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..तो इसलिए नहीं बिक पा रही है जीडीए की संपत्ति

जागरण संवाददाता गाजियाबाद जीडीए के प्रवर्तन दस्ते की शह पर हो रहे अवैध निर्माण के कारण प्राधिकरण को लगातार राजस्व की हानि हो रही है। प्राधिकरण की संपत्ति न बिकने के पीछे भी अवैध निर्माण व अवैध प्लाटिग बड़ा कारण है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Aug 2021 08:30 PM (IST)Updated: Mon, 23 Aug 2021 08:30 PM (IST)
..तो इसलिए नहीं बिक पा रही है जीडीए की संपत्ति
..तो इसलिए नहीं बिक पा रही है जीडीए की संपत्ति

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : जीडीए के प्रवर्तन दस्ते की शह पर हो रहे अवैध निर्माण के कारण प्राधिकरण को लगातार राजस्व की हानि हो रही है। प्राधिकरण की संपत्ति न बिकने के पीछे भी अवैध निर्माण व अवैध प्लाटिग बड़ा कारण है।

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भू-माफिया द्वारा प्राधिकरण क्षेत्र में धड़ल्ले से अवैध कालोनी काटी जा रही हैं। जोन-आठ स्थित लोनी क्षेत्र के अंकुर विहार व रेल विहार में अवैध प्लाटिग कर 20-25 लाख रुपये में 100 गज के भूखंड बेचे जा रहे हैं। वहीं जोन-पांच में जल निगम प्लांट रोड पर नगर निगम के एसटीपी के ठीक सामने अवैध कालोनी आदर्श नगर में 25 लाख रुपये में फ्लैट व 35 लाख रुपये में विला बनाकर बेचे जा रहे हैं। इसी तरह जोन-तीन स्थित अवैध कालोनी अक्षय एन्क्लेव में छोटे-छोटे भूखंडों पर चार-पांच मंजिला इमारत बनाकर 25 लाख रुपये में फ्लैट बेचे जा रहे हैं, लेकिन अवैध निर्माण रोकने के लिए जिम्मेदार प्रवर्तन दस्ते के अधिकारियों को यह नहीं दिख रहा है। इसका सीधा प्रभाव जीडीए की संपत्ति की बिक्री पर पड़ रहा है।

दरअसल, आवासीय स्कीम में जीडीए को सड़क, सीवर, पार्क आदि विकसित करने होते हैं। किसी भी योजना में 30-35 फीसद जमीन उपरोक्त सुविधाओं में चली जाती है। ऐसे में प्राधिकरण की संपत्ति की कीमत ज्यादा हो जाती है, जबकि अवैध कालोनी में नियमों का पालन नहीं होता। छोटे-छोटे रास्ते छोड़कर भूखंड काट दिए जाते हैं। सस्ते के चक्कर पर लोग अवैध कालोनी में भूखंड, फ्लैट व विला खरीदते हैं। इससे प्राधिकरण को नुकसान होता है।

बिल्डरों व अवैध निर्माण करने वालों के लिए करते हैं मुखबिर का काम : जीडीए के प्रवर्तन दस्ते में तैनात सुपरवाइजर व अवर अभियंता अवैध निर्माण करने वालों के लिए मुखबिर का काम करते हैं। उच्चाधिकारियों के संज्ञान में मामला आने पर अगर किसी क्षेत्र में अवैध निर्माण के खिलाफ सीलिग व ध्वस्तीकरण की कार्रवाई प्रस्तावित होती है, तो उक्त क्षेत्र में सुपरवाइजर व अवर अभियंता पल-पल की सूचना बिल्डरों व भू-माफिया तक पहुंचाते हैं और सीलिग व ध्वस्तीकरण की कार्रवाई रुकवाने के लिए सिफारिश कराने के रास्ते भी बताते हैं।

वर्जन..

लोग किसी भी तरह के झांसे में आकर अवैध कालोनी में भूखंड, फ्लैट या विला न खरीदें। अवैध निर्माण बर्दाश्त नहीं होगा। ध्वस्तीकरण की कार्रवाई कराई जाएगी। जीडीए के कर्मचारियों व अधिकारियों की मिलीभगत पाई गई तो उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई होगी।

- कृष्णा करुणेश, जीडीए उपाध्यक्ष।


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