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    करोड़ों के आशियानों में पानी की समस्या से जूझ रहे इंदिरापुरम वासी, कभी गंदे पानी तो कभी ज्यादा TDS की होती है सप्लाई

    Updated: Fri, 14 Nov 2025 08:55 AM (IST)

    इंदिरापुरम में पानी की समस्या गंभीर बनी हुई है। बढ़ती आबादी के बावजूद लोगों को गंदा पानी और उच्च टीडीएस वाले पानी की आपूर्ति से जूझना पड़ रहा है। गंगाजल की अपर्याप्त आपूर्ति के कारण भू-जल मिलाया जाता है, जिससे पानी पीने योग्य नहीं रहता। पुरानी पाइपलाइनें भी समस्या का कारण हैं। स्वास्थ्य विभाग ने सैंपल लेकर कार्रवाई की है, लेकिन निवासियों को स्थायी समाधान का इंतजार है।

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     यहां जलकल विभाग द्वारा भू-जल में गंगाजल मिलाकर की जाती है आपूर्ति

    जागरण संवाददाता, साहिबाबाद। करीब चार दशक पूर्व इंदिरापुरम को बसाया शुरू किया गया था। यहां की आबादी तो बढ़ती गई, लेकिन सुविधाओं में बढ़ती जनसंख्या के अनुरूप इजाफा नहीं हुआ। वर्तमान में पेयजल भी यहां की बड़ी समस्याओं में से एक है। यहां करोड़ों के आशियानों में रहने वाले लोगों को कभी कम प्रेशर से आपूर्ति तो कभी गंदे पानी की समस्या से भी जूझना पड़ता है। अधिक टीडीएस के पानी की आपूर्ति होना आम बात है। इससे लोगों को परेशानी झेलनी पड़ती है।

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    इंदिरापुरम में वर्तमान में करीब 12 लाख आबादी है। यहां सिद्धार्थ विहार के 100 क्यूसेक गंगाजल प्लांट से 15 क्यूसेक और प्रताप विहार के 50 क्यूसेक प्लांट से सात क्यूसेक गंगाजल की आपूर्ति होती है। यह गंगाजल इंदिरापुरम की आबादी के हिसाब से बहुत कम है। इसका करीब तीन गुना से अधिक गंगाजल इस क्षेत्र को चाहिए। इस जरूरत को पूरी करने के लिए गंगाजल में भू-जल मिलाकर आपूर्ति की जाती है।

    गंगाजल में भू-जल मिलने से पानी का टीडीएस बढ़ जाता है। कई बार टीडीएस 1500 के पार पहुंच जाता है। इससे पानी पीने योग्य नहीं बचता। यहां के कई इलाके ऐसे हैं, जिनकी पेयजल लाइन बहुत पुरानी है। ये आए दिन क्षतिग्रस्त होती रहती है। इससे आए दिन गंदे पानी की आपूर्ति होती है। इसको लेकर इंदिरापुरम के लोग आए दिन आवाज भी उठाते हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं होता।

    यहां की ग्रुप हाउसिंग सोसायटी के लोग भी परेशान

    इंदिरापुरम में 100 से अधिक ग्रुप हाउसिंग सोसायटी हैं। इन सोसायटी के करोड़ों के फ्लैट में रहने वाले लोगों को भी साफ पानी नहीं मिल पाता। पानी की जांच के नाम पर भी खानापूर्ति की जाती है। तीन मई 2024 को साया गोल्ड सोसायटी में कभी 500 लोग बीमार हो गए थे। इससे पहले भी ऐसे कई मामले आए हैं।

    स्वास्थ्य विभाग ने लिए 200 से अधिक सैंपल

    स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का दावा है कि इस वर्ष जिले में अभी तक करीब 1400 सैंपल लिए गए हैं। इनमें से करीब 200 सैंपल इंदिरापुरम से लिए गए हैं। जिनमें से करीब 20 से 25 प्रतिशत तक फेल हुए हैं। अधिकारियों का कहना है कि सभी को नोटिस भेजकर जलापूर्ति की व्यवस्था दुरुस्त कराई गई है।

    कैसे मिलेगी इंदिरापुरम के लोगों को राहत

    •  गंगाजल की मात्रा बढ़ाई जाए।
    • पुरानी लाइन को बदला जाए।
    •  जलकल विभाग द्वारा दिए जा रहे पानी की जांच हो।

    सोसायटियों में जलापूर्ति के ये हैं नियम

    •  हर छह माह में ओवरहैड टैंक की सफाई।
    •  क्लोरीन डोजिंग सिस्टम चालू हो।
    •  ओवरहैड टैंक के ढ़क्कन खुले न हों।
    •  वाटर ट्रीटमेंट सिस्टम लगा हो।
    •  टीडीएस कम करने के लिए वाटर साफ्टनर लगा हो।
    •  समय-समय पर पानी की जांच हो।

    क्षेत्र में पानी की सबसे बड़ी समस्या है। आए दिन गंदे पानी की आपूर्ति होती रहती है। इसके स्थायी समाधान के लिए शिकायत करते हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं होता।


    -

    -महेश नेगी, निवासी, इंदिरापुरम

    पानी का टीडीएस बहुत अधिक होता है। इसका कारण गंगाजल की मात्रा कम और भू-जल की मात्रा बहुत अधिक है। गंगाजल की मात्रा को बढ़ाया जाना चाहिए।


    -

    -ब्रजेश उपाध्याय, निवासी, इंदिरापुरम

    इंदिरापुरम व अन्य इलाकों के लिए जितना गंगाजल मिलता है उसमें भू-जल मिलाकर पानी की आपूर्ति की जाती है। जिन इलाकों में गंदे पानी की समस्या होती है वहां समाधान कराया जाता है।


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    - केपी आनंद, महाप्रबंधक, जलकल विभाग, नगर निगम

    औचक निरीक्षण और शिकायत के आधार पर भी पानी के सैंपल लिए जाते हैं। कोशिश रहती है कि कम से कम हर तीन माह में प्रत्येक सोसायटी के टैंक व नगर निगम की टंकियों से पानी के सैंपल लिया जाए।


    -

    -आरके गुप्ता, जिला सर्विलांस अधिकारी, स्वास्थ्य विभाग