Ghaziabad News: रिक्शा ठेला पर मरीज को अस्पताल ले जाने पर चिकित्सक समेत दो बर्खास्त, डिप्टी सीएम के निर्देश पर हुई कार्रवाई
Ghaziabad News जांच के दौरान लापरवाही बरतने के आरोपी डा. शील वर्मा और वार्ड ब्वाय मयंक के बयान लिए गए। जांच में पाया गया कि डा. शील वर्मा ने घोर लापरवाही बरती। इससे स्वास्थ्य विभाग की छवि खराब हुई। दोनों संविदा पर कार्यरत है।
गाजियाबाद [मदन पांचाल]। रिक्शा ठेला पर महिला मरीज को अस्पताल ले जाने पर लापरवाही बरतने के आरोप में चिकित्सक समेत दो को बर्खास्त कर दिया गया है। प्रारंभिक जांच में यह तथ्य सामने आया है कि महिला मरीज को एआरटी सेंटर में तैनात चिकित्सक शील वर्मा ने रिक्शा में ही मरीज को देखा और रेफर कर दिया। मरीज को प्राथमिक उपचार तक नही दिया गया। इसके अलावा वार्ड ब्वाय मयंक द्वारा भी घोर लापरवाही बरतते हुए मरीज को स्ट्रेचर और व्हील चेयर उपलब्ध नहीं कराई गई।
उत्तर प्रदेश के उपमंख्यमंत्री बृजेश पाठक ने इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए बृहस्पतिवार को सीएमओ गाजियाबाद से जांच कराते हुए रिपोर्ट मांगी । इसी क्रम में सीएमओ डा.भवतोष शंखधर ने जिला एमएमजी अस्पताल के सीएमएस डा.मनोज कुमार चतुर्वेदी को जांच कराने के निर्देश दिए। सीएमएस ने डा. एके दीक्षित, डा. संतराम वर्मा और डा. पंकज शर्मा से इस प्रकरण की जांच कराई।
जांच के दौरान लापरवाही बरतने के आरोपी डा. शील वर्मा और वार्ड ब्वाय मयंक के बयान लिए गए। जांच में पाया गया कि डा. शील वर्मा ने घोर लापरवाही बरती। इससे स्वास्थ्य विभाग की छवि खराब हुई। दोनों संविदा पर कार्यरत है। जांच रिपोर्ट के आधार पर दोनों की सेवाएं समाप्त किए जाने की संस्तुति की गई है।
जांच रिपोर्ट सीएमओ, डीएम,मंडलायुक्त के साथ ही महानिदेशक स्वास्थ्य को भेज दी गई है। सीएमओ डा.भवतोष शंखधर ने बताया कि जांच रिपोर्ट प्राप्त हुई है। इसी के आधार पर लापरवाही बरतने पर डा.शील वर्मा और वार्ड ब्वाय मयंक की सेवाएं समाप्त कर दी गई है।
यह था मामला
बुधवार को एंबुलेंस का इंतजार करने के बाद साहिबाबाद बी ब्लाक की झुग्गियों में रहने वाली जयमाला देवी को उसके पति श्रवण सिंह,उनका बेटा छोटू और बेटी शोभा रिक्शा ठेला में डालकर जिला एमएमजी अस्पताल लेकर पहुंचे। रिक्शा को जयमाला देवी का दामाद राकेश चलाकर लाया।
सबसे पहले मरीज को एआरटी सेंटर में डा. शील वर्मा को दिखाया। बिना उपचार किए उन्होंने मरीज को मेडिकल कालेज मेरठ रेफर कर दिया। रोते हुए स्वजन इमरजेंसी में पहुंचे। यहां से एंबुलेंस में मेरठ भेजा गया। महिला की हालत खराब है। महिला को दो दिन पहले एचआइवी की पुष्टि होने पर चिकित्सकों ने भर्ती करने की सलाह दी थी
कुछ खास बातें
- विगत पांच महीने में एंबुलेंस न मिलने पर पांच मरीजों की मौत हुई है।
- एंबुलेंस चालक रोज एक-दो घायल मरीजों को बिना बताए इमरजेंसी के गेट पर छोड़कर भाग जाते हैं
- निर्धारित 15 मिनट तो दूर एक घंटे में भी एंबुलेंस नहीं पहुंचती है।
- जिले में कुल 47 एंबुलेंस हैं।