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गाजियाबाद : औद्योगिक क्षेत्रों में टूटी सड़कों की धूल से वायु प्रदूषण में हो रहा इजाफा

जनपद के अधिकांश औद्योगिक क्षेत्रों की सड़कें खराब हैं जिनमें कहीं गहरे गड्ढे हैं तो कहीं सड़क गायब है। इन पर माल लदे और खाली वाहनों का आवागमन होता रहता है। इससे उड़ने वाली धूल से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है।

By Neel RajputEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 11:50 AM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 11:50 AM (IST)
गाजियाबाद : औद्योगिक क्षेत्रों में टूटी सड़कों की धूल से वायु प्रदूषण में हो रहा इजाफा
अधिकांश औद्योगिक क्षेत्रों की टूटी सड़कों में गहरे गड्ढे दे रहे हादसों को न्यौता

गाजियाबाद [शाहनवाज अली]। मौसम बदलने के साथ ही वायु प्रदूषण का ग्राफ बढ़ने लगा है। इसके लिए जिम्मेदार तमाम कारकों को चिह्नित किया जा रहा है, जिसमें उद्योग, यातायात, वाहन व निर्माण कार्याें को जिम्मेदार ठहराया जाता है। इसके लिए खस्ताहाल सड़कों से उड़ती धूल भी कम जिम्मेदार नहीं है। जनपद के अधिकांश औद्योगिक क्षेत्रों की सड़कें खराब हैं, जिनमें कहीं गहरे गड्ढे हैं तो कहीं सड़क गायब है। इन पर माल लदे और खाली वाहनों का आवागमन होता रहता है। इससे उड़ने वाली धूल से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। कोरोना काल से पहले भी यहां से कर्मचारी और आमजन धूल से बचने के लिए मुंह पर कपड़ा बांधकर गुजरते थे। इनमें प्रमुख रूप से कविनगर, मेरठ रोड, बुलंदशहर रोड इंडस्ट्रियल एरिया, मुकुंदनगर एरिया, मोहननगर, राजेंद्र नगर, एरिया, आनंद इंडस्ट्रियल एरिया, साहिबाबाद साइट-4 इंडस्ट्रियल एरिया, स्वदेशी इंडस्ट्रियल कंपाउंड, मोदीनगर एरिया, मैनापुर-दुहाई इंडस्ट्रियल एरिया समेत करीब डेढ़ दर्जन इलाकों का यही हाल है।

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बुलंदशहर रोड इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के महासचिव  राजीव अरोडा ने बताया कि बुलंदशहर इंडस्ट्रियल एरिया में करीब आधा दर्जन से अधिक सड़कें टूटी हुई हैं। खस्ताहाल सड़कों पर वाहनों के गुजरने से धूल उड़ने से वायु प्रदूषण की शिकायत आम दिनों में भी रहती है। इस संबंध में नगर निगम में शिकायत दर्ज कराई गई। इनके निर्माण व मरम्मत के लिए आश्वासन दिया गया है। सड़कें बनने से राहत मिलेगी।

आइआइए के वरिष्ठ उपाध्यक्ष  नीरज सिंघल अब मौसम बदलने के बाद अधिक प्रदूषण की शिकायत होगी, जिसमें धूल प्रमुख कारक होगा। फैक्ट्रियों को वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा। इससे पूर्व फैक्ट्री चल रही थी, तब इतना प्रदूषण कहां रहा। इसके लिए धूल भी एक बड़ी वजह है। अधिकांश औद्योगिक क्षेत्रों में सड़कों की हालत खराब है। इन्हें भी अविलंब बनवाना चाहिए।

एक उद्यमी विकास खंडेलवाल ने कहा कि औद्योगिक इलाकों में अधिकांश में सड़कें दुरुस्त नहीं हैं। सड़कों पर दौड़ने वाले वाहनों से उड़ती धूल मानव शरीर के लिए तो नुकसानदायक है ही। इसके अलावा किसी भी फैक्ट्री में बनने वाले उत्पादों के लिए भी कम खतरनाक नहीं है। इससे क्वालिटी खराब होने का पूरा खतरा है। वहीं, कुछ इलाकों में अगर सड़कें ठीक हैं तो वहां कूड़ा न उठाने की समस्या है। सड़क किनारे धूल की सफाई की व्यवस्था भी की जानी चाहिए।

मास्क से कोरोना व प्रदूषण से बचाव

फिजिशियन डा. मोइन के मुताबिक,  हर समझदार अब कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए मास्क को जीवनशैली का हिस्सा मानने लगा है। कोरोना संक्रमण के खतरे के साथ ही अब वायु प्रदूषण भी बढ़ने की ओर अग्रसर है। ऐसे में मास्क कोरोना के साथ वायु प्रदूषण से भी रक्षा करेगा। घर से बाहर निकलते समय मास्क का नियमित रूप से इस्तेमाल करें।

नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने कहा कि नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में आने वाली सभी सड़कों को गड्ढा मुक्त बनाया जाएगा। इस योजना पर काम चल रहा है। दहशरा तक चिह्नित सभी 50 सड़कों को गड्ढामुक्त कर दिया जाएगा।

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