हिडन रिवर फ्रंट के लिए आइआइटी से कराई जाएगी मिट्टी की जांच
हिडन रिवर फ्रंट की डीपीआर तैयार कराने से पहले मिट्टी की जांच कराई जाएगी। हिडन नदी के तट की मिट्टी जांचने की जिम्मेदारी आइआइटी रुड़की को दी जा रही है। रिपोर्ट में मिट्टी उपयुक्त पाई जाने पर डीपीआर बनवाने की दिशा में कदम आगे बढ़ाया जाएगा। जीडीए सिचाई विभाग के निर्देशन में निजी एजेंसी से डीपीआर बनवाएगा।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : हिडन रिवर फ्रंट की डीपीआर तैयार कराने से पहले मिट्टी की जांच कराई जाएगी। हिडन नदी के तट की मिट्टी जांचने की जिम्मेदारी आइआइटी रुड़की को दी जा रही है। रिपोर्ट में मिट्टी उपयुक्त पाई जाने पर डीपीआर बनवाने की दिशा में कदम आगे बढ़ाया जाएगा। जीडीए सिचाई विभाग के निर्देशन में निजी एजेंसी से डीपीआर बनवाएगा।
करहेड़ा से हिडन रेलवे पुल के बीच हिडन नदी के दोनों ओर तटों पर तीन किलोमीटर क्षेत्र में रिवर फ्रंट प्रस्तावित है। यह ऐसी लोकेशन हैं, जहां जीटी रोड और एलिवेटेड रोड से आने-जाने वाले लोग रिवर फ्रंट का नजारा देख सकेंगे। यहां टहलने के लिए पथ बनाया जाएगा। पार्क विकसित होगा। म्यूजिकल फाउंटेन और बैठने के लिए बेंच लगाए जाएंगे। पेड़ और सजावटी पौधे लगाकर सुंदरीकरण किया जाएगा। इसे विकसित करने में करीब 400 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। जीडीए अधिकारियों की मानें तो नदी के इस हिस्से में बाढ़ का खतरा नहीं है। किसी किसान की जमीन भी बीच में नहीं आ रही है।
कार्य से पहले ली जाएगी अनुमति
रिवर फ्रंट बनाने के कार्य में विवादों से बचने के लिए जीडीए पहले पर्यावरण संबंधी अनुमति लेगा। जीडीए अधिकारियों ने बताया कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से अनुमति ली जाएगी। एनजीटी के संज्ञान में प्रकरण लाकर वहां से अनुमति ली जाएगी। उसके बाद विकास कार्य शुरू कराए जाएंगे।
हिडन रिवर फ्रंट डीपीआर तैयार कराने से पहले आइआइटी रुड़की से नदी के तटों की मिट्टी की जांच कराई जाएगी। जांच में रिवर फ्रंट के लिए मिट्टी उपयुक्त पाई जाने पर ही आगे कदम बढ़ाया जाएगा।
- कंचन वर्मा, वीसी, जीडीए