शौर्य चक्र विजेता सैनिक की कहानी, 17 गोली लगी थी मगर पाकिस्तानी सैनिक के सामने आते ही कर दिया ढेर
संदीप के पिता शौर्य चक्र विजेता कैप्टन मोहन सिंह रावत ने 1999 की कारगिल लड़ाई में 17 गोली खाने के बाद भी एक पाकिस्तान सैनिक को ढेर कर दिया था।
गाजियाबाद [आयुष गंगवार]। सीमा पर तैनात पिता को 17 गोलियां लगती हैं। जान तो बच जाती है, लेकिन 13 माह तक उन्हें अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता है और अस्पताल से बाहर बैसाखी पर आते हैं। पिता को इस हालत में देखने के बाद भी एक युवा भारतीय सेना में भर्ती हो देश की सुरक्षा की ठान लेता है। देश के लिए कुछ भी कर गुजरने का जज्बा रखने वाले संजयनगर के संदीप सिंह रावत जम्मू में नॉन कमीशंड ऑफिसर के रूप में तैनात हैं।
देश सेवा परिवार की परंपरा
संदीप के पिता शौर्य चक्र विजेता कैप्टन मोहन सिंह रावत ने 1999 की कारगिल लड़ाई में 17 गोली खाने के बाद भी एक पाकिस्तान सैनिक को ढेर कर दिया था। पाकिस्तान के तीन सैनिकों को वह इससे पहले ही मार चुके थे। पिता से ही प्रेरणा लेकर संदीप ने भी सेना में जाने की ठानी।
सेना में जूनियर कमीशंड ऑफिसर हैं मनोज
संदीप के बड़े भाई मनोज कुमार रावत भी सेना में जूनियर कमीशंड ऑफिसर हैं। वह लेह में तैनात हैं। उनके दादा चंदर सिंह रावत भी सैनिक के रूप में देश की सेवा कर चुके हैं। संदीप के मुताबिक, उन्हें अहसास हुआ कि भले ही पिता अब सेना को सेवा न दे पाएं, लेकिन इस एक लड़ाई में पिता ने देश के लिए वो कर दिखाया है, जिसका मौका कुछ ही लोगों को नसीब होता है। पिता के घर लौटते ही उन्होंने तैयारी शुरू कर दी और 2003 में भारतीय सैनिक बन गए।