जीवन के महासागर में टापू की तरह लॉकडाउन के दिन
जीवन अबूझ पहेली है। कब क्या होगा किसी को कुछ नहीं पता। लॉकडाउन के दिन ऐसी ही एक पहेली की तरह हैं। जिसमें रोज नया अनुभव हो रहा है। ऐसी घटनाएं घटित हो रही हैं जो अब से पहले किसी ने देखी न सुनी। ये दौर इतिहास के पन्नों में दर्ज किया जाएगा। हर व्यक्ति अलग ²ष्टिकोण से इन दिनों को इतिहास का हिस्सा बनाएगा। मशहूर शायर कुंवर बेचैन लॉकडाउन के इन दिनों को जीवन के महासागर में टापू की तरह देख रहे हैं। उनका कहना है कि आधुनिक युग की भागदौड़ भरी जिदगी में अचानक सब थम जाना अब से पहले कभी नहीं देखा। मैं खुद लॉकडाउन लागू होने के पहले तक कभी 24 घंटे घर में नहीं रहा। सब्जी लेने ही सही घर से जरूर निकलता था। लॉकडाउन लागू होने के बाद से अब तक 17 दिन घर में बीत चुके हैं। सुनते थे कि टापू में जरूर इस तरह की स्थिति होती थी।
आशीष गुप्ता, गाजियाबाद :
जीवन अबूझ पहेली है। कब, क्या होगा किसी को कुछ नहीं पता। लॉकडाउन के दिन ऐसी ही एक पहेली की तरह हैं। इसमें रोज नया अनुभव हो रहा है। ऐसी घटनाएं घटित हो रही हैं, जो अब से पहले किसी ने देखी न सुनी। ये दौर इतिहास के पन्नों में दर्ज किया जाएगा। हर व्यक्ति अलग दृष्टिकोण से इन दिनों को इतिहास का हिस्सा बनाएगा। मशहूर शायर कुंवर बेचैन लॉकडाउन के इन दिनों को जीवन के महासागर में टापू की तरह देख रहे हैं। उनका कहना है कि आधुनिक युग की भागदौड़ भरी जिदगी में अचानक सब थम जाना अब से पहले कभी नहीं देखा। मैं खुद लॉकडाउन लागू होने के पहले तक कभी 24 घंटे घर में नहीं रहा। सब्जी लेने ही सही, घर से जरूर निकलता था। लॉकडाउन लागू होने के बाद से अब तक 17 दिन घर में बीत चुके हैं। सुनते थे कि टापू में जरूर इस तरह की स्थिति होती थी। एकाग्रता का मिला साथ, रचीं सात रचनाएं
शायर कुंवर बेचैन लॉकडाउन के इन दिनों को कलम का साथी मान रहे हैं। उनका कहना है कि इन दिनों एकांत और एकाग्रता की भरपूर जुगलबंदी मिल रही। इससे कलम को नई रचनाओं के सृजन में मदद मिल रही है। मन में आ रहे विचार फर्राटा भर रहे हैं। किसी तरह का अवरोध उनके आड़े नहीं आ रहा। उनका कहना है कि लॉकडाउन से पहले शोरगुल के कारण एकाग्रता का अभाव हो रहा था। किसी के आने से तो कभी फोन की घंटी बजने से विचार टूट जाते थे। लॉकडाउन में ये समस्या खत्म हो गई है। नया अनुभव हो रहा है। रचना में तरलीन होने की वजह से भावों को दूर तक ले जाना संभव हो गया है। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन, कोरोना से लेकर तमाम विषयों पर लॉकडाउन पीरियड में सात रचनाएं लिख चुके हैं।
घर में अलग बैठकर दे रहे एकता का परिचय
लॉकडाउन के दिनों को शायर कुंवर बेचैन ने सकारात्मक रूप में लेने की सलाह दी है। उनका कहना है कि लोगों को ये दिन दुर्भाग्यपूर्ण लग रहे होंगे। लेकिन, मेरे नजरिए से देखें तो इनमें एकता का संदेश है। लोग अपने-अपने घरों में बैठक कर कोरोना को हराने के लिए एकजुट नजर आ रहे हैं। हर कोई यही चाहता है कि यह महामारी दूर हो जाए। इसलिए घर के अंदर बैठक कर कोरोना से महायुद्ध चल रहा है। साथ ही अपने स्वजनों को समझने का पूरा मौका मिल रहा है। पहले आपाधापी के कारण पास होते हुए परिवार में दूरियां नजर आती हैं। दुनिया भी घर बैठकर बेहतर समझ आ रही है।