लैंडपू¨लग नीति से इंदिरापुरम विस्तार और ट्रांसपोर्ट नगर की राह हुई आसान
जीडीए के लिए इंदिरापुरम विस्तार और ट्रांसपोर्ट नगर बसाने समेत कई नई योजनाओं का खाका खींचने की राह आसान हो गई है। कैबिनेट ने कुछ ही जिलों में विकास की गति तेज करने के लिए लैंडपू¨लग नीति को मंजूरी दी है। उसमें गाजियाबाद शामिल हैं। लैंडपू¨लग नीति के तहत विकास की योजनाओं को रफ्तार मिलेगी। इसे लेकर जीडीए के अधिकारी उत्साहित हैं। जमीन अधिग्रहण की अड़चनों को देखते हुए शासन ने लैंडपू¨लग नीति बनाई थी।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : जीडीए के लिए इंदिरापुरम विस्तार और ट्रांसपोर्ट नगर बसाने समेत कई नई योजनाओं का खाका खींचने की राह आसान हो गई है। कैबिनेट ने कुछ ही जिलों में विकास की गति तेज करने के लिए लैंडपू¨लग नीति को मंजूरी दी है। उसमें गाजियाबाद शामिल हैं। लैंडपू¨लग नीति के तहत विकास की योजनाओं को रफ्तार मिलेगी। इसे लेकर जीडीए के अधिकारी उत्साहित हैं। जमीन अधिग्रहण की अड़चनों को देखते हुए शासन ने लैंडपू¨लग नीति बनाई थी।
एक दशक पहले कनावनी गांव की जमीन पर इंदिरापुरम विस्तार प्रस्तावित हुआ था। किसानों से वार्ता के बाद अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की गई थी। मुआवजा निर्धारण की प्रक्रिया के दौरान उनमें से कुछ किसानों ने कोर्ट का रुख कर लिया था। इस कारण अब तक यह योजना सिरे नहीं चढ़ पाई। अक्टूबर 2017 में जीडीए अधिकारियों ने लैंडपू¨लग करके योजना को आगे बढ़ाने के बारे में किसानों से विचार विमर्श किया था। उस वक्त लैंडपू¨लग नीति न होने के कारण बात आगे नहीं बढ़ पाई। अब जब शासन के प्रस्ताव पर कैबिनेट ने लैंडपू¨लग नीति को मंजूरी प्रदान कर दी है। जीडीए के लिए इंदिरापुरम विस्तार की योजना को आगे बढ़ाने की राह आसान हो गई है। इस विस्तार के लिए जीडीए को कनावनी गांव की 250 एकड़ भूमि चाहिए। लैंडपू¨लग नीति से राजनगर एक्सटेंशन की तरफ जोनल रोड और नॉर्दर्न पेरिफेरल रोड के बीच 100 एकड़ भूमि पर ट्रांसपोर्ट नगर बसाने में आ रही मुश्किलें भी खत्म हो जाएंगी। इसके अलावा किसानों की सहमति लेकर नई आवासीय योजनाओं का खाका खींचा जा सकेगा। आखिरी बार जीडीए ने मधुबन-बापूधाम आवासीय योजना विकसित की है। जोकि, भूमि अधिग्रहण में अड़चनों के चलते अधूरी रह गई। ये है नीति
लैंडपू¨लग नीति के तहत विकास के लिए न्यूनतम 25 एकड़ भूमि की आवश्यकता होगी। किसी एक व्यक्ति या समूह की सहमति लेनी होगी। न्यूनतम 25 फीसद भूमि पर मालिकाना हक भू-स्वामी के पास ही रहेगा। जीडीए जमीन को अपने खर्च पर विकसित करेगा। करीब 40 फीसद भूमि पर सड़क, पार्क, नाली, नाला, सीवर और पेयजल लाइन की व्यवस्था की जाएगी। बाकी 60 फीसद भूमि पर आवासीय, स्कूल और कमर्शियल प्लॉट का लेआउट तैयार होगा। ग्रुप हाउ¨सग भी बनाई जा सकती है।
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भूमि अधिग्रहण करना जटिल हो गया है। ऐसे में लैंडपू¨लग नीति को कैबिनेट मंजूरी मिलने से विकास की रफ्तार तेजी होगी। जीडीए इस नीति के तहत किसानों और भू-स्वामियों की सहमति से नई योजनाओं का खाका खींच सकेगा।
- कंचन वर्मा, वीसी, जीडीए