मैकेनिक के बेटे और बेटी ने जूडो के राष्ट्रीय मुकाबले में जीते कांस्य पदक
मोटर मेकैनिक के बेटे और बेटी ने सब जूनियर राष्ट्रीय जूडो प्रतियोगिता में कांस्य पदक अपने नाम किए। हिमाचल प्रदेश के ऊना शहर में आयोजित प्रतियोगिता में शिब्बनपुरा लाल चौक निवासी रिया कश्यप ने 36 किलो और उसके बड़े भाई शिवम कश्यप ने 35 किलो भार वर्ग में पदक जीत शहर का नाम रोशन किया। इस पदक के साथ उन्होंने अपने पिता के विश्वास को और पुख्ता किया है।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : मोटर मैकेनिक के बेटे और बेटी ने सब जूनियर राष्ट्रीय जूडो प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीते। हिमाचल प्रदेश के ऊना शहर में आयोजित प्रतियोगिता में शिब्बनपुरा लाल चौक निवासी रिया कश्यप ने 36 किलो और उसके बड़े भाई शिवम कश्यप ने 35 किलोभार वर्ग में पदक जीत शहर का नाम रोशन किया। पिता राकेश कश्यप ने अपनी पत्नी के कुंडल गिरवी रखकर तीन बच्चों की प्रतियोगिता की फीस जमा की थी। हालांकि, सबसे बड़ा बेटा हर्ष कश्यप पदक जीतने से एक कदम पीछे रह गया।
रिया और शिवम कश्यम पटेल मार्ग स्थित बीआर अंबेडकर इंटर कॉलेज में पढ़ते हैं। रिया सातवीं कक्षा की छात्रा है और वह आठ साल की उम्र से महामाया स्टेडियम में जूडो की बारीकियां सीख रही हैं। शिवम आठवीं में पढ़ता है। कोच परवेज अली ने बताया कि भाई-बहन जूडो में बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं। दोनों की क्षमता अधिक है। उन्होंने बताया कि इनका परिवार बेहद गरीब है। तीसरा भाई हर्ष कश्यप भी प्रतियोगिता का हिस्सा बना। उनके पिता राकेश कश्यप मोटर मैकेनिक हैं। कम आय के बावजूद वह अपने बच्चों को जूडो खेल में मुकाम पर पहुंचाने के लिए प्रयासरत हैं। ऊना में चल रही प्रतियोगिता में तीनों बच्चों को प्रतिभाग कराने के लिए 4500 रुपये फीस पत्नी के कुंडल गिरवी रख कर जमा की है। यही नहीं राकेश अपने बच्चों की हौसला अफजाई के लिए उनके साथ गए हुए हैं। पिता राकेश का कहना है कि बच्चों को खेल में आगे बढ़ाने के लिए हर कोशिश करेंगे। उनका कहना है कि पहलवान गीता और बबीता के लिए उनके पिता महावीर फोगाट ने प्रयास नहीं किए होते तो दोनों बहनें दुनिया में देश का नाम रोशन नहीं कर पातीं। बच्चों को सफल बनाने के लिए परिजनों का साथ और समर्पण जरूरी है।
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जूडो से खिलवाड़ पर कोच ने बयां किया दर्द
कोच परवेज अली ने व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाई है। रिया और शिवम के कांस्य पदक जीतने पर परवेज ने कहा कि यह मौका खुशी का है। ऐसे वक्त पर मैं महामाया स्टेडियम में जूडो से हो रहे खिलवाड़ को उजागर करना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि स्टेडियम में जूडो के लिए 10 बाई 10 फुट का कमरा दिया गया है। इस खेल में अभ्यास के लिए 52 गद्दे जरूरी हैं। खेल के अभ्यास के लिए ज्यादा जगह चाहिए होती है। स्टेडियम में 18 गद्दे ही अभ्यास के लिए दिए गए हैं। 50 से ज्यादा गद्दे स्टोर में बंद हैं। जगह की कमी के चलते उन्हें नहीं बिछाया जा सकता। उन्होंने कहा कि जिला खेल प्रोत्साहन समिति का इस खेल की तरफ ध्यान नहीं है। समिति चाहे तो दो लाख रुपये में स्टेडियम में अस्थाई जूडो हॉल का निर्माण किया जा सकता है।