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जीडीए को नहीं मिल रही लोन की 70 करोड़ की किस्त

कोरोना वायरस के कारण जीडीए को नेशनल कैपिटल रीजन प्लानिग बोर्ड (एनसीआरपीबी) से लोन की 70 करोड़ रुपये की किस्त नहीं मिल पा रही। जीडीए को किस्त लेने के लिए जिन बैंकों की गारंटी एनसीआरपीबी को देनी है। कोरोना के कहर के चलते बैठक न हो पाने के कारण इन बैंकों के बोर्ड की सहमति नहीं मिल पा रही है। समय रहते लोन की किस्त नहीं मिली तो परेशानी बढ़ सकती है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 Mar 2020 08:24 PM (IST)Updated: Wed, 18 Mar 2020 08:24 PM (IST)
जीडीए को नहीं मिल रही लोन की 70 करोड़ की किस्त
जीडीए को नहीं मिल रही लोन की 70 करोड़ की किस्त

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : कोरोना वायरस के कारण जीडीए को नेशनल कैपिटल रीजन प्लानिग बोर्ड (एनसीआरपीबी) से लोन की 70 करोड़ रुपये की किस्त नहीं मिल पा रही। जीडीए को किस्त लेने के लिए जिन बैंकों की गारंटी एनसीआरपीबी को देनी है। कोरोना के कहर के चलते बैठक न हो पाने के कारण इन बैंकों के बोर्ड की सहमति नहीं मिल पा रही है। समय रहते लोन की किस्त नहीं मिली तो परेशानी बढ़ सकती है।

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यूपी गेट से राजनगर एक्सटेंशन तक 10.30 किलोमीटर की हिडन एलिवेटेड रोड बनाने में 1147 करोड़ रुपये की लागत आई थी। जीडीए ने इसे बनाने के लिए 700 करोड़ रुपये का लोन एनसीआरपीबी से स्वीकृत कराया था। इसमें से 70 करोड़ रुपये की किस्त अब तक नहीं ली गई थी। हाल में जीडीए ने एनसीआरपीबी ने इस किस्त को लेने के लिए एनसीआरपीबी में अर्जी लगाई। उन्होंने किस्त जारी करने से पहले जीडीए से बैंक गारंटी मांगी। इसके लिए जीडीए ने दो बैंकों से गारंटी के लिए वार्ता की। बैंकों ने गारंटी देने के लिए प्रस्ताव अपने-अपने बोर्डों को भेज दिया। जीडीए को उम्मीद थी कि बैंकों के बोर्ड की सहमति जल्द मिल जाएगी। इसी दौरान कोरोना वायरस फैलने लगा। सुरक्षा की ²ष्टि से केंद्र सरकार ने बैठकों को निरस्त करने का आदेश जारी कर दिया। इस आदेश के कारण गारंटी नहीं मिल पाई। उधर, बीते सोमवार को जीडीए अधिकारियों ने एनसीआरपीबी के दफ्तर में वार्ता करने का प्रयास किया। एनसीआरपीबी के अधिकारियों ने साफ कर दिया कि वह गारंटी मिलने पर ही किस्त जारी करेंगे।

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एनसीआरपीबी से लोन की 70 करोड़ रुपये की किस्त मिलने में दिक्कत आ रही है। इसके लिए बैंक गारंटी देनी है। कोरोना के चलते बैंकों के बोर्ड की बैठक न हो पाने के कारण गारंटी के लिए सहमति नहीं मिल रही।

- कंचन वर्मा, वीसी, जीडीए


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