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जागृत लोगों पर भगवान भी करते हैं कृपा

रामलीला मैदान कविनगर में आयोजित राम कथा में तीसरे दिन काफी संख्या में श्रद्धालु कथा सुनने पहुंचे। मंगलमय परिवार द्वारा आयोजित कथा में कथावाचक संत विजय कौशल महाराज सात दिवसीय राम कथा कर रहे हैं। उन्होंने दूधेश्वर मठ की जय बोलते हुए कथा का प्रारंभ किया। उन्होंने कहा कि भगवान जागृत लोगों पर ही कृपा करते हैं सोते हुये भक्त को भी भगवान प्राप्त नहीं होते हैं वह केवल जागृत व्यक्ति पर ही कृपा ²ष्टि करते हैं। उन्होंने श्रीराम महिमा का बखान करते हुए कहा कि भगवान का नाम ही उत्सव है आनंद है वह मंगल के प्रतीक हैं और जब मंगल होता है तो अमंगल का ह्रास स्वत ही हो जाता है। ईश्वर को किसी भी अवस्था में प्राप्त करने के लिये तत्पर रहना चाहिए। सुख-दुख लाभ-हानि उपयुक्त-अनुपयुक्त का विचार किए बिना दौड़ना चाहिए। गृहस्थ एक अवसर है ईश्वर को प्राप्त करने का। जैसे गृहस्थ में हमारे छोटे बडे़ स्वार्थ होते हैं वैसे ही भगवान भजन में स्वार्थ होना चाहिए।

By JagranEdited By: Published: Sun, 03 Nov 2019 08:23 PM (IST)Updated: Mon, 04 Nov 2019 06:18 AM (IST)
जागृत लोगों पर भगवान भी करते हैं कृपा
जागृत लोगों पर भगवान भी करते हैं कृपा

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : रामलीला मैदान कविनगर में आयोजित राम कथा में तीसरे दिन काफी संख्या में श्रद्धालु कथा सुनने पहुंचे। मंगलमय परिवार द्वारा आयोजित कथा में कथावाचक संत विजय कौशल महाराज सात दिवसीय राम कथा कर रहे हैं। उन्होंने दूधेश्वर मठ की जय बोलते हुए कथा का प्रारंभ किया। उन्होंने कहा कि भगवान जागृत लोगों पर ही कृपा करते हैं, सोते हुये भक्त को भी भगवान प्राप्त नहीं होते हैं वह केवल जागृत व्यक्ति पर ही कृपा ²ष्टि करते हैं। उन्होंने श्रीराम महिमा का बखान करते हुए कहा कि भगवान का नाम ही उत्सव है, आनंद है, वह मंगल के प्रतीक हैं और जब मंगल होता है तो अमंगल का ह्रास स्वत: ही हो जाता है। ईश्वर को किसी भी अवस्था में प्राप्त करने के लिये तत्पर रहना चाहिए। सुख-दुख, लाभ-हानि, उपयुक्त-अनुपयुक्त का विचार किए बिना दौड़ना चाहिए। गृहस्थ एक अवसर है ईश्वर को प्राप्त करने का। जैसे गृहस्थ में हमारे छोटे बडे़ स्वार्थ होते हैं वैसे ही भगवान भजन में स्वार्थ होना चाहिए।

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कथा सुनाते हुए कौशल महराज ने कहा कि भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण के जीवन में बड़ा अंतर है। दोनों के बाल जीवन बिल्कुल विपरीत हैं। जहां भगवान राम सौम्य हैं, सरल हैं, वहीं कृष्ण बडे नटखट हैं। दोनों के बाल स्वरूप बडे़ दर्शनीय हैं। भगवान श्री राम के स्वभाव का दर्शन करके भगवान परशुराम जैसे का क्रोध भी शांत हो जाता है। परम ज्ञानी विद्वान पुरुषार्थी विश्वामित्र जिन्होंने सूर्यवंश के राजा त्रिशंकु को अपने तप के बल से स्वर्ग भेज दिया और फिर नए स्वर्ग की रचना करने वाले भी राक्षसों से त्रस्त होकर स्वयं को अनाथ बताकर भगवान राम को राजा दशरथ से मांग कर ले आते हैं और राम उनकी आशा के अनुरूप उन्हें राक्षसों से मुक्ति दिलाते हैं। इसी प्रकार अपने ऊपर किसी ना किसी को अवश्य रखना चाहिए वह आपके माता पिता, गुरू, शिक्षक या बालक भी कोई भी हो। इस अवसर पर मेयर आशा शर्मा, दूधेश्वरनाथ मंदिर के महंत नारायण गिरी, कथा के मुख्य यजमान हरविलास गुप्ता, सांसद प्रतिनिधि देवेंद्र हितकारी, आयोजन समिति से सचिन सिंहल, मयंक गोयल, अमित त्यागी, अभिषेक सिंह, मनीष अग्रवाल सहित अन्य उपस्थित थे।


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