22 वर्ष पहले हुई चोरी में तीन वर्ष का कारावास
अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वितीय अभिषेक कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने करीब 22 वर्ष पहले चोरी के मामले में तीन वर्ष की सजा सुनाई है। अभियुक्त पर अदालत ने आठ हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया। इस मुकदमे में गवाह मुकर गया था लेकिन अदालत ने माना कि अभियुक्त के घर से सामान बरामद हुआ इसलिए वह चोरी का दोषी है। । अभियोजन अधिकारी संजय सिंह ने बताया कि विजय नगर थाना क्षेत्र के माता कालोनी के तीन घरों में 16 मई 1997 की रात की चोरी की घटना हुई थी। चोरों ने निर्मला देवी निसार अहमद और महिला नसरीन के घर से चोरी की थी। निर्मला के घर से टेलीविजन स्पीकर एफएम कपड़े और डेढ़ हजार की नकदी चोरी हुई थी।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वितीय अभिषेक कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने करीब 22 वर्ष पहले चोरी के मामले में तीन वर्ष की सजा सुनाई है। अभियुक्त पर अदालत ने आठ हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया। इस मुकदमे में गवाह मुकर गया था, लेकिन अदालत ने माना कि अभियुक्त के घर से सामान बरामद हुआ, इसलिए वह चोरी का दोषी है।
अभियोजन अधिकारी संजय सिंह ने बताया कि विजय नगर थाना क्षेत्र के माता कालोनी के तीन घरों में 16 मई 1997 की रात की चोरी की घटना हुई थी। चोरों ने निर्मला देवी, निसार अहमद और महिला नसरीन के घर से चोरी की थी। निर्मला के घर से टेलीविजन, स्पीकर, एफएम, कपड़े और डेढ़ हजार की नकदी चोरी हुई थी। नसरीन के घर से 12 सौ रुपये, सोने की कान की बाली और कपड़े गायब थे। निसार अहमद के घर से चोरों ने काफी संख्या में कपड़े साफ कर दिए थे। घटना के अगले दिन ही पुलिस ने पप्पू और उसके साथी राधाकिशन को मेडिकल तिराहे कट के पास से गिरफ्तार किया। पप्पू के दोस्त राधाकिशन के घर से उपरोक्त तीनों घरों से चोरी का माल बरामद हो गया था।
कोर्ट में गवाह मुकरने के बाद सजा
अभियोजन अधिकारी संजय सिंह ने बताया के इस घटना में पुलिस ने दो अभियुक्त बनाए थे। एक अभियुक्त राधा किशन पहले ही अदालत में जुर्म कबूल कर सजा काट चुका है। दूसरे अभियुक्त पप्पू के मामले में सुनवाई के दौरान अदालत में एक गवाह पक्षद्रोही हो गया। माल बरामदगी के समय का एक गवाह अदालत में अपने बयान से मुकर गया था। तब अभियोजन की ओर से मजबूती से पक्ष रखा गया। अदालत ने अभियुक्त पप्पू व सह अभियुक्त राधाकिशन के घर से माल बरामदगी होने पर पप्पू को दोषी मानकर सजा सुनाई।