Coronavirus के बीच आंवला बना खास, खरीदने के लिए एडवांस बुकिंग, जानिए इसके फायदे
Amla Benefits in Coronavirus आंवला इन दिनों सब्जी मंडी में वीवीआइपी वाली भूमिका में नजर आ रहा है। एडवांस बुकिंग कराए जाने पर ही ग्राहकों को आंवला मिल रहा है।
गाजियाबाद (साहिबाबाद), जागरण संवाददाता। Amla Benefits in Coronavirus: स्वास्थ्य के लिए लाभदायक बताया जाने वाला आंवला इन दिनों बेमौसम भी अपनी रौ में है। आलू, प्याज, टमाटर को छोड़ो अक्सर महंगे बिकने वाले फल भी उसके सामने कहीं नहीं टिक रहे हैं। इसकी मुख्य वजह कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच डाक्टरों द्वारा आंवले का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद बताया जाना है।
यही वजह है कि आंवला इन दिनों सब्जी मंडी में वीवीआइपी वाली भूमिका में नजर आ रहा है। एडवांस बुकिंग कराए जाने पर ही ग्राहकों को आंवला मिल रहा है। आढ़ती राजकुमार ने बताया कि आंवला खास तौर से प्रतापगढ़ और आसपास के जिलों से आता है, जिसका रंग हरा होता है। सब्जी, चटनी के अलावा आंवले से अचार, चूरन, मिठाई और मुरब्बा भी बनाया जाता है। अप्रैल तक यह खूब बिका, दाम भी कम थे। लेकिन अब प्रतापगढ़ वाले आंवले का सीजन जा चुका है।
कोरोना के कारण आंवले की मांग तेजी से बढ़ गई है। जिसकी वजह से प्रतापगढ़ के बजाय इन दिनों शिमला का आंवला मंडी में आ रहा है। इसके दाम 120 रुपये प्रति किलो तक जा पहुंचे हैं। ज्यादातर फुटकर दुकानदार और आढ़ती इस आंवले को बेचने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं, जिसकी वजह इसके दाम हैं। दुकानदारों का कहना है लॉकडाउन का असर लोगों की जेब पर पड़ा तो सब्जियों के खरीदार भी कम हो गए, इस वजह से ज्यादातर सब्जियों के दाम भी सस्ते हो गए हैं। ऐसे में 120 रुपये में मंडी से एक किलो आंवला खरीदना उनक फायदे का सौदा नहीं लग रहा है। चंद दुकानदार ही मंडी से बिक्री के लिए आंवला खरीदकर अपनी दुकान पर लाते हैं।
दुकानदार हरिशंकर ने बताया कि प्रतापगढ़ के हरे रंग के आंवले के सामने शिमला से आने वाला सफेद रंग का आंवला कम टिकाऊ है। इसकी एक वजह गर्मी भी है। आंवले में दो दिन में ही दाग पड़ जाते हैं। अगर दो दिन में खरीदारी के लिए लाया गया आंवला नहीं बिका तो उसे बेच पाना और मुश्किल हो जाता है। इन दिनों ग्राहक आंवले की एडवांस बुकिंग सब्जी विक्रेता से कर रहे हैं। वह अगले दिन मंडी से मांग के मुताबिक आंवला लाकर ग्राहक को देता है। इसके लिए कमीशन अलग से लेता है, जो कि 20-30 रुपये प्रति किलो तक होता है। ग्राहक को एक किलो आंवला डेढ़ सौ रुपये प्रति किलो तक मिल रहा है।
मंडी समिति के सचिव विश्वेंद्र कुमार ने बताया कि पिछले साल अप्रैल इस साल मार्च तक जनपद में आंवले की आवक 54 हजार 894 क्विंटल रही। यह आंवला न केवल सीधे मंडी में मंगाया गया, बल्कि प्राइवेट कंपनियों ने भी मंगाया, जिससे कि आंवले से वह अलग अलग प्रोडक्ट बना सकें।
क्षेत्रीय आयुर्वेद एवं यूनानी अधिकारी डॉ. अशोक राणा ने बताया कि देश में कोरोना संक्रमण के मामले हल्के हैं। ऐसे मामलों से निपटने के लिए हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को घरेलू नुस्खों से भी बढ़ाया जा सकता है। इसमें आंवला भी एक है, जिसके विभिन्न रूपों में सेवन करके हम कोरोना जैसी महामारी को मात दे सकते हैं। आंवले का इस्तेमाल रस, मुरब्बा, कैंडी, चटनी के रूप में भी किया जा सकता है।