ईवीएम का बटन दबाने में पीछे हैं हाईराइज इमारतें
गाजियाबाद [सिद्धार्थ श्रीवास्तव] जिन इलाकों में साक्षरता का फीसद अधिक है वहा मतदान अक्सर कम पाय
गाजियाबाद [सिद्धार्थ श्रीवास्तव]
जिन इलाकों में साक्षरता का फीसद अधिक है, वहा मतदान अक्?सर कम पाया जाता है। चुनावों के बारे में यह धारणा पिछले कई चुनावों के आकड़े इस बात की तस्?दीक करते हैं। इस चुनाव में भी जिले की हाईराइज सोसाइटी वाले इलाकों में मतदान का फीसद बढ़ाना चुनाव आयोग के लिए चुनौती है। आयोग ने जिले में 656 ऐसे बूथ चिह्नित किए हैं जहा पिछले लोकसभा चुनाव (2014) में मतदान का फीसद चालीस से भी कम था। इस बार भी यहा के वोटरों को बूथ तक ले आना चुनौती है। 2014 चुनाव में जिले के वोटर 'सेकेड डिविजन' हुए थे पास
साल 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में जिले का मतदान फीसद 57 रहा था। ग्रामीण इलाकों में कहीं-कहीं 60 फीसद से अधिक मतदाता पोलिंग बूथों तक पहुंचे, लेकिन शहरी इलाकों में लोगों ने जनप्रतिनिधि चुनने में रुचि नहीं दिखाई। इसके चलते मतदान फीसद 'फर्स्ट डिविजन' से थोड़ा पीछे रह गया। कम मतदान वाले 320 बूथ अकेले साहिबाबाद क्षेत्र में
चुनाव आयोग ने चालीस फीसद से कम मतदान वाले जिन 656 बूथों को चिह्नित किया है, उनमें 320 अकेले साहिबाबाद विधानसभा क्षेत्र में हैं। वैशाली, इंदिरापुरम, वसुंधरा जैसी हाईराइज इमारतों वाले इस क्षेत्र के मतदाता इस बार भी चिंता का सबब हैं। अगर यहा लोग घरों से नहीं निकले तो इस बार भी आकड़ा 60 फीसद से कम रह सकता है। साहिबाबाद इलाके में हैं सौ के करीब बहुमंजिला सोसाइटी
साहिबाबाद विधानसभा इलाके में सौ के करीब बहुमंजिला सोसाइटी हैं, जहा करीब एक लाख मतदाता हैं। इन सोसाइटियों में जनप्रतिनिधियों की पहुंच कम ही होती है। चुनावों में अपने मताधिकार को लेकर कम ही लोग उत्साहित होते हैं। यही कारण है कि हाईराइज सोसायटियों से वोटिंग के दिन कम मतदाता बूथ तक पहुंचते हैं। इंदिरापुरम, वैशाली से आगे मोदीनगर-मुरादनगर
शहरी के मुकाबले ग्रामीण इलाकों के मतदाता ज्यादा जागरूक हैं। प्रशासन ने कम मतदान फीसद वाले जिन 656 बूथों को चिह्नित किया है, उनमें विधानसभा क्षेत्रवार गाजियाबाद में 117 बूथ हैं, जबकि लोनी में 95, मोदीनगर में 63 और मुरादनगर में केवल 61 पोलिंग बूथ हैं।