आम आदमी के हथियार पर लग रही जंग
नोट कृपया खबर को नेट पर न डालें --- जागरण विशेष --- - समय से नहीं हो पा रहा है आरटीआइ प्रकरणों का निस्तारण - जिले में बड़ी संख्या में लंबित पड़ी है विभागों में आरटीआइ --- आशुतोष गुप्ता गाजियाबाद आम आदमी का हथियार यानि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 जिले में ढीली गति से चल रहा है। विभागीय उदासीनता के चलते जिले के विभिन्न विभागों में आरटीआइ के प्रकरणों का अंबार लगा हुआ है। समय से विभागों द्वारा आवेदक को आरटीआइ के तहत जानकारी नहीं दी जा रही है। इसके चलते आम आदमी को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अधिकांश जन सूचना अधिकारी लोकसभा चुनाव का हवाला दे रहे हैं और लोकसभा चुनाव की वजह से आरटीआइ के प्रकरणों के निस्तरण न होने की बात कह रहे हैं। आंकड़ों पर गौर करे तो इस वर्ष एक जनवरी से 31 मई तक विभिन्न विभागों में लोगों द्वारा 253 आरटीआइ डाली गईं। इनमें अब तक कुल 35 प्रकरणों में आरटीआइ का जवाब दिया गया जबकि 21
आशुतोष गुप्ता, गाजियाबाद : आम आदमी का हथियार यानि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 जिले में धीमी गति से चल रहा है। विभागीय उदासीनता के चलते जिले के विभिन्न विभागों में आरटीआइ के प्रकरणों का अंबार लगा है। समय से विभागों द्वारा आवेदक को आरटीआइ के तहत जानकारी नहीं दी जा रही है। इसके चलते आम आदमी को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अधिकांश जनसूचना अधिकारी लोकसभा चुनाव का हवाला दे रहे हैं और लोकसभा चुनाव की वजह से आरटीआइ के प्रकरणों के निस्तरण न होने की बात कह रहे हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो इस वर्ष एक जनवरी से 31 मई तक विभिन्न विभागों में लोगों द्वारा 253 आरटीआइ डाली गईं। इनमें अब तक कुल 35 प्रकरणों में आरटीआइ का जवाब दिया गया जबकि 218 प्रकरण अभी लंबित हैं। इनमें सबसे अधिक लंबित प्रकरण एसडीएम/तहसीलदार सदर, एसएसपी, नगरायुक्त नगर निगम व गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के हैं। राज्य सूचना आयुक्त ने दी थी ट्रेनिग
अभी हाल में ही राज्य सूचना आयुक्त नरेंद्र कुमार श्रीवास्तव अपनी टीम के साथ ने कलक्ट्रेट में विभिन्न विभागों के साथ बैठक कर आरटीआइ के संबंध में ट्रेनिग दी थी और जन सूचना अधिकारियों को आरटीआइ के प्रति जागरुक किया था। इस दौरान उन्होंने जानकारी दी थी कि समय से आरटीआइ का जवाब नहीं देने पर प्रदेश भर में 12 हजार जन सूचना अधिकारियों पर अर्थदंड की कार्रवाई की जा चुकी है और वर्तमान में प्रदेश भर में करीब 49 हजार आरटीआइ के प्रकरण लंबित हैं। उनके कार्यक्रम को लेकर प्रशासन ने जिले भर की आरटीआइ की स्थिति की सूची बनवाई थी। जिला अल्पसंख्यक विभाग का बेहतर प्रदर्शन
जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का आरटीआइ के मामले में बेहतर प्रदर्शन है। इस वर्ष अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में तीन आरटीआइ डाली गईं और तीनों का समय से जवाब दे दिया गया। इस विभाग में एक भी आरटीआइ लंबित नहीं है। कई विभागों ने नहीं दिया एक भी आरटीआइ का जवाब
जिले में ऐसे भी कई विभाग हैं जिन्होंने इस वर्ष एक भी आरटीआइ का जवाब नहीं दिया है। इनमें एसएसपी, जिला पंचायतराज अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी व मुख्य विकास अधिकारी शामिल हैं। ये है आरटीआइ की स्थिति
जन सूचना अधिकारी - कुल प्रकरण - निस्तारित - लंबित
एसडीएम/तहसीलदार सदर - 65 - 15 - 50
एसडीएम/तहसीलदार मोदीनगर - 26 - 07 - 19
एसडीएम/तहसीलदार लोनी - 17 - 05 - 12
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक - 38 - 00 - 38
नगरायुक्त नगर निगम - 35 - 01 - 34
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण - 29 - 03 - 26
जिला पंचायत राज अधिकारी - 13 - 00 - 13
जिला विद्यालय निरीक्षक - 09 - 00 - 09
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी - 07 - 00 - 07
मुख्य विकास अधिकारी - 08 - 00 - 08
मुख्य चिकित्साधिकारी - 03 - 01 - 02
जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी 03 - 03 - 00
कुल - 253 - 35 - 218 लोकसभा चुनाव के दौरान चुनावी कार्यों में व्यस्त होने के कारण आरटीआइ लंबित हुई। अब आरटीआइ पर तेजी से काम कर इनका निस्तारण किया जाएगा।
आदित्य प्रजापति, एसडीएम सदर
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- जैसे जैसे आरटीआइ आती हैं हमारे द्वारा उसी के अनुरूप तय समय में जवाब दिया जाता है। यदि कुछ आरटीआइ लंबित हैं तो उनका शीघ्र निस्तारण कराया जाएगा।
दिनेश चंद्र, नगरायुक्त
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- सभी आरटीआइ का तय समय सीमा में जवाब दिया जाता है। सिर्फ वही आरटीआइ कुछ समय के लिए लंबित रहती हैं, जिनमें वांछनीय सूचना के अलावा न दी जाने वाली जानकारी मांगी जाती है। हालांकि उनके जवाब भी यही लिखकर दे दिया जाता है कि यह आरटीआइ एक्ट के तहत यह सूचना नहीं दी जा सकती।
श्लोक कुमार, एसपी सिटी