संकट में गाजियाबाद का स्वास्थ्य विभाग, डॉक्टर और सीएचओ दे रहे हैं त्यागपत्र
गाजियाबाद में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति चिंताजनक है, जहाँ पिछले एक साल में कई डॉक्टरों और सीएचओ ने नौकरी छोड़ दी है। कुछ उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, तो कुछ निजी क्षेत्र में बेहतर अवसरों की तलाश में हैं। इससे कई स्वास्थ्य केंद्रों का संचालन प्रभावित हो रहा है, और कुछ स्थानों पर फार्मासिस्ट और वार्ड बॉय मरीजों का इलाज कर रहे हैं। आयुष्मान आरोग्य मंदिरों की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है।

गाजियाबाद में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति चिंताजनक है
मदन पांचाल, गाजियाबाद। एक ओर जहां राज्य सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए दिल खोलकर निवेश कर रही है, वहीं जिले में तैनात सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) और डॉक्टर अपनी नौकरी छोड़ रहे हैं। पिछले एक साल में 12 सीएचओ और 31 डॉक्टर अपनी नौकरी छोड़ चुके हैं। कुछ उच्च शिक्षा हासिल कर रहे हैं, जबकि अन्य निजी क्षेत्र में काम करने के लिए इस्तीफा दे रहे हैं। जिले के कई स्वास्थ्य केंद्र फार्मासिस्ट और स्टाफ नर्स द्वारा चलाए जा रहे हैं।
कुछ जगहों पर वार्ड बॉय मरीजों का इलाज कर रहे हैं। एनएचएम के नोडल अधिकारी डॉ. आरके गुप्ता ने बताया कि 53 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और 84 शहरी आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में तैनात 31 डॉक्टरों ने विभिन्न कारणों से इस्तीफा दे दिया है। नतीजतन, हर दो महीने में साक्षात्कार के माध्यम से डॉक्टरों का चयन किया जाता है।
एनआरएचएम के नोडल अधिकारी डॉ. रवींद्र सिंह ने बताया कि एक साल में 12 सीएचओ अपनी नौकरी छोड़ चुके हैं दरअसल, विभिन्न केंद्रीय और राज्य स्वास्थ्य सेवा योजनाओं से संबंधित सर्वेक्षण, निगरानी, स्क्रीनिंग, विशेष अभियान और डेटाबेस संबंधी कार्यों के भारी बोझ के कारण कुछ डॉक्टर और मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएचओ) इस्तीफा दे रहे हैं। यह स्थिति तब है जब डॉक्टरों को 50,000 से डेढ़ लाख रुपये तक और मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (सीएचओ) को 50,000 रुपये प्रति माह से अधिक वेतन मिलता है।
आयुष्मान आरोग्य मंदिरों का विवरण
- जिले में कुल 120 आयुष्मान आरोग्य मंदिर हैं
- सरकार द्वारा इनमें से 87 केंद्रों पर सीएचओ तैनात किए गए हैं
- एक साल में 12 सीएचओ अपनी नौकरी छोड़ चुके हैं
- वर्तमान में 45 आयुष्मान आरोग्य मंदिर खाली हैं
- 75 केंद्रों पर तैनात कई सीएचओ बेवक्त केंद्रों पर आते हैं।

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