शहर में 220 स्थानों पर पूजा के बाद हुआ होलिका दहन
होली की पूजा परंपरागत तरीके से की गई। शहर में 220 स्थानों पर सुबह दस बजे से शुरू हुई होली की पूजा का दौर तीन बजे तक चला। महिलाएं होली के गीत गाती हुई पूजा करने पहुंची। एक-दूसरे को हल्दी का टीका लगाकर होली मनाई गई। कई जगहों पर होली के गीतों का खास इंतजाम भी कराया गया। राजनगर कविनगर पटेलनगर और शास्त्रीनगर में पूजा स्थलों को खास अंदाज में सजाया और संवारा गया। अधिकांश पूजा स्थल मंदिरों के नजदीक बनाए गए। नगर निगम की ओर से पहले ही मिटटी डलवाकर इन स्थलों को अधिकृत कर दिया गया था।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : शहर के 220 स्थानों पर पूजा के बाद शांतिपूर्वक होलिका दहन हुआ। कई जगह तो लोगों ने गाते-बजाते होलिका दहन किया। इस दौरान लोगों ने खुशियां जाहिर करते हुए लोगों को प्रसाद वितरण भी किया। दिन में होली की पूजा परंपरागत तरीके से की गई। शहर में 220 स्थानों पर सुबह दस बजे से शुरू हुई होली की पूजा का दौर तीन बजे तक चला। महिलाएं होली के गीत गाती हुई पूजा करने पहुंची। एक-दूसरे को हल्दी का टीका लगाकर होली मनाई गई। कई जगहों पर होली के गीतों का खास इंतजाम भी कराया गया। राजनगर, कविनगर, पटेलनगर और शास्त्रीनगर में पूजा स्थलों को खास अंदाज में सजाया और संवारा गया। अधिकांश पूजा स्थल मंदिरों के नजदीक बनाए गए। नगर निगम की ओर से पहले ही मिट्टी डलवाकर इन स्थलों को अधिकृत कर दिया गया था। पूजा के दौरान महिलाएं होलिका दहन के लिए उपले और सूखी लकड़ियां भी लेकर पहुंची। इन्ही स्थलों पर देर शाम को होलिका दहन किया गया। होलिका दहन कहीं पर सात बजे हुआ तो कहीं पर आठ बजे। इस दौरान संबंधित चौकी प्रभारी के अलावा थाना प्रभारी भी क्षेत्रों में सुरक्षा के मद्देनजर घूमते रहे। होलिका दहन के बाद रंगोत्सव शुरू हो जाता है। पूजा में गेंहू और जौ की बालों का भी खास महत्व होता है। इनकी महिलाएं पूजा करती है। नगर निगम की ओर से अधिकृत होली पूजा एवं होलिका दहन के इन स्थानों की सूची पांच दिन पहले ही जारी कर दी थी। कविनगर जोन में 45, विजयनगर जोन में 25, सिटी जोन में 65, मोहननगर जोन में 50 और वसुंधरा जोन में 35 स्थानों पर होली की पूजा एवं होलिका दहन प्रबंध किया गया है। इन स्थानों पर नगर निगम की पूरी निगरानी रही। पुलिस की टीम भी तैनात रही। रहेंगे। नगर निगम द्वारा इन स्थानों पर पहले ही मिटटी डलवा दी गई थी ताकि सड़क न टूटे। होलिका दहन में हरे पेड़ों को कतई जलाए जाने को लेकर भी निगरानी रखी गई। अधिकांश जगहों पर सूखे पेड़ों को ही जलाया गया।