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    गाजियाबाद में नाबालिगों की रफ्तार बनी मौत की सवारी, लापरवाही जान पर भारी

    Updated: Thu, 13 Nov 2025 09:51 AM (IST)

    गाजियाबाद में नाबालिगों की तेज रफ्तार जानलेवा साबित हो रही है। लापरवाही के चलते कई सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं, जिससे लोगों की जान खतरे में पड़ रही है। सड़क सुरक्षा नियमों का पालन न करने के कारण दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है। नाबालिगों की लापरवाही अन्य लोगों के लिए भी घातक साबित हो रही है।

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    शास्त्री नगर में स्कूटी चलाता नाबालिग किशोर। जागरण


    जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। एनएच-9 पर मंगलवार देर रात हुआ एक दर्दनाक हादसा फिर यह सवाल छोड़ गया कि आखिर किशोरों के हाथों में वाहन की चाबी क्यों थमाई जाती है। हादसे में बाइक सवार तीन नाबालिगों की मौत हो गई। पुलिस के अनुसार बाइक 12 वर्षीय लड़का चला रहा था जबकि उसके पीछे दो दोस्त बैठे थे। तेज रफ्तार में उनकी बाइक सड़क किनारे खड़े ट्रक से टकरा गई।

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    टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि तीनों की मौके पर ही मौत हो गई। यह हादसा केवल लापरवाही नहीं, बल्कि अभिभावकीय जिम्मेदारी की कमी का भी आईना है। सवाल यह है कि जब वाहन चलाने की वैधानिक आयु 18 वर्ष है, तब 12 साल के बच्चे के हाथ में बाइक कैसे पहुंची।

    पुलिस का कहना है कि यह कोई पहला मामला नहीं है। बीते दो वर्षों में गाजियाबाद में 100 से अधिक वाहन स्वामियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, जिन्होंने नाबालिगों को वाहन सौंपे। इसके बावजूद सड़कों पर नियम तोड़ते किशोरों की संख्या घटाने के लिए अभिभावकों को जिम्मेदारी समझनी होगी। स्कूलों और कोचिंग संस्थानों के बाहर अक्सर हेलमेट के बिना बाइक या स्कूटी दौड़ाते किशोर दिखाई देते हैं।

    ट्रैफिक पुलिस समय-समय पर अभियान चलाती है, लेकिन जागरूकता की कमी और घर से मिली मौन स्वीकृति के चलते ऐसे हादसे रुक नहीं पा रहे। नाबालिग वाहन चलाते पकड़े जाने पर 25 हजार रुपये का जुर्माना और वाहन मालिक के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाता है। इसमें तीन माह तक की सजा हो सकती है।



    अभिभावकों को यह समझना होगा कि वाहन की चाबी बच्चे के हाथ में देना, असल में उसकी जान को खतरे में डालना है। पुलिस जागरूकता अभियान के साथ प्रवर्तन पर भी जोर दे रही है।


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    सच्चिदानंद, एडीसीपी ट्रैफिक