युद्ध में दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाले हीरो विमान का चौराहे पर मजाक
भारत-पाक 1965 युद्ध में युद्धक विमान डसॉल्ट मिस्टेर ने दुश्मनी सेना के दांत खट्टे करने के साथ ही जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्ष 1973 में भारतीय वायुसेना से रिटायर होने के बाद एक विमान डीपीएसजी प्रांगण में रखा गया, जहां से 13 जनवरी को ¨हडन एलिवेटेड रोड एंट्री पाइंट पर रखा गया। चौराहे पर बिना किसी सुरक्षा के रखे युद्धक विमान बच्चों के लिए सैर सपाटा और युवाओं के लिए सेल्फी पाइंट बना है। जेट से दो दिन में कई हिस्से गायब हो चुके हैं।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद: भारत-पाक 1965 युद्ध में युद्धक विमान डसॉल्ट मिस्टेर ने पाकिस्तानी वायुसेना के दांत खट्टे कर जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1973 में भारतीय वायुसेना से रिटायर होने के बाद एक विमान डीपीएसजी प्रांगण में रखा गया था, जहां से 13 जनवरी को ¨हडन एलिवेटेड रोड एंट्री पाइंट पर रखा गया है। हालांकि चार दिन बाद ही इस विमान की दुर्दशा देखकर आप चौंक जाएंगे। आप खुद ही कहेंगे कि आखिरकार इसे यहां क्यों खड़ा कर दिया गया। दर्शक और उत्पाती लोग इस पर चढ़कर इसकी गरिमा को तार तार कर रहे हैं, तो वहीं चोर इसके कलपुर्जे चोरी करने में लग गए हैं। चौराहे पर बिना किसी सुरक्षा के रखे युद्धक विमान से दो दिन में कई हिस्से गायब हो चुके हैं। साथ ही यह बच्चों के लिए सैर सपाटा और युवाओं के लिए सेल्फी प्वाइंट बना है। गौरव बयां करने लाया गया था विमान को
1965 की लड़ाई में हीरो की भूमिका निभाने वाला डसॉल्ट मिस्टेर बांबर को गत 13 जनवरी 2019 को एलीवेटेड एंट्री पाइंट पर रखा गया। यह इससे पूर्व 26 वर्षो तक मेरठ रोड स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल गाजियाबाद (डीपीएसजी) के परिसर में रखा था। विमान को भारतीय वायुसेना के तकनीकी सहयोग से यहां शिफ्ट किया गया। यहां इसे रखने का मकसद सुंदरीकरण के साथ ही लोगों को इसके इतिहास के बारे में जानकारी देना और शहर में ¨हडन एयरबेस आसपास होना बताना भी है। दो हाइड्रॉलिक मशीन की मदद से 4.7 किलोमीटर का रास्ता तय करने में आठ घंटे 50 मिनट का वक्त लगा। डेढ़ घंटे का वक्त इसे एलीवेटेट एंट्री पाइंट पर स्थापित करने में लगा था। स्थापित करने के बाद निगम व पुलिस-प्रशासन ने अपने कार्य की इतिश्री कर ली। इसके बाद स्थानीय लोगों के अलावा यहां से गुजरने वाले वाहनों में सवार युवाओं ने इसका मजाक बनाने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ी। पहले ही दिन से इस पर सवार होकर सेल्फी लेने के साथ ही इसके इंजन और पायलट सीट पर बैठने की होड़ बच्चों से लेकर बड़ों में देखने को मिली। कभी अपने दम पर भारतीय वायु सेना का सिर गर्व से उंचा करने वाले युद्धक विमान का बेचारगी की हालत में चौराहे पर मजाक उड़ रहा है। बच्चों के लिए यह सैर-सपाटा और युवाओं व परिवारों के लिए यह सेल्फी पाइंट बन गया है। आलम यह है कि तीन दिन में ही इसके कई हिस्से गायब कर चुके हैं। जानिए डसॉल्ट मिस्टेर बांबर के बारे में
भारतीय वायु सेना के लिए सरकार ने फ्रांस से 1957 में डसॉल्ट मिस्टेर बांबर 104 विमान खरीदे, जिनका बड़े पैमाने पर 1965 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में इस्तेमाल किया गया। 16 सितंबर 1965 को एक मिस्टेर ने एक पाकिस्तानी विमान एल-19 को ध्वस्त कर दिया था। सात सितंबर 1965 को सरगोधा में हमले के बाद डसॉल्ट मिस्टेर बांबर को पाकिस्तानी लॉकहीड एफ-104 ने पीछा किया। दोनों विमानों ने एक-दूसरे पर हमला किया। दोनों विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गए। भारतीय वायु सेना के पायलट देवय्या की हादसे में मौत हो गई थी। युद्ध के 23 साल बाद उन्हें मरणोपरांत महावीर चक्र से नवाजा गया था। सरगोधा में हमले के दौरान भारतीय युद्धक विमान ने पाकिस्तान के 9 विमानों को नेस्तानाबूद कर दिया था। 1965 के भारत-पाक युद्ध के तुरंत बाद विमान का चरणबद्ध तरीके से हटाने का काम शुरु किया गया । हालांकि 1971 के युद्ध में भी इसका इस्तेमाल किया गया। 973 में वायु सेना के बेड़े से इसे रिटायर कर दिया गया। पायलट सीट पर बैठा तो कोई पंखुडी पर लटका
सुरक्षा व्यवस्था या किसी तरह की रोकटोक न होने के चलते भारतीय वायुसेना का विमान बच्चों के लिए पिकनिक स्पॉट से कम नहीं है। विमान पर जूते-चप्पल और डंडे लेकर चढ़ने से लेकर पायलट सीट की गरिमा को तार-तार किया जा रहा है। इसकी पंखुडी और आगे के हिस्से पर बच्चे झूल रहे हैं। इसे लेकर प्रशासनिक अमले से लेकर नगर निगम तक गंभीर नहीं है। इस संबंध में जिला प्रशासन और नगर निगम अपनी ओर से इस बारे में सफाई दे चुके हैं, जिसमें उन्होंने युद्धक विमान के आसपास सुंदरीकरण के साथ ही स्टील रे¨लग लगाने लगाने की बात की थी। वहीं, निगम की ओर से इसकी सुरक्षा व्यवस्था के लिए स्थानीय पुलिस चौकी से आग्रह किया था, लेकिन हालात तीसरे दिन भी जस के तस हैं।