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संक्रमितों को मुखाग्नि देकर मनोज पांडेय ने निभाया बेटे का फर्ज

जागरण संवाददाता गाजियाबाद कोरोना के शुरुआती दिनों में लोगों के भीतर कोरोना का डर व्य

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Jan 2021 03:32 PM (IST)Updated: Mon, 25 Jan 2021 03:32 PM (IST)
संक्रमितों को मुखाग्नि देकर मनोज पांडेय ने निभाया बेटे का फर्ज
संक्रमितों को मुखाग्नि देकर मनोज पांडेय ने निभाया बेटे का फर्ज

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : कोरोना के शुरुआती दिनों में लोगों के भीतर कोरोना का डर व्याप्त था। संक्रमितों की मौत के बाद अपनों ने भी दूरी बना ली। कुछ लोग तो डर की वजह से मौत के बाद अपनों का मुंह देखने भी नहीं पहुंचे। नगर निगम ने कोरोना संक्रमितों का अंतिम संस्कार करने के लिए हिडन श्मशान घाट पर इलेक्ट्रिक मशीन लगाई थी, लेकिन यह मशीन बार-बार खराब हो जाती थी। ऐसे संक्रमितों का अंतिम संस्कार करने में बहुत दिक्कत आती थी। कई परिवार तो कोरोना से संदिग्ध मौत के शक में ही मृतक को अंतिम विदाई देने नहीं पहुंचे। उस समय सीतापुर निवासी 38 वर्षीय मनोज पांडेय ने संक्रमितों का अंतिम संस्कार करने में अहम भूमिका निभाई।

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उनकी कोरोना संक्रमितों का अंतिम संस्कार कराने की ड्यूटी नहीं थी, इसके बावजूद उन्होंने बड़ी संख्या में संक्रमितों का अंतिम संस्कार किया। उन्होंने शव की बेअदबी नही होने दी। वह खुद पीपीई किट पहकर अंतिम संस्कार करने में जुट जाते थे। वह बेटे, पिता व भाई का फर्ज निभाते हुए खुद शव को मुखाग्नि देते थे। अप्रैल 2020 से वह अक्टूबर 2020 तक अपने घर नहीं गए। हिडन मोक्ष स्थल पर लगातार शवों का अंतिम संस्कार करते रहे। रात में भी वह अंतिम संस्कार में लगे रहते थे। मनोज पांडेय ने बताया कि उन्होंने इंटरनेट पर देखा कि कुछ देशों में कोरोना संक्रमित शवों की बेअदबी हो रही थी। शव सड़क पर पड़ हुए थे। इसके बाद उन्होंने निर्णय लिया कि वह अपने देश में संक्रमित शवों की बेअदबी नहीं होने देंगे। वह खुद धार्मिक रीति रिवाज से शवों को अंतिम संस्कार करेंगे।

------ पंडित नंद किशोर ने लावारिसों का कराया अंतिम संस्कार

कोरोना के प्रारंभ में लाकडाउन लगा हुआ था। लोग घर से बाहर नहीं निकल रहे थे। उस दौरान कई लावारिस लोगों की मौत हुई। पुलिस ने लावारिस शवों को अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट पर भेज दिया। डर की वजह से कोई भी व्यक्ति उनका अंतिम संस्कार करने के लिए तैयार नहीं था। ऐसे में पंडित नंद किशोर ने लावारिसों पूरी धार्मिक प्रक्रिया के साथ उनका अंतिम संस्कार कराया। पंडित मनीश शर्मा की तरफ से उनके लिए नि:शुल्क लकड़ी की व्यवस्था की गई। नंद किशोर ने उनका अंतिम संस्कार के बाद उनकी अस्थियों को भी विसर्जित किया। पंडित नंद किशोर ने बताया कि लावारिस शव को लोग कोरोना संदिग्ध मान कर दूर रहते थे। वह पीपीई किट पहनकर अंतिम संस्कार करते थे। कई माह तक वह परिवार से मिलने घर नहीं गए। वह कई बार खुद भी बीमार हुए। उन्होंने कोरोना का टेस्ट भी कराया। हालांकि हर बार उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई। जांच रिपोर्ट आने के बाद वह फिर से काम शुरू कर देते थे। उन्होंने कभी भी शवों लावारिस स्थिति में नहीं छोड़ा।


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