खुद हुई संक्रमित लेकिन बच्चे के लिए बनीं ढाल
अजय सक्सेना लोनी जीवन के शब्दकोश का पहला अक्षर मां है। जो न केवल बच्चे को जन्म देती है। बि
अजय सक्सेना, लोनी : जीवन के शब्दकोश का पहला अक्षर मां है। जो न केवल बच्चे को जन्म देती है। बल्कि उसके दुख को खुशी-खुशी सहन करती है। ऐसी ही एक मां उपजिलाधिकारी शुभांगी शुक्ला हैं, जो स्वयं कोरोना संक्रमित होने के बाद भी अपने ढाई वर्षीय बच्चों के लिए ढाल बनी रहीं।
-- उपजिलाधिकारी शुभांगी शुक्ला ने नौ जनवरी को लोनी का चार्ज संभाला था। 22 अप्रैल को उनके पति अभिषेक द्विवेदी कोरोना संक्रमित हो गए। 25 अप्रैल को उन्हें भी बुखार ने अपनी चपेट में ले लिया। दवाई लेने के साथ उन्होंने अपना कोरोना चेकअप कराया। 26 अप्रैल को कोरोना रिपोर्ट पाजिटिव आने पर वह होम आइसोलेट हो गई। दोनों के पाजिटिव होने पर ढाई वर्षीय बेटे अभिष के लिए संकट बढ़ गया। उपजिलाधिकारी ने कोरोना संक्रमित होने के बावजूद मां की जिम्मेदारी निभाई। गर्मी के कारण बुरा हाल रहा, लेकिन चेहरे से मास्क और हाथों से दस्ताने नहीं उतरने दिए। अभिष की सुरक्षा के लिए दिन में कई जोड़ी दस्ताने बदल देती थीं। उसके पास जाने से पहले कभी सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना नहीं भूलीं। बच्चे की सुरक्षा के लिए बुखार में प्रतिदिन स्नान किया। जिससे बच्चे को संक्रमण न छू सके। बच्चे की सुरक्षा के लिए यह सिर्फ मां ही कर सकती है। फिलहाल वह और उनका परिवार स्वस्थ है। होम आइसोलेशन से बाहर आकर शनिवार को उन्होंने डयूटी संभाल ली है।