि आप लोगों से पैसा एकत्रित करते हैं, लेकिन उन्हें कोई सुविधा नहीं देते। गाजियाबाद स्लम बन गया है। कोर्ट किसी तीसरी एजेंसी को काम सौंपने पर विचार कर सकता है।
कोर्ट ने आदेश दिया कि अगर गाजियाबाद नगर निगम 20 दिन के भीतर एक करोड़ रुपये संबंधित अथॉरिटी के पास जमा करता है, तो उसके खिलाफ वसूली की दंडात्मक कार्रवाई पर रोक रहेगी। मामले में छह फरवरी को फिर सुनवाई होगी। ये आदेश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एमएम सुंद्रेश की पीठ ने शुक्रवार को एनजीटी के आदेश के खिलाफ दाखिल गाजियाबाद नगर निगम की अपील पर सुनवाई के दौरान दिए।
कोर्ट ने नगर निगम को आदेश दिया कि वह याचिका की प्रति उत्तर प्रदेश सरकार के स्थाई अधिवक्ता और गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के स्थाई अधिवक्ता को दे। गाजियाबाद नगर निगम की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विश्वजीत सिंह ने कहा कि नगर निगम इतनी पेनाल्टी नहीं दे सकता, जितना एनजीटी ने आदेश दिया है।
नगर निगम कुल 213 करोड़ रुपये ही टैक्स एकत्र करता है। कोर्ट ने गाजियाबाद में कचरा प्रबंधन और सीवर शोधन के इंतजाम में नाकाम रहने पर नगर निगम को कड़ी फटकार लगाई। कहा कि लोग आपके कारण भुगत रहे हैं। आप कुछ नहीं करते। न कचरा प्रबंधन है और न ही सीवर शोधन का इंतजाम है। आप लोगों से पैसे लेते हैं। आपको पैसा भरना होगा। अगर नगर निगम 20 दिन के भीतर एक करोड़ रुपये जमा कराता है तो उसके खिलाफ वसूली की कार्रवाई पर रोक रहेगी।
एनजीटी ने छह सितंबर, 2022 के आदेश में गाजियाबाद के वसुंधरा, वैशाली और इंदिरापुरम आदि इलाकों में कचरा प्रबंधन और सीवर शोधन संयंत्रों के इंतजाम में नाकाम रहने की रिपोर्ट देखने के बाद गाजियाबाद नगर निगम और गाजियाबाद विकास प्राधिकरण को 200 करोड़ का जुर्माना भरने का आदेश दिया था।
इसमें 150 करोड़ की रकम गाजियाबाद नगर निगम को जमा करनी है और 50 करोड़ की रकम गाजियाबाद विकास प्राधिकरण को जमा करनी है। एनजीटी ने इस पैसे से कचरा प्रबंधन और सीवर शोधन का इंतजाम करने का आदेश दिया था। इसी आदेश के खिलाफ नगर निगम सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है।